टीईटी-2011 के टीआर अभिलेख में हेराफेरी
इलाहाबाद(ब्यूरो) । यूपी बोर्ड की ओर से 2011 में प्रदेश में पहली बार हुई टीईटी के घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है। टीईटी-2011 के टीआर अभिलेख में हेराफेरी के आरोप में बोर्ड के सचिव अमरनाथ वर्मा ने अभिलेख विभाग के प्रधान सहायक बृजनंदन एवं वरिष्ठ सहायक संतोष श्रीवास्तव पर निलंबन की कार्रवाई की है। सचिव ने इन दो कर्मचारियों को निलंबित करने के साथ ही अपर सचिव प्रशासन राजेंद्र प्रसाद को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में अंकों की हेराफेरी के आरोप के बाद तत्कालीन निदेशक से लेकर बोर्ड सचिव तक को जांच के घेरे में आना पड़ा था। तत्कालीन निदेशक संजय मोहन को जेल भी जाना पड़ा था। मामले जांच लंबित होने के कारण उसका पूरा रिजल्ट सील कर दिया गया था। टीईटी-2011 के आधार पर 72,825 शिक्षकों की भर्ती चल रही है। इस कारण से अभ्यर्थियों की मांग पर जांच एजेंसी से बोर्ड को रिजल्ट की सीडी मिली तो अभिलेख विभाग ने कंप्यूटर एजेंसी के जरिए टीआर शीट तैयार करवाई तो इसमें बोर्ड के इन कर्मचारियों की मिलीभगत से लगभग पांच सौ परीक्षार्थियों को गलत तरीके से शामिल करने की जानकारी हुई। टीआर अभिलेख में भी हेराफेरी का आरोप सामने आने के बाद 72,825 शिक्षकों की भर्ती फिर विवाद के घेरे में आ सकती है।
बोर्ड सचिव ने भले ही हेराफेरी में दो बाबुओं को जिम्मेदार बताकर उन्हें निलंबित कर दिया हो, लेकिन सवाल है कि क्या सिर्फ बाबुओं के इशारे पर कोई भी एजेंसी टीआर शीट में हेराफेरी कर सकती है।
ऐसे में पूरे मामले में अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। बोर्ड के सचिव सहित अन्य अधिकारियों की जवाबदेही भी इस मामले में बनती है। सचिव अमर नाथ वर्मा का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए अपर सचिव प्रशासन राजेंद्र प्रसाद को जांच अधिकारी बनाया गया है।
•यूपी बोर्ड सचिव ने दो सहायकों को निलंबित करने के साथ जांच बैठाई
•72,825 शिक्षकों की भर्ती पर हो सकता है विवाद
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शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 में अंकों की हेराफेरी के आरोप के बाद तत्कालीन निदेशक से लेकर बोर्ड सचिव तक को जांच के घेरे में आना पड़ा था। तत्कालीन निदेशक संजय मोहन को जेल भी जाना पड़ा था। मामले जांच लंबित होने के कारण उसका पूरा रिजल्ट सील कर दिया गया था। टीईटी-2011 के आधार पर 72,825 शिक्षकों की भर्ती चल रही है। इस कारण से अभ्यर्थियों की मांग पर जांच एजेंसी से बोर्ड को रिजल्ट की सीडी मिली तो अभिलेख विभाग ने कंप्यूटर एजेंसी के जरिए टीआर शीट तैयार करवाई तो इसमें बोर्ड के इन कर्मचारियों की मिलीभगत से लगभग पांच सौ परीक्षार्थियों को गलत तरीके से शामिल करने की जानकारी हुई। टीआर अभिलेख में भी हेराफेरी का आरोप सामने आने के बाद 72,825 शिक्षकों की भर्ती फिर विवाद के घेरे में आ सकती है।
बोर्ड सचिव ने भले ही हेराफेरी में दो बाबुओं को जिम्मेदार बताकर उन्हें निलंबित कर दिया हो, लेकिन सवाल है कि क्या सिर्फ बाबुओं के इशारे पर कोई भी एजेंसी टीआर शीट में हेराफेरी कर सकती है।
ऐसे में पूरे मामले में अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। बोर्ड के सचिव सहित अन्य अधिकारियों की जवाबदेही भी इस मामले में बनती है। सचिव अमर नाथ वर्मा का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए अपर सचिव प्रशासन राजेंद्र प्रसाद को जांच अधिकारी बनाया गया है।
•यूपी बोर्ड सचिव ने दो सहायकों को निलंबित करने के साथ जांच बैठाई
•72,825 शिक्षकों की भर्ती पर हो सकता है विवाद
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