इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भरण-पोषण कानून को लेकर एक अहम और स्पष्ट फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि किसी महिला की पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं हुई है, तो वह दूसरे पुरुष के साथ लंबे समय तक साथ रहने के बावजूद दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती। यह फैसला लिव-इन रिलेशनशिप, विवाह की वैधता और महिला के अधिकारों से जुड़े मामलों में मील का पत्थर माना जा रहा है।
पहली शादी रहते दूसरा रिश्ता कानूनी नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साफ किया कि पहली शादी के रहते किसी दूसरे पुरुष के साथ रहना, भले ही वह रिश्ता शादी जैसा क्यों न हो, महिला को पत्नी का कानूनी दर्जा नहीं देता। जब तक पहली शादी का विधिवत तलाक नहीं होता, तब तक महिला दूसरी जगह पत्नी के रूप में भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती।
धारा 125 सीआरपीसी का उद्देश्य नहीं हो सकता कमजोर
न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह ने अपने फैसले में कहा कि यदि ऐसी परंपरा को मान्यता दी जाती है, जिसमें कोई महिला पहली शादी खत्म किए बिना दूसरे व्यक्ति से भरण-पोषण मांगती है, तो इससे सीआरपीसी की धारा 125 का उद्देश्य और उसकी पवित्रता समाप्त हो जाएगी। साथ ही विवाह जैसी सामाजिक और कानूनी संस्था की गरिमा भी प्रभावित होगी।
ट्रायल कोर्ट का आदेश बरकरार
हाईकोर्ट ने महिला की पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया। ट्रायल कोर्ट ने पहले ही महिला की भरण-पोषण याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं हुई थी।
महिला के दावे और कोर्ट की टिप्पणी
याची महिला ने दावा किया था कि उसने जून 2009 में विपक्षी पुरुष से शादी की और दोनों करीब दस वर्षों तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे। महिला का कहना था कि उसके नाम आधार कार्ड और पासपोर्ट जैसे सरकारी दस्तावेजों में पत्नी के रूप में दर्ज हैं। बाद में क्रूरता और छोड़ दिए जाने के कारण उसने भरण-पोषण की मांग की।
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकारी दस्तावेजों में नाम दर्ज होना विवाह की वैधता का प्रमाण नहीं हो सकता, जब तक पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त न हुई हो।
लिव-इन रिलेशनशिप और भरण-पोषण कानून पर असर
यह फैसला उन मामलों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिलाएं भरण-पोषण की मांग करती हैं। कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भरण-पोषण का अधिकार तभी मिलेगा, जब विवाह कानूनन वैध हो।