🔍 समायोजन 3.0 को लेकर भ्रम क्यों?
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में इन दिनों समायोजन 3.0 को लेकर भारी गहमागहमी बनी हुई है। कारण स्पष्ट है —
इस बार सचिव स्तर से कोई विस्तृत दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए, बल्कि समायोजन का पूरा दायित्व जनपदीय समितियों पर छोड़ दिया गया है।
👉 इसका परिणाम यह हुआ कि हर जनपद में अलग-अलग नियम, अलग प्रक्रिया और अलग व्याख्या देखने को मिल रही है, जो न केवल अव्यवस्थित है बल्कि कानूनी रूप से भी प्रश्नों के घेरे में है।
📌 समायोजन 3.0 : जनपदों में क्या स्थिति है?
वर्तमान में अलग-अलग जिलों में समायोजन 3.0 को लेकर निम्न प्रकार की स्थिति सामने आ रही है—
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✔️ कुछ जनपदों में इसे स्वेच्छिक समायोजन बताया जा रहा है
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❌ कुछ जिलों में अनिवार्य कनिष्ठ समायोजन थोपा जा रहा है
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❌ कुछ जिलों में अनिवार्य वरिष्ठ समायोजन लागू किया जा रहा है
जबकि कानून और न्यायालय के आदेश कुछ और ही कहते हैं।
⚖️ कोर्ट का स्पष्ट रुख: जबरदस्ती समायोजन अवैध
माननीय न्यायालय द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि—
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🔴 कनिष्ठ अनिवार्य समायोजन को
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वर्ष 2018 में
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तथा पुनः 2024 में
सिरे से खारिज किया जा चुका है
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🔴 “Last In First Out” का सिद्धांत भी न्यायालय द्वारा निरस्त किया जा चुका है
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🔴 समायोजन कनिष्ठ हो या वरिष्ठ — जबरदस्ती नहीं किया जा सकता
👉 इसका सीधा अर्थ है कि कोई भी शिक्षक अनैच्छिक समायोजन के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
🏫 एकल और शिक्षकविहीन विद्यालय: जिम्मेदारी किसकी?
यदि किसी विद्यालय में—
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केवल एक शिक्षक है
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या विद्यालय शिक्षकविहीन हो गया है
और यह स्थिति सचिव / BSA / BEO की प्रशासनिक त्रुटियों से उत्पन्न हुई है, तो—
❗ इसका खामियाजा उन शिक्षकों को नहीं भुगतना चाहिए
जो अपने वर्तमान विद्यालय से स्थानांतरण नहीं चाहते।
🚫 दबाव, धमकी और कार्यमुक्ति का सच
यह सही है कि—
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शिक्षकों पर मानसिक दबाव बनाया जा सकता है
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समायोजन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए डराया-धमकाया जा सकता है
लेकिन ❌
👉 किसी भी शिक्षक को जबरन कार्यमुक्त नहीं किया जा सकता
👉 ऐसा करना अवैध है और न्यायालय में टिक नहीं पाएगा
📢 शिक्षकों के लिए जरूरी अपील
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सभी कनिष्ठ शिक्षक साथी
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किसी भी प्रकार के अनैच्छिक / अनिवार्य समायोजन में सम्मिलित न हों
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अपने कानूनी अधिकारों के प्रति सजग रहें
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आवश्यकता पड़ने पर संगठित विरोध दर्ज कराएं
✅ समायोजन 3.0: क्या वैध है और क्या नहीं?
✔️ वैध
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केवल एकल एवं शिक्षकविहीन विद्यालयों के लिए
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स्वेच्छा आधारित समायोजन
❌ अवैध
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अनिवार्य कनिष्ठ समायोजन
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अनिवार्य वरिष्ठ समायोजन
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Last In First Out के आधार पर समायोजन
🧠 निष्कर्ष (Conclusion)
समायोजन 3.0 को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों से बचना बेहद जरूरी है।
न्यायालय का रुख स्पष्ट है —
👉 अनिवार्य समायोजन अवैध है, चाहे वह कनिष्ठ का हो या वरिष्ठ का।
शिक्षकों को चाहिए कि वे
✔️ कानून जानें
✔️ दबाव में न आएं
✔️ अपने अधिकारों की रक्षा करें