लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब सरकारी
खर्च पर विदेश जाने का सुनहरा अवसर मिलेगा। डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय
पुनर्वास विश्वविद्यालय ने यह ऐतिहासिक पहल की है, जिसके तहत विश्वविद्यालय
के शिक्षक अब विदेशों में होने वाले सेमिनारों और संगोष्ठियों में भाग ले
सकेंगे। इस फैसले के तहत विश्वविद्यालय ने शिक्षकों के विदेश यात्रा खर्च
को वहन करने का निर्णय लिया है।
शिक्षकों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लेने का मौका
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का यह कदम
शिक्षकों को न केवल अपने ज्ञान और अनुभव को बढ़ाने का अवसर देगा, बल्कि
उनके शोध कार्य और शैक्षिक क्षमताओं को भी नया आयाम देगा। विवि प्रशासन ने
यह निर्णय लिया है ताकि शिक्षक नए करिकुलम और पाठ्यक्रम में हो रहे बदलावों
से अपडेट रह सकें और अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक परिवेश में अपनी भागीदारी
सुनिश्चित कर सकें।
नई व्यवस्था: राज्य और विदेशों में सेमिनार में भागीदारी के लिए आर्थिक सहायता
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जारी किए गए नए नियमों के तहत, शिक्षक
राज्य स्तर पर आयोजित संगोष्ठियों में भाग लेने के लिए 20,000 रुपये तक की
आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकेंगे। यह राशि उन्हें हर दो साल में एक बार दी
जाएगी। वहीं, विदेशों में आयोजित होने वाली संगोष्ठियों में भाग लेने के
लिए प्रत्येक शिक्षक को चार साल में एक बार एक लाख रुपये की राशि दी जाएगी।
पीएचडी स्कॉलरों को भी मिलेगा फायदा
इस योजना का लाभ केवल शिक्षकों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि विवि के
पीएचडी स्कॉलरों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। शोधार्थियों को पूरे शोध
कार्य के दौरान एक बार 20,000 रुपये तक की सहायता दी जाएगी, ताकि वे
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भाग ले सकें और अपनी शोध
प्रक्रिया को और अधिक समृद्ध बना सकें। यह योजना अगले साल से लागू हो
जाएगी।
शिक्षकों को सेमिनार आयोजन के लिए भी मिलेगा वित्तीय सहयोग
इसके अलावा, विवि ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब विश्वविद्यालय
के शिक्षकों को सेमिनार आयोजित करने के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाएगी।
वर्तमान में सेमिनारों में भाग लेने वाले शिक्षकों से रजिस्ट्रेशन शुल्क
लिया जाता है, जो बाद में लौटाया जाता है, लेकिन आयोजन के लिए पहले धन की
आवश्यकता होती है। इस समस्या को सुलझाने के लिए अब विश्वविद्यालय शिक्षकों
को 50,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की राशि प्रदान करेगा, जो सेमिनार
के बाद लौटाई जाएगी।
नवीनतम शैक्षिक अनुभव का लाभ मिलेगा
इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों और शोधार्थियों को नवीनतम शैक्षिक अनुभव से
जोड़ा जाना है, ताकि वे अपनी ज्ञान की सीमा का विस्तार कर सकें और
विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हों। इसके
माध्यम से, शिक्षक न केवल अपनी विशेषज्ञता को और बेहतर बना सकेंगे, बल्कि
वे अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक वातावरण से भी जुड़कर अपनी कार्यक्षमता में
वृद्धि कर सकेंगे।
यह
पहल उत्तर प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे
अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा भी अपनाए जाने की संभावना है, ताकि शिक्षक और
शोधकर्ता अपने कार्यक्षेत्र में और अधिक प्रगति कर सकें।
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