लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राजस्व लेखपाल भर्ती प्रक्रिया के दौरान आरक्षण संबंधी विसंगतियों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि सरकारी भर्तियों में आरक्षण प्रावधानों के पालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही या त्रुटि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
श्रेणीवार रिक्तियों की दोबारा समीक्षा शुरू
मुख्यमंत्री के सीधे हस्तक्षेप के बाद अब राजस्व परिषद ने श्रेणीवार रिक्त पदों के आंकड़ों की पुनः समीक्षा शुरू कर दी है। परिषद संशोधित अधियाचन तैयार कर एक सप्ताह के भीतर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) को भेजने की तैयारी में है, ताकि लेखपाल भर्ती प्रक्रिया पूर्णतः नियमसम्मत तरीके से आगे बढ़ सके।
लंबवत और क्षैतिज आरक्षण का अनिवार्य पालन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि सरकारी भर्तियों में
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लंबवत (Vertical Reservation)
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क्षैतिज (Horizontal Reservation)
दोनों प्रकार के आरक्षण का अक्षरशः पालन करना न केवल कानूनी दायित्व है, बल्कि सामाजिक न्याय की मूल भावना भी है। उन्होंने सभी विभागों को चेतावनी दी कि आरक्षण से जुड़े मामलों में किसी भी प्रकार की विसंगति पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी।
7,994 पदों के विज्ञापन के बाद सामने आई थी विसंगति
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2025 को जारी किए गए राजस्व लेखपाल के 7,994 पदों के विज्ञापन के बाद यह तथ्य सामने आया कि विभिन्न जनपदों से भेजे गए श्रेणीवार रिक्तियों के आंकड़ों में गंभीर विसंगतियां थीं। इसी के चलते अब राजस्व परिषद द्वारा
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श्रेणीवार कार्यरत पद
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श्रेणीवार रिक्त पद
की गणना दोबारा सत्यापित की जा रही है, ताकि संशोधित अधियाचन पूरी तरह त्रुटिरहित हो।
राजस्व परिषद का बयान
राजस्व परिषद की सचिव कंचन वर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद परिषद ने प्राथमिकता के आधार पर सभी आंकड़ों की समीक्षा शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि संशोधित अधियाचन आयोग को भेजे जाने के बाद लेखपाल भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी, विवाद-मुक्त और आरक्षण प्रावधानों के पूर्ण अनुपालन के साथ आगे बढ़ेगी।
युवाओं के भविष्य से जुड़ा अहम संदेश
प्रदेश सरकार ने दो टूक कहा है कि आरक्षण व्यवस्था में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ स्वीकार नहीं की जाएगी। युवाओं के भविष्य से जुड़ी भर्तियों में
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पारदर्शिता
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जवाबदेही
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कानून सम्मत प्रक्रिया
सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। लेखपाल भर्ती में किया गया यह हस्तक्षेप न केवल वर्तमान प्रक्रिया को सुधारने वाला कदम है, बल्कि आने वाली सभी सरकारी भर्तियों के लिए भी एक सख्त संदेश है।