मा0 सांसद
श्री राघव चड्ढा जी
सादर नमस्कार 🙏
**विषय:** 01 सितंबर 2025 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के “TET अनिवार्यता” संबंधी आदेश से प्रभावित देश के लगभग 95 लाख (25 लाख सरकारी एवं 70 लाख से अधिक गैर-सरकारी) शिक्षकों के हित में संसद में आवाज उठाने के संबंध में।
माननीय सांसद महोदय,
संसद में देश की आम जनता की आवाज को जिस स्पष्टता, तार्किकता एवं निर्भीकता के साथ आप प्रस्तुत करते हैं, वह सर्वविदित है। आपके प्रयासों से अनेक ऐसे विषयों पर राष्ट्र का ध्यान गया है, जिन पर पूर्व में समुचित विमर्श नहीं हो पाया था। आपने न केवल प्रश्न उठाए, बल्कि सरकार और संसद को समाधान की दिशा में आगे बढ़ने को भी विवश किया है।
इसी विश्वास के साथ हम देश के लगभग **95 लाख शिक्षकों एवं उनके करोड़ों परिजनों** की ओर से आपका ध्यान एक अत्यंत गंभीर एवं मानवीय संकट की ओर आकृष्ट कराना चाहते हैं।
महोदय, **01 सितंबर 2025** को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा **RTE अधिनियम** के संदर्भ में पारित आदेश के तहत देश के सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए **TET को अनिवार्य** कर दिया गया है। आदेश के अनुसार जिन शिक्षकों की सेवा में पाँच वर्ष से अधिक का समय शेष है, उन्हें **दो वर्ष के भीतर TET उत्तीर्ण करना अनिवार्य** होगा, अन्यथा उन्हें सेवा से बाहर किया जा सकता है।
यह तथ्य निर्विवाद है कि—
* **RTE अधिनियम 01 अप्रैल 2010** से लागू हुआ
* शिक्षक भर्ती से संबंधित शर्तों का नोटिफिकेशन **NCTE द्वारा 23 अगस्त 2010** को जारी हुआ
* इसका संशोधित स्वरूप **29 जुलाई 2011** से प्रभावी हुआ
सामान्य विधिक सिद्धांत यह है कि कोई भी कानून **अपने प्रवर्तन की तिथि से आगे** प्रभावी होता है, न कि पूर्वव्यापी रूप से। इसके बावजूद 01 सितंबर 2025 के आदेश द्वारा उन शिक्षकों पर भी **TET अनिवार्यता लागू कर दी गई है, जिनकी नियुक्ति RTE अधिनियम लागू होने से पूर्व हुई थी।**
इस आदेश के परिणामस्वरूप देश के लगभग **95 लाख शिक्षक एवं उनके परिवार आज जीविकोपार्जन के गंभीर संकट** में आ गए हैं।
माननीय सांसद महोदय,
यह आदेश—
* **अप्रत्याशित** है
* **अव्यवहारिक एवं असंवेदनशील** है
* **प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के प्रतिकूल** है
* तथा सेवा शर्तों में **पूर्वव्यापी हस्तक्षेप** का उदाहरण है
सेवा क्षेत्र में यह संभवतः पहला अवसर है जब किसी कानून के लागू होने से पूर्व नियुक्त कर्मचारियों पर बाद में बनी शर्तों को जबरन थोपा जा रहा है। यह स्थिति लाखों शिक्षकों और उनके करोड़ों परिवारों के साथ **घोर अन्याय** के समान है।
अतः देश के शिक्षक समाज की ओर से आपसे **सविनम्र निवेदन** है कि—
आगामी **बजट सत्र** में आप अपने **विधायी अधिकार एवं संवैधानिक भूमिका** का प्रयोग करते हुए इस विषय को संसद में उठाएँ और सदन को इस हेतु तैयार करें कि—
सरकार **RTE अधिनियम में आवश्यक संशोधन** हेतु विधेयक प्रस्तुत करे, जिससे
RTE लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को TET अनिवार्यता से **मुक्त** किया जा सके और
लाखों परिवारों की आजीविका **सुरक्षित** रह सके।
माननीय सांसद महोदय,
आज जब देश का शिक्षक समाज गहरे संकट में है, तब उसे आप जैसे युवा, संवेदनशील एवं बौद्धिक जनप्रतिनिधि से यह पूर्ण विश्वास है कि आप इस कठिन घड़ी में उसकी आवाज बनकर उसे न्याय दिलाने का हर संभव प्रयास करेंगे।
देश का शिक्षक समाज सदैव आपका आभारी रहेगा।
सादर
**(देश का शिक्षक समाज)**
🙏🙏