नई दिल्ली।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षक भर्ती से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि बीएड (स्पेशल एजुकेशन) डिग्रीधारक उम्मीदवारों को टीजीटी और पीजीटी (सामान्य विषयों) के पदों के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता, बशर्ते भर्ती विज्ञापन में इस योग्यता को स्पष्ट रूप से बाहर न किया गया हो।
न्यायमूर्ति नवीन चावला एवं न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) सहित अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के आदेशों को बरकरार रखा।
याचिकाओं में कैट के उन आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिनमें बीएड (स्पेशल एजुकेशन) डिग्रीधारक उम्मीदवारों को टीजीटी और पीजीटी पदों के लिए पात्र माना गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि बीएड (जनरल) और बीएड (स्पेशल एजुकेशन) अलग-अलग योग्यताएं हैं और इन्हें समान नहीं माना जा सकता।
विज्ञापन में रोक नहीं, तो अयोग्यता नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बीएड (स्पेशल एजुकेशन) आमतौर पर विशेष शिक्षकों के लिए होती है, लेकिन संबंधित भर्ती विज्ञापनों में कहीं भी इस योग्यता को अपात्र घोषित नहीं किया गया था। विज्ञापन में केवल “डिग्री/डिप्लोमा इन टीचिंग” की शर्त थी, जिसे बीएड (स्पेशल एजुकेशन) धारक भी पूरा करते हैं।
पीठ ने स्पष्ट किया कि जब विज्ञापन में किसी योग्यता पर रोक नहीं है, तो बाद में उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराना कानूनी रूप से उचित नहीं है।
RCI के हलफनामे का भी उल्लेख
न्यायालय ने भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI) के हलफनामे का उल्लेख करते हुए कहा कि बीएड (स्पेशल एजुकेशन) धारक सामान्य छात्रों को पढ़ाने में भी सक्षम होते हैं। उन्हें अतिरिक्त एवं विशेष प्रशिक्षण प्राप्त होता है, जिससे उनकी योग्यता और मजबूत होती है।
इस मामले में प्रतिवादी उमा रानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने अपनी टीम के साथ पैरवी की। अदालत ने उनके तर्कों को स्वीकार करते हुए कैट के आदेशों को सही ठहराया।
हजारों अभ्यर्थियों को राहत
यह निर्णय शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में स्पष्टता, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा। साथ ही इससे बीएड (स्पेशल एजुकेशन) डिग्रीधारक हजारों अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है।