लखनऊ। परिषदीय शिक्षकों के लिए 10 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण होने पर चयन वेतनमान लगाए जाने का स्पष्ट प्रावधान है, लेकिन प्रदेश में हजारों शिक्षक तीन महीने पहले सेवा अवधि पूरी कर लेने के बावजूद अब तक चयन वेतनमान का इंतजार कर रहे हैं।
शिक्षकों का कहना है कि अधिकारियों ने शुरुआती प्रक्रिया के बाद पोर्टल मेंटेनेंस और तकनीकी समस्या का हवाला देकर चयन वेतनमान को रोक दिया है। तीन महीने बीत जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है, जिससे शिक्षक वर्ग में भारी नाराजगी है।
तकनीकी बहाने, जिम्मेदारों की उदासीनता
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि
-
चयन वेतनमान में देरी से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है
-
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से लेकर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री तक गुहार लगाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई
-
जिम्मेदार अधिकारी उच्च अधिकारियों के निर्देशों को भी नजरअंदाज कर रहे हैं
चयन वेतनमान में लापरवाही बरतने वाले 25 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की समीक्षा बैठक पिछले माह हो चुकी है, इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश में करीब 50 हजार शिक्षकों का चयन वेतनमान लंबित है।
2013–2014 भर्ती के शिक्षक सबसे ज्यादा प्रभावित
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, लखनऊ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि—
-
परिषदीय विद्यालयों में
-
29,000 विज्ञान–गणित शिक्षक
-
72,825 सहायक शिक्षक
-
की भर्ती को सितंबर में 10 वर्ष पूरे हो चुके हैं, फिर भी इन्हें चयन वेतनमान का लाभ नहीं मिला।
उन्होंने बताया कि मानव संपदा पोर्टल के चयन वेतनमान सेक्शन में तकनीकी खराबी बताकर प्रक्रिया रोक दी गई है, जिससे शिक्षकों की वेतन वृद्धि बाधित हो रही है।
अधिकार की बात पर बहाना : शिक्षक संघ
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा—
“शिक्षकों से विभागीय काम कराने में सारे नियम-कानून सख्ती से लागू किए जाते हैं, लेकिन जब शिक्षकों के अधिकार की बात आती है तो तकनीकी समस्या का बहाना बना दिया जाता है।”
उन्होंने मांग की कि—
-
चयन वेतनमान तत्काल प्रभाव से लगाया जाए
-
यदि पोर्टल में समस्या है, तो इसी महीने सभी शिक्षकों का ऑफलाइन चयन वेतनमान स्वीकृत किया जाए
बढ़ता असंतोष, आंदोलन की आशंका
चयन वेतनमान में लगातार हो रही देरी से शिक्षकों में हताशा और असंतोष बढ़ रहा है। यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो शिक्षक संगठन आंदोलनात्मक कदम उठाने पर भी विचार कर सकते हैं।