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राज्य अध्यापक पुरस्कार: प्रधानाध्यापक की जिद ने बदली सरकारी स्कूल की तस्वीर, कांवेंट स्कूलों से भी बेहतर पढ़ाई

 वाराणसी: शिक्षक चाह जाएं तो स्कूल का माहौल बदल सकता है। ऐसा ही कुछ प्रयास किया बनारस के एक सरकारी स्कूल की प्रधानाध्यापक ने और उसमें सहयोग दिया उनके शिक्षकों ने।

सभी ने मिलकर स्कूल की तस्वीर ही बदल दी। स्कूल और शिक्षा व्यवस्था सुधारने के जुनून के साथ इन्होंने सरकारी स्कूल का कायाकल्प ही कर दिया। यह स्कूल है काशी विद्यापीठ ब्लॉक का प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह।


इस स्कूल के हर कमरे में न सिर्फ प्रोजेक्टर लगे हुए हैं, बल्कि बरसात के पानी का संरक्षण करने के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया गया है। प्रधानाध्यापक सरिता राय ने विद्यालय को संवारने का जो सपना देखा था, आज वो उसे पूरा कर चुकी है। लेकिन विद्यालय के बदलाव के कहानी अभी भी जारी है। सरिता राय के इस कोशिश की बदौलत ही उन्हें शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य अध्यापक पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

उनका ये विद्यालय अब मॉडल के रूप में जिले में पहचान बना चुका है। वर्तमान में प्रधानाध्यापक पद पर तैनात सरिता राय के शिक्षक के तौर पर सफर की शुरुआत 1 दिसंबर 1999 को प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह में हुई। 1 अप्रैल 2018 को उन्हें प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह में बतौर प्रधानाध्यापक जिम्मेदारी मिली।किताबी ज्ञान नहीं रोचक तरीके से शिक्षा

प्रधानाध्यापक पद संभालने के बाद सरिता ने विद्यालय में बच्चों को परंपरागत तरीके से हटकर कुछ रोचक तरीके से बच्चों को पढ़ाने की सोची। तब से विद्यालय की प्रार्थना सभा में बच्चों को किसी ने किसी महापुरुषों के बारे में जानकारी दी जाती है। यहीं नहीं बच्चों को अच्छे नागरिक बनने का भी पाठ पढ़ाया जाता है। इसके पीछे बच्चों में कर्तव्यों व अधिकारों का भी बोध करना मुख्य उद्देश्य है।हाई प्रोफाइल कक्षाओं में पढ़ाई करते हैं बच्चे2018 में ऐसा दिखता था प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह2018 में ऐसा दिखता था प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह –

प्राथमिक विद्यालय मंडुवाडीह की कक्षाएं किसी हाईप्रोफाइल कांवेंट स्कूल की तरह नजर आती हैं। स्कूल की दीवारें भी छात्रों को ज्ञान बांटती हैं। 2018 तक बदहाल स्थिति में रहने वाला यह विद्यालय पिछले तीन सालों में तेजी से विकास कर रहा है। इसकी वजह से आज ये फाइव स्टार रैकिंग में शामिल हो चुका है। बदलाव की इस बयार का ही नतीजा है कि कोरोना काल में इस विद्यालय से 15 से ज्यादा बच्चे कांवेंट स्कूल से नाम कटवाकर यहां प्रवेश ले चुके हैं।


प्रोजेक्टर पर सजती हैं कक्षाएं

प्रधानाध्यापक सरिता राय बताती हैं कि विद्यालय को संवारने के लिए सरकारी धनराशि के साथ अपनी सैलरी व अन्य सहयोगी शिक्षकों की मदद से विद्यालय में संसाधन जुटाए। वहीं फर्नीचर और प्रोजेक्टर की व्यवस्था उनकी खुद की बेटी और बेटे ने कर दिया। अब इस विद्यालय में बच्चों की कक्षाएं प्रोजेक्टर पर सजती हैं। गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप भी लगता है। वहीं बच्चों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं

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