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यूपी बोर्ड का ऐतिहासिक फैसला: लिंग परिवर्तन कराने वाले छात्रों को मिलेगा संशोधित प्रमाणपत्र

 लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) ने अपनी दशकों पुरानी व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए अब लिंग परिवर्तन कराने वाले परीक्षार्थियों के शैक्षिक प्रमाणपत्र संशोधित नाम और लिंग के साथ जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूपी बोर्ड के 100 साल से अधिक के इतिहास में यह पहली बार हुआ है।


🔁 12 साल बाद बदला हाईस्कूल प्रमाणपत्र

लखनऊ की एक छात्रा, जिसने—

  • वर्ष 2013 में हाईस्कूल

  • और 2015 में इंटरमीडिएट

की परीक्षा यूपी बोर्ड से पास की थी, उसने बाद में लिंग परिवर्तन कराकर लड़के के रूप में पहचान प्राप्त की। सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसने यूपी बोर्ड से संशोधित नाम के आधार पर 10वीं और 12वीं के नए प्रमाणपत्र जारी करने का अनुरोध किया।

👉 बोर्ड ने हाईस्कूल पास करने के 12 साल बाद और इंटरमीडिएट के 10 साल बाद संशोधित प्रमाणपत्र लड़के के नाम से जारी कर दिए


⚖️ हाईकोर्ट के आदेश के बाद बदला बोर्ड का रुख

केस टू: बरेली क्षेत्रीय कार्यालय

यूपी बोर्ड के बरेली क्षेत्रीय कार्यालय ने भी हाल ही में—

  • लिंग परिवर्तन कर पुरुष बनी महिला
    का संशोधित प्रमाणपत्र जारी किया है।

हालांकि पहले क्षेत्रीय कार्यालय ने इस आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने
👉 ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

🔹 हाईकोर्ट ने—

  • यूपी बोर्ड के इनकार आदेश को रद्द कर दिया

  • और शैक्षिक अभिलेखों में संशोधन कर

  • नए प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिए


🏛️ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जारी हुए निर्देश

यूपी बोर्ड के इस फैसले की नींव सुप्रीम कोर्ट के 17 अक्टूबर 2025 के आदेश से पड़ी। इसके अनुपालन में—

  • बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने

  • 28 नवंबर को

  • सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के अपर सचिवों

  • और जिला विद्यालय निरीक्षकों (DIOS)

को स्पष्ट निर्देश जारी किए।

निर्देशों में क्या कहा गया?

  • ✔️ लिंग परिवर्तन के बाद प्रमाणपत्र संशोधन किया जाए

  • ✔️ ट्रांसजेंडर छात्रों व कर्मचारियों के लिए

    • सुरक्षित

    • समावेशी

    • भेदभाव-मुक्त वातावरण सुनिश्चित किया जाए

  • ❌ किसी भी प्रकार का उत्पीड़न बर्दाश्त न किया जाए


🧾 डीएम प्रमाणपत्र के आधार पर होता है संशोधन

लिंग परिवर्तन से जुड़े मामलों में—

  1. जिलाधिकारी (DM) द्वारा प्रमाणपत्र जारी किया जाता है

  2. इसके लिए मेडिकल बोर्ड से चिकित्सकीय जांच होती है

  3. डीएम की रिपोर्ट के आधार पर—

    • यूपी बोर्ड प्रमाणपत्र

    • आधार कार्ड

    • पैन कार्ड

    • अन्य सरकारी दस्तावेज

में संशोधन किया जा सकता है।


⛔ पहले निरस्त हो जाते थे आवेदन

इससे पहले यूपी बोर्ड में—

  • लिंग परिवर्तन के आधार पर

  • प्रमाणपत्र संशोधन के सभी आवेदन
    निरस्त कर दिए जाते थे

📌 उदाहरण:
2017 में लखनऊ के एक परीक्षार्थी ने—

  • 2011 के हाईस्कूल प्रमाणपत्र में

  • पुरुष से महिला बनने के बाद
    नाम परिवर्तन का अनुरोध किया था

लेकिन कोई नियम न होने के कारण बोर्ड ने मना कर दिया था


🌈 ट्रांसजेंडर अधिकारों की दिशा में बड़ा कदम

विशेषज्ञों के अनुसार—

यह फैसला न केवल ट्रांसजेंडर समुदाय के संवैधानिक अधिकारों को मजबूत करता है,
बल्कि शिक्षा व्यवस्था को अधिक संवेदनशील और समावेशी बनाता है।


🧠 निष्कर्ष

यूपी बोर्ड का यह फैसला—

  • ट्रांसजेंडर अधिकारों की दिशा में मील का पत्थर

  • सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का व्यावहारिक अनुपालन

  • और शिक्षा व्यवस्था में समानता का संदेश देता है।

आने वाले समय में यह निर्णय
👉 अन्य बोर्डों और विश्वविद्यालयों के लिए भी मॉडल बन सकता है।

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