प्रयागराज। भर्ती संस्थाओं में पारदर्शिता की कमी और मनमाने निर्णयों के विरोध में चल रहे छात्र आंदोलनों को संगठित और प्रभावी रूप देने के लिए मंगलवार को विभिन्न छात्र संगठनों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। बैठक का नेतृत्व प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने किया। इसमें प्रदेश के कई प्रमुख छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में सोमवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) पर हुए प्रदर्शन के दौरान कथित राजनीतिक हस्तक्षेप की कड़ी निंदा की गई। छात्र नेताओं ने स्पष्ट कहा कि भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़े आंदोलनों को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखा जाना जरूरी है।
समन्वय समिति के गठन का निर्णय
बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि भर्ती संस्थाओं के मनमाने रवैये के खिलाफ संघर्ष और आंदोलनों के संचालन के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति आगे की रणनीति तय करने के लिए विभिन्न स्थानों पर प्रतियोगी छात्रों के साथ बैठकें करेगी और आंदोलन को व्यापक समर्थन दिलाने का प्रयास करेगी।
छात्र संगठनों ने स्पष्ट किया कि आंदोलन में सभी राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों से सहयोग लिया जाएगा, लेकिन किसी भी प्रदर्शन में राजनीतिक दलों के झंडे-बैनर या समर्थन-विरोध में नारेबाजी की अनुमति नहीं होगी। आंदोलन पूरी तरह छात्र हितों और भर्ती पारदर्शिता के मुद्दों पर केंद्रित रहेगा।
बैठक में ये रहे प्रमुख चेहरे
इस बैठक में प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति से प्रशांत पांडेय, प्रतियोगी छात्र प्रतिनिधिमंडल के संयोजक शीतला प्रसाद ओझा, कृषि प्रतियोगी छात्रसंघ से अभिनव मिश्रा, प्रतियोगी छात्र महासंघ से बेट्टू बाजपेयी, छात्र ज्ञान संघ से ज्ञान शुक्ला, समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी संघर्ष कमेटी से संदीप अग्रहरि सहित राघवेंद्र तिवारी, मो. रिजवी, आशीष सिंह, भीमराज, प्रवीण गुप्ता, अर्चना सिंह, श्वेता तिवारी, नीरज मिश्रा और सचिन उपस्थित रहे।
संयुक्त प्रतियोगी छात्र हुंकार मंच देगा ज्ञापन
सोमवार को हुए आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले संयुक्त प्रतियोगी छात्र हुंकार मंच के संयोजक पंकज पांडेय के धरना स्थल पर अनुपस्थित रहने को लेकर सवाल उठे। इस पर पंकज पांडेय ने स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा नजरबंद किए जाने के कारण वह मौके पर नहीं पहुंच सके।
उन्होंने मंगलवार को ऑनलाइन बैठक कर कहा कि छात्रों की मूल मांगें यथावत हैं। इन्हीं मांगों को लेकर बुधवार को यूपीपीएससी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। साथ ही 21 दिसंबर को आमसभा आयोजित की जाएगी, जिसमें सहमति के आधार पर आगे की आंदोलन रणनीति तय होगी। पंकज पांडेय ने यह भी संकेत दिया कि नए साल की शुरुआत में एक दिवसीय बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
निष्कर्ष:
भर्ती संस्थाओं की कार्यप्रणाली को लेकर बढ़ते असंतोष के बीच छात्र संगठनों का एकजुट होना संकेत देता है कि आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज हो सकता है। समन्वय समिति के गठन से छात्र आंदोलन को नया ढांचा और दिशा मिलने की उम्मीद है।