सुप्रीम कोर्ट को बताया, समिति ने दाखिल कर दी अपनी रिपोर्ट
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट- यूजी) कराने में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की कार्यप्रणाली की समीक्षा के बाद परीक्षा सुधारों पर सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की ओर से सुझाई गई सभी सिफारिशों को लागू करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दो अगस्त को विवादों से घिरे नीट-यूजी 2024 को रद्द करने से इन्कार करते हुए कहा था कि वर्तमान में रिकॉर्ड में ऐसी कोई पर्याप्त सामग्री नहीं है जो परीक्षा की शुचिता से समझौता करने वाले प्रणालीगत लीक या कदाचार का संकेत दे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बृहस्पतिवार को जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि केंद्र की ओर से नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है और सरकार सभी सिफारिशों को लागू करेगी। मामले को छह महीने बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई तीन महीने के लिए स्थगित की जाती है। इस विशेष अनुमति याचिका को अप्रैल महीने में सूचीबद्ध करें। पूरी रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है, क्योंकि इसमें प्रश्नों की छपाई जैसे मुद्दों के बारे में भी कुछ विवरण शामिल थे। ब्यूरो
मामला
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एनटीए की कई खामियों को किया गया था उजागर
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन के नेतृत्व में सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के दायरे का विस्तार किया था। समिति एनटीए की कार्यप्रणाली की समीक्षा करेगी और नीट-यूजी को पारदर्शी एवं कदाचार मुक्त बनाने के लिए संभावित सुधारों की सिफारिश करेगी।
■ विशेषज्ञ समिति के दायरे का विस्तार करते हुए शीर्ष अदालत ने झारखंड के हजारीबाग में एक परीक्षा केंद्र में सुरक्षा चूक का जिक्र किया था, जहां स्ट्रांगरूम का पिछला दरवाजा खोल दिया गया था और अनधिकृत लोगों को प्रश्नपत्रों तक पहुंचने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने ई-रिक्शा से प्रश्नपत्रों को पहुंचाने और उम्मीदवारों के बीच प्रश्नपत्रों के गलत सेट के वितरण सहित एनटीए की कई खामियों को चिह्नित किया था।
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