नियुक्तियां टलीं, 2 हजार कालेजों में अस्थायी प्रधानाचार्य
कानपुर, जागरण संवाददाता: तीन सदस्यों से काम न लेने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले व शिक्षकों के माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय पर हल्ला बोल के बाद एक बार फिर प्रधानाचार्यो की नियुक्तियां टल गयी हैं। इस सत्र में भी प्रदेश के तकरीबन 2000 कालेज कार्यवाहक प्रधानाचार्यो के हवाले रहेंगे।
यह त्रासदी प्रदेश सरकार के शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के अभियान पर पानी फेरने वाली होगी क्योंकि बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं।
विवादों का अखाड़ा बने चयन बोर्ड 1998 से संख्या में भर्तियां नहीं कर पा रहा है। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व विधान परिषद में विधायक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा व उनके साथियों ने चयन बोर्ड में नामित सदस्यों की अर्हता पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि प्रदेश के लगभग साढ़े चार हजार अनुदानित कालेजों में दो हजार से अधिक प्रधानाचार्यो व 95 हजार शिक्षक पदों में 40 फीसद पद सालों से खाली हैं। इधर प्रधानाचार्यो की भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही दलालों ने प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्तियों का रेट 15 से 20 लाख और एलटी ग्रेड के शिक्षक पद पर नियुक्ति का रेट 8 से 10 लाख रुपये खोल दिया। इसीलिए चयन बोर्ड पर हल्ला बोलना पड़ा। ऐसे में कालेजों में बेहतर पढ़ाई की कैसे उम्मीद की जा सकती है।
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चयनबोर्ड का सफरनामा
चयन बोर्ड बना : 1993
नियमावली बनी : 1995
पहली बार भर्तियां हुईं : 1996 में
दूसरी बार भर्तियां : 1998 में
कोर्ट में फंसे : 2011 से 13 के पद
अब विवाद : अध्यक्ष व 2 सदस्यों की अर्हता पर
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कालेजों की तस्वीर
प्रदेश में अनुदानित कालेज : 4609
स्थायी प्रधानाचार्यो नहीं : लगभग 2000
शिक्षकों के सृजित पद : 95000
शिक्षकों के खाली पद : 40 फीसद
जिले में कालेज : 113
स्थायी प्रधानाचार्य नहीं : 89
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यह त्रासदी प्रदेश सरकार के शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के अभियान पर पानी फेरने वाली होगी क्योंकि बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद खाली हैं।
विवादों का अखाड़ा बने चयन बोर्ड 1998 से संख्या में भर्तियां नहीं कर पा रहा है। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष व विधान परिषद में विधायक दल के नेता ओम प्रकाश शर्मा व उनके साथियों ने चयन बोर्ड में नामित सदस्यों की अर्हता पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि प्रदेश के लगभग साढ़े चार हजार अनुदानित कालेजों में दो हजार से अधिक प्रधानाचार्यो व 95 हजार शिक्षक पदों में 40 फीसद पद सालों से खाली हैं। इधर प्रधानाचार्यो की भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही दलालों ने प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्तियों का रेट 15 से 20 लाख और एलटी ग्रेड के शिक्षक पद पर नियुक्ति का रेट 8 से 10 लाख रुपये खोल दिया। इसीलिए चयन बोर्ड पर हल्ला बोलना पड़ा। ऐसे में कालेजों में बेहतर पढ़ाई की कैसे उम्मीद की जा सकती है।
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चयनबोर्ड का सफरनामा
चयन बोर्ड बना : 1993
नियमावली बनी : 1995
पहली बार भर्तियां हुईं : 1996 में
दूसरी बार भर्तियां : 1998 में
कोर्ट में फंसे : 2011 से 13 के पद
अब विवाद : अध्यक्ष व 2 सदस्यों की अर्हता पर
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कालेजों की तस्वीर
प्रदेश में अनुदानित कालेज : 4609
स्थायी प्रधानाचार्यो नहीं : लगभग 2000
शिक्षकों के सृजित पद : 95000
शिक्षकों के खाली पद : 40 फीसद
जिले में कालेज : 113
स्थायी प्रधानाचार्य नहीं : 89
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