नोएडा : प्रदेश में शिक्षा मित्र से प्रमोट होकर बने सहायक अध्यापकों की नियुक्ति
पर संकट के घने बादल मंडरा रहे हैं। टीचर एजुकेशन टेस्ट (टीईटी) पास किए
बगैर जिन शिक्षा मित्रों को सीधे सहायक अध्यापक के तौर पर प्रमोट किया गया
है, उनकी नियुक्ति रद हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में छह जुलाई को इस मामले
पर अहम सुनवाई होनी है।
इससे पहले की सुनवाई में देश की शीर्ष अदालत ने इसे काफी गंभीर मसला मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब फाइल करने को कहा था। अब सभी की निगाहें जुलाई के पहले सप्ताह में होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। प्रदेश सरकार के जवाब से यदि सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं होता है तो जिन लोगों ने टीईटी व बीटीसी परीक्षा पास की है, उनकी भी नियुक्ति रद हो सकती है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ऐसी स्थिति में प्रदेश के सभी 72 हजार 825 शिक्षकों की नियुक्ति रद करने की दिशा में आदेश दे सकता है।
अभी हाल ही में गौतमबुद्ध नगर को भी दूसरे चरण में करीब 297 सहायक अध्यापक मिले हैं। इन सभी को एक जुलाई से जिले के प्राथमिक विद्यालयों में अपना पदभार संभालना है। ऐसा माना जा रहा था कि इन अध्यापकों की नियुक्ति के बाद जिले के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का संकट खत्म हो सकेगा। फिलहाल इन उम्मीदों पर अब पानी फिरता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अगर शिक्षा मित्रों की सहायक अध्यापक के तौर पर की गई नियुक्ति को रद किया तो इसके साथ ही सभी 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति भी रद हो सकती है।
करीब दो माह पहले इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने टीईटी पास किए बगैर शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त किए जाने को काफी गंभीर मसला माना था। इस पर राज्य सरकार को नोटिस देकर जवाब भी मांगा था। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त किए गए सभी 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति रद हो सकती है, भले ही बाकी शिक्षकों ने जरूरी अर्हताओं को पूरा किया हो।
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इससे पहले की सुनवाई में देश की शीर्ष अदालत ने इसे काफी गंभीर मसला मानते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब फाइल करने को कहा था। अब सभी की निगाहें जुलाई के पहले सप्ताह में होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। प्रदेश सरकार के जवाब से यदि सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं होता है तो जिन लोगों ने टीईटी व बीटीसी परीक्षा पास की है, उनकी भी नियुक्ति रद हो सकती है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ऐसी स्थिति में प्रदेश के सभी 72 हजार 825 शिक्षकों की नियुक्ति रद करने की दिशा में आदेश दे सकता है।
अभी हाल ही में गौतमबुद्ध नगर को भी दूसरे चरण में करीब 297 सहायक अध्यापक मिले हैं। इन सभी को एक जुलाई से जिले के प्राथमिक विद्यालयों में अपना पदभार संभालना है। ऐसा माना जा रहा था कि इन अध्यापकों की नियुक्ति के बाद जिले के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का संकट खत्म हो सकेगा। फिलहाल इन उम्मीदों पर अब पानी फिरता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अगर शिक्षा मित्रों की सहायक अध्यापक के तौर पर की गई नियुक्ति को रद किया तो इसके साथ ही सभी 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति भी रद हो सकती है।
करीब दो माह पहले इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने टीईटी पास किए बगैर शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के तौर पर नियुक्त किए जाने को काफी गंभीर मसला माना था। इस पर राज्य सरकार को नोटिस देकर जवाब भी मांगा था। उसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था कि जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त किए गए सभी 72,825 शिक्षकों की नियुक्ति रद हो सकती है, भले ही बाकी शिक्षकों ने जरूरी अर्हताओं को पूरा किया हो।
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