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69000 सहायक अध्यापक भर्ती: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सेवा समाप्ति व नियुक्ति निरस्त करने वाले आदेश रद्द

प्रयागराज। 69000 सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और राहतभरा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में सद्भावनापूर्ण दृष्टि से सहानुभूतिपूर्ण नजरिया अपनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी सेवा समाप्ति आदेश, चयन परिणाम और नियुक्ति पत्र से संबंधित सभी आदेशों को निरस्त कर दिया है।

अदालत ने माना कि चयन एवं नियुक्ति प्रक्रिया में हुई जांच और मानव संसाधन से जुड़ी त्रुटि गैर-इरादतन थी। कोर्ट के अनुसार, यह कोई जानबूझकर की गई गलती नहीं थी, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर हुई चूक थी, जिसका खामियाजा अभ्यर्थियों को नहीं भुगतना चाहिए।

राज्य सरकार को भविष्य सुरक्षित करने का अधिकार

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के पास यह अधिकार है कि वह ऐसी सद्भावनापूर्ण त्रुटियों से प्रभावित व्यक्तियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करे। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासनिक गलतियों के कारण चयनित अभ्यर्थियों की आजीविका और करियर को खतरे में नहीं डाला जा सकता।

न्यायमूर्ति मनीष चौहान की पीठ का आदेश

यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष चौहान ने 2019 की सहायक अध्यापक भर्ती से संबंधित याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए ऐसे मामलों में संतुलित और न्यायसंगत निर्णय आवश्यक है।

हजारों अभ्यर्थियों को राहत की उम्मीद

हाईकोर्ट के इस फैसले को 69000 सहायक अध्यापक भर्ती से जुड़े हजारों अभ्यर्थियों के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल प्रभावित शिक्षकों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है, बल्कि भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं में प्रशासनिक सतर्कता की भी आवश्यकता रेखांकित हुई है।

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