UP TET 2025: 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को बड़ी छूट?

 कानपुर। उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग की बड़ी खबर सामने आई है। टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को लेकर शिक्षक संगठनों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। मांग साफ है—2011 से पहले नियुक्त सरकारी शिक्षकों को TET अनिवार्यता से बाहर रखा जाए। इस मुद्दे ने अब राज्यव्यापी आंदोलन का रूप लेना शुरू कर दिया है।

NCTE TET Rule पर सवाल, पुराने शिक्षकों पर क्यों लागू?

शिक्षक संघों का कहना है कि NCTE द्वारा TET जुलाई 2011 से लागू किया गया था। इससे पहले नियुक्त शिक्षकों पर यह शर्त थोपना नियमों की गलत व्याख्या है। संघ के अनुसार, नियुक्ति के बाद वर्षों तक सेवा दे चुके शिक्षकों से दोबारा योग्यता साबित कराना न्यायसंगत नहीं है।

30 साल तक पढ़ाने वाले शिक्षक परीक्षा के दबाव में

प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने 25–30 वर्षों तक सरकारी स्कूलों में सेवा दी है। अब उन्हें TET पास न करने पर नौकरी और पदोन्नति पर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। इससे

  • मानसिक तनाव बढ़ रहा है

  • रिटायरमेंट प्लान प्रभावित हो रहा है

  • परिवार की आर्थिक सुरक्षा पर असर पड़ रहा है

शिक्षकों का कहना है कि अनुभव किसी लिखित परीक्षा से बड़ा होता है

दो साल की समय-सीमा को बताया अव्यावहारिक

सरकार द्वारा दी गई 2 साल में TET क्वालिफाई करने की शर्त को शिक्षक संगठनों ने पूरी तरह अव्यावहारिक बताया है। वरिष्ठ शिक्षकों के लिए यह शर्त न केवल कठिन है, बल्कि भेदभावपूर्ण भी है।

ज्ञापन सौंपा, सरकार से नीति में बदलाव की मांग

शिक्षक संघों ने जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर मांग की है:

  • 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को TET से स्थायी छूट

  • अनुभवी शिक्षकों के लिए अलग नियमावली

  • सेवा में रहते हुए अनावश्यक परीक्षा शर्त समाप्त

जनप्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया है कि इस विषय को राज्य सरकार और मुख्यमंत्री स्तर तक उठाया जाएगा।

UP Education Breaking News: आंदोलन की चेतावनी

यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो शिक्षक संगठनों ने राज्यव्यापी धरना, प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है। इससे यूपी की सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है।

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