Important Posts

Advertisement

शैक्षणिक कार्यों को छोड़ बाकी सारे काम करने को मजबूर शिक्षक, 33 गैर शैक्षणिक कार्य पड़ रहे करने

 हाउस होल्ड सर्वे, स्कूल चलो अभियान, प्रेरणा पोर्टल, डाटा फीडिंग, अभिभावकों के बैंक खाते जुटाना,

विद्यार्थियों को यूनिफार्म दिलाना, मिड डे मील, कम्पोजिट ग्रांट से खरीद, एसएमसी की बैठक और न जाने क्या-क्या। ऐसे ही 33 गैर शैक्षणिक कार्य हैं, जिन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को परेशान कर रखा है। स्थिति यह है कि इन कार्यों के कारण शिक्षकों को उनके मूल शैक्षणिक कार्यों के लिए समय नहीं मिल पाता।



शिक्षक गैर शैक्षणिक कार्यो में उलझकर रह गए हैं। पिछले सत्र से (डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर) डीबीटी ऐप के जरिए उनके ही मोबाइल व इंटरनेट डाटा से क्लर्क वाले काम भी लिए जाने लगे हैं। खातों की फीडिंग हो या विद्यार्थियों की फोटो अपलोड व सत्यापन, दिनभर में ऐसे ही जाने कितने कार्य उन्हें करने पड़ रहे हैं।

शिक्षण कार्य प्रभावित

यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) जिलामंत्री राजीव वर्मा का कहना है कि पहले शिक्षकों के पास न मिड डे मील की जिम्मेदारी थी, न पोलियो अभियान की। न डीएम का डर था और न विभागीय अधिकारियों का, इसलिए वह बिना डर व अन्य गतिविधियों में लिप्त हुए सिर्फ शैक्षणिक गुणवत्ता पर ध्यान देते थे। लेकिन अब मामला बदला है। स्कूलों में शिक्षकों को अब पहले से ही आदेशों की पोटली थमा दी जाती है कि उन्हें आज यह करना है और कल यह। इसलिए शिक्षक तमाम औपचारिकताओं और गैर सरकारी कार्यो के बीच उलझ कर रह गए हैं।

शैक्षणिक गुणवत्ता की बात बेमानी

प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलामंत्री बृजेश दीक्षित का कहना है कि शिक्षकों को जब तक गैर शैक्षणिक कार्यों में फंसाकर रखा जाएगा, तो उनसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षण की उम्मीद बेमानी है, क्योंकि उसे आदेशों का अनुपालन कर नौकरी भी बचानी है। इसलिए शैक्षिक गुणवत्ता बेहतर करने लिए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से हटाया जाना चाहिए। 

UPTET news