सिपाहियों की भर्ती में धांधली का मामला
हाईकोर्ट ने सरकार को दिया जवाब का आखिरी मौका
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी पुलिस में सिपाहियों की भर्ती में कथित धांधली मामले में राज्य सरकार को जवाब का आखिरी मौका दिया है।
पहले दो बार समय दिए जाने के बावजूद शुक्रवार को भी सरकार की तरफ पक्ष पेश नहीं किया जा सका। अदालत ने इसके लिए आखिरी मौका देकर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को नियत की है। कोर्ट ने सरकार से फिर पूछा है कि आखिर मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित करने में देरी क्यों की जा रही है?
जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने शुक्रवार को यह आदेश 31 अभ्यर्थियों की लंबित याचिका पर दिया। इसमें चयन प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाकर इसे रद्द किए जाने की गुजारिश की गई है।याचियों के वकील विवेक पांडेय के मुताबिक, पहले कोर्ट ने सरकारी वकील केआग्रह पर सरकार से निर्देश लेने के लिए हफ्ते भर का वक्त दिया था।
इसके बाद 7 अप्रैल को फिर कोर्ट ने समय दिया, लेकिन निर्देश न मिलने की वजह से शुक्रवार को भी सरकार का पक्ष नहीं पेश किया जा सका। अब कोर्ट ने इसकेलिए सरकारी वकील को अंतिम मौका दिया है।
याचियों के वकील का आरोप है कि 41,610 सिपाहियों के पद वर्ष 2013 में विज्ञापित हुए थे। मुख्य परीक्षा के बाद इटावा व मैनपुरी जिलों के 34,000 आवेदक उत्तीर्ण घोषित किए गए। इससे पता चलता है कि चयन में धांधली हुई। याचिका में कई अन्य अनियमितताओं केभी आरोप हैं।
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हाईकोर्ट ने सरकार को दिया जवाब का आखिरी मौका
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पहले दो बार समय दिए जाने के बावजूद शुक्रवार को भी सरकार की तरफ पक्ष पेश नहीं किया जा सका। अदालत ने इसके लिए आखिरी मौका देकर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को नियत की है। कोर्ट ने सरकार से फिर पूछा है कि आखिर मुख्य परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित करने में देरी क्यों की जा रही है?
जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा ने शुक्रवार को यह आदेश 31 अभ्यर्थियों की लंबित याचिका पर दिया। इसमें चयन प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाकर इसे रद्द किए जाने की गुजारिश की गई है।याचियों के वकील विवेक पांडेय के मुताबिक, पहले कोर्ट ने सरकारी वकील केआग्रह पर सरकार से निर्देश लेने के लिए हफ्ते भर का वक्त दिया था।
इसके बाद 7 अप्रैल को फिर कोर्ट ने समय दिया, लेकिन निर्देश न मिलने की वजह से शुक्रवार को भी सरकार का पक्ष नहीं पेश किया जा सका। अब कोर्ट ने इसकेलिए सरकारी वकील को अंतिम मौका दिया है।
याचियों के वकील का आरोप है कि 41,610 सिपाहियों के पद वर्ष 2013 में विज्ञापित हुए थे। मुख्य परीक्षा के बाद इटावा व मैनपुरी जिलों के 34,000 आवेदक उत्तीर्ण घोषित किए गए। इससे पता चलता है कि चयन में धांधली हुई। याचिका में कई अन्य अनियमितताओं केभी आरोप हैं।
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