कानपुर। उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग से जुड़ी एक बड़ी और संवेदनशील खबर सामने आई है। टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को लेकर शिक्षक संगठनों का गुस्सा अब खुलकर सामने आ गया है। मांग एक ही है—2011 से पहले नियुक्त अनुभवी सरकारी शिक्षकों को TET की बाध्यता से तुरंत मुक्त किया जाए। इस मुद्दे पर सरकार पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
NCTE TET नियम पर सीधा सवाल, पुराने शिक्षकों पर क्यों लागू?
शिक्षक संघों का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने TET को जुलाई 2011 से अनिवार्य किया था। इसके बावजूद इससे पहले नियुक्त शिक्षकों पर यह नियम लागू करना नियमों की मूल भावना के खिलाफ है।
संघ ने साफ कहा है कि नियुक्ति के समय जो शर्त नहीं थी, उसे वर्षों बाद थोपना अन्यायपूर्ण है।
30 साल सेवा दे चुके शिक्षक परीक्षा के डर में
प्रदेश में हजारों ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने 25–30 वर्षों तक सरकारी स्कूलों में पढ़ाया है। अब उन्हें TET पास न करने पर नौकरी, वेतन और पदोन्नति पर असर का डर सताने लगा है। इससे
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मानसिक तनाव तेजी से बढ़ रहा है
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रिटायरमेंट प्लान प्रभावित हो रहा है
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परिवार की आर्थिक सुरक्षा पर संकट गहरा रहा है
शिक्षकों का कहना है कि अनुभव को किसी लिखित परीक्षा से नहीं तोला जा सकता।
2 साल में TET पास करने की शर्त ने बढ़ाई परेशानी
सरकार द्वारा तय की गई दो साल में TET क्वालिफाई करने की समय-सीमा को वरिष्ठ शिक्षकों ने अव्यावहारिक और डर पैदा करने वाली बताया है। कई शिक्षक इसे प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष दबाव के रूप में देख रहे हैं।
ज्ञापन सौंपा, सरकार को दी आंदोलन की चेतावनी
शिक्षक संघों ने जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपकर स्पष्ट मांग रखी है:
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2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को TET से स्थायी छूट
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अनुभवी शिक्षकों के लिए अलग नियम और नीति
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सेवा में रहते हुए अनावश्यक परीक्षा समाप्त
जनप्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया है कि यह मामला सरकार और मुख्यमंत्री स्तर तक पहुंचाया जाएगा।
UP Education Alert: नहीं हुआ फैसला तो सड़क पर उतरेंगे शिक्षक
शिक्षक संगठनों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं आया, तो वे राज्यव्यापी धरना-प्रदर्शन, कार्य बहिष्कार और आंदोलन शुरू करेंगे। इससे उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था ठप होने का खतरा भी जताया जा रहा है।