UP Madrasa Teacher Bill Latest News:
उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान व अन्य सुविधाओं से जुड़े एक लंबे समय से विवादित विधेयक को औपचारिक रूप से वापस लेने का निर्णय कर लिया है। राज्य कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है।
यह विधेयक वर्ष 2016 में समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान लाया गया था, जिसे अब वापस ले लिया गया है।
2016 का मदरसा वेतन विधेयक क्यों नहीं हुआ लागू?
उत्तर प्रदेश मदरसा (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) विधेयक, 2016 को उस समय विधानसभा और विधान परिषद—दोनों सदनों से पारित किया गया था।
हालांकि:
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तत्कालीन राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी
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विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया
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अंतिम स्वीकृति न मिलने के कारण यह कभी लागू नहीं हो सका
सरकार ने क्यों लिया विधेयक वापस?
सूत्रों के अनुसार, सपा सरकार के समय इस विधेयक के जरिए मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए अन्य सरकारी विभागों से अलग नियम और व्यवस्था तय की जा रही थी, जिसे लेकर लगातार विवाद बना रहा।
वर्तमान सरकार का मानना है कि:
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अलग कानून से असमानता पैदा होती
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प्रशासनिक और कानूनी जटिलताएं बढ़तीं
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सामान्य कानून व्यवस्था प्रभावित होती
इन्हीं कारणों से अब इसे पूरी तरह वापस ले लिया गया है।
अब क्या बदलेगा?
विधेयक वापस होने के बाद:
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मदरसा शिक्षक और कर्मचारी सामान्य कानून व्यवस्था के दायरे में आएंगे
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यदि कोई शिक्षक या कर्मचारी कानून का उल्लंघन करता है, तो पुलिस सामान्य प्रक्रिया के तहत कार्रवाई कर सकेगी
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किसी विशेष संरक्षण या अलग कानूनी ढांचे की व्यवस्था नहीं होगी
राजनीतिक और प्रशासनिक मायने
इस फैसले को:
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प्रशासनिक समानता की दिशा में कदम
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मदरसा व्यवस्था को मुख्यधारा के नियमों से जोड़ने की पहल
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पुराने विवादों को समाप्त करने का प्रयास
के रूप में देखा जा रहा है।
निष्कर्ष
मदरसा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन भुगतान से जुड़ा वर्ष 2016 का विवादित विधेयक अब पूरी तरह इतिहास बन गया है। कैबिनेट के इस फैसले से एक लंबित और विवादास्पद अध्याय समाप्त हुआ है, वहीं अब मदरसा व्यवस्था भी अन्य शैक्षणिक संस्थानों की तरह सामान्य कानूनी ढांचे के अंतर्गत संचालित होगी।