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लोकसभा में ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान, 2025’ विधेयक पेश, विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति

लोकसभा में सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान, 2025’ विधेयक पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वतंत्र स्व-शासन (Autonomous Governance) प्रदान करना है। हालांकि, विधेयक के पेश होते ही विपक्षी दलों ने इसे लेकर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराईं।

विपक्ष के विरोध को देखते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक को लेकर सदस्यों को असहज नहीं होना चाहिए था। लेकिन चूंकि विरोध सामने आया है, इसलिए सरकार इसे संसद की संयुक्त समिति (JPC) को भेजने का अनुरोध कर रही है, ताकि सभी पक्षों की राय पर विचार किया जा सके।


विपक्ष का आरोप: स्वायत्तता पर हमला और हिंदी थोपने की कोशिश

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है। उन्होंने आशंका जताई कि इससे केंद्र का नियंत्रण बढ़ेगा और संस्थानों की स्वतंत्र निर्णय क्षमता प्रभावित होगी।

आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, कांग्रेस की एस जोतिमणि और डीएमके के टीवी सेल्वागणपति ने भी विधेयक का विरोध किया।
जोतिमणि और सेल्वागणपति ने आरोप लगाया कि यह विधेयक तमिलनाडु जैसे राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश है, जो संघीय ढांचे के खिलाफ है।


सरकार का पक्ष: आशंकाएं निराधार

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक को लेकर जताई जा रही आशंकाएं उचित नहीं हैं। सरकार का उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और समन्वित बनाना है, न कि राज्यों या संस्थानों की स्वायत्तता छीनना।


विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख बदलाव

‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान, 2025’ विधेयक के तहत उच्च शिक्षा क्षेत्र में कई अहम बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं—

  1. उच्च शिक्षा के लिए कानूनी आयोग का गठन

    • यह आयोग नीति निर्धारण और विभिन्न संस्थानों के बीच समन्वय को लेकर सरकार को सलाह देगा।

  2. शैक्षणिक मानकों का निर्धारण

    • परीक्षा प्रणाली, परिणाम प्रक्रिया, छात्रों की आवाजाही (मोबिलिटी) और

    • शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता व मानदंड तय किए जाएंगे।


आगे क्या?

अब सरकार इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की तैयारी में है। समिति की रिपोर्ट के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि विधेयक में क्या संशोधन किए जाएंगे और इसका अंतिम स्वरूप कैसा होगा।

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