प्रदेश भर में करीब 6000 तदर्थ शिक्षक हैं इनकी नियुक्ति शैक्षिक कैलेंडर वर्ष या नियुक्ति वर्ष में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चयनित शिक्षक के आने तक होती है। इधर, वर्ष 2000 के बाद नियुक्त हुए किसी तदर्थ शिक्षक को विनियमित नहीं किया गया। विनियमित किए जाने की मांग को लेकर ये शिक्षक सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन कोर्ट ने उन्हें टीजीटी-पीजीटी- 2021 की परीक्षा में सम्मिलित होने का आदेश देकर उनकी उम्मीद के दरवाजे बंद कर दिए। इधर, विद्यालयों के प्रबंधक और जिला विद्यालय निरीक्षक चयन बोर्ड को अधियाचन तो भेजते रहे, लेकिन तदर्थ शिक्षकों के पदों का अधियाचन भेजने में कोताही बरती,जिसके कारण वह पदों पर बने रहे। अगर समय-समय पर तदर्थ शिक्षक पदों पर भी अधियाचन भेजा गया प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन का होता, तो वह परीक्षा में शामिल होकर चयनित हो जाते, लेकिन लंबे समय से ऐसा नहीं किए जाने से उनके हाथ से यह अवसर भी चला गया। वर्ष 2021 की टीजीटी भर्ती परीक्षा में तदर्थ शिक्षक पदों पर चयनित हुए शिक्षकों को नियुक्ति न मिलने पर चयन बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपेक्ष्य में समायोजित करने से इन्कार कर चुका है। ऐसे में तदर्थ शिक्षक सरकार से कोई राहत पाने की उम्मीद में हैं और चयनित शिक्षक नियुक्ति दिलाए जाने की प्रतीक्षा में अटके हुए हैँ.
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असमंजस में तदर्थ व उनके पदों पर चयनित शिक्षक
प्रयागराज, प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत तदर्थ शिक्षक वर्ष 2021 की प्रवक्ता संवर्ग (पीजीटी) और प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) की परीक्षा के बाद नौकरी को लेकर असमंजस में हैं। तदर्थ शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने विनियमित करने के बजाय परीक्षा में शामिल होने का आदेश देकर उनके स्थायी होने की उम्मीद को खत्म कर दिया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक भी शासन को इस संबंध में स्थिति स्पष्ट कर चुकी हैं। पिछले दिनों प्रयागराज के जिला विद्यालय निरीक्षक ने तदर्थ शिक्षकों का वेतन रोक कर खतरे की घंटी जोर से बजा दी थी
