शासन का शिक्षा में सुधार पर विशेष जोर है। इसके लिए तरह-तरह की
योजनाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन इसका असर परिषदीय विद्यालयों में
नहीं दिख रहा है। कहीं एक छात्र को दो शिक्षक पढ़ाते नजर आ रहे हैं, तो
कहीं शिक्षकों का रोना है। इस मनमानी को लेकर न तो शिक्षा विभाग न ही
प्रशासनिक अधिकारी गंभीर दिख रहे हैं।
प्राइवेट विद्यालयों की तरह ही शिक्षा ग्रहण परिषदीय विद्यालयों में कराई जाए, यह शासन की मंशा है। इसी मंशा के अनुरुप इस बार अप्रैल माह से ही सत्र की शुरूआत कर दी गई। छात्रों का नामांकन कराने का दावा है, लेकिन सब कुछ कागज में, जमीनी तस्वीर तो कुछ और ही बयां कर रही है। हकीकत जानने के लिए शुक्रवार को सुबह 9 जागरण टीम सलेमपुर विकास खंड के ग्राम इटहुआ चंदौली स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर पहुंची। यहां प्रधानाध्यापक शमीम अहमद व सहायक अध्यापक मौजूद थे। अकेले कक्षा सात का छात्र आनंद कुमार जमीन पर बैठकर पढ़ रहा था। कुछ ही दूरी पर रसोइया भी बैठी थी। प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में नौ छात्रों का नामांकन है। आए दिन वह बच्चे आते हैं और शिक्षा ग्रहण करते हैं। संयोग से आज नहीं आए हैं। पूछने पर पता चला कि इस विद्यालय में मध्याह्न भोजन नहीं बनता है। यहां के बच्चे प्राथमिक विद्यालय पर ही भेज दिए जाते हैं। रसोइया भी दिन भर बैठकर घर चली जाती है। यह तो एक बानगी है। यही हाल कई विद्यालयों की है। इस बाबत खंड शिक्षा अधिकारी विनोद तिवारी ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि इस समय पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या कुछ कम है।
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प्राइवेट विद्यालयों की तरह ही शिक्षा ग्रहण परिषदीय विद्यालयों में कराई जाए, यह शासन की मंशा है। इसी मंशा के अनुरुप इस बार अप्रैल माह से ही सत्र की शुरूआत कर दी गई। छात्रों का नामांकन कराने का दावा है, लेकिन सब कुछ कागज में, जमीनी तस्वीर तो कुछ और ही बयां कर रही है। हकीकत जानने के लिए शुक्रवार को सुबह 9 जागरण टीम सलेमपुर विकास खंड के ग्राम इटहुआ चंदौली स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय पर पहुंची। यहां प्रधानाध्यापक शमीम अहमद व सहायक अध्यापक मौजूद थे। अकेले कक्षा सात का छात्र आनंद कुमार जमीन पर बैठकर पढ़ रहा था। कुछ ही दूरी पर रसोइया भी बैठी थी। प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में नौ छात्रों का नामांकन है। आए दिन वह बच्चे आते हैं और शिक्षा ग्रहण करते हैं। संयोग से आज नहीं आए हैं। पूछने पर पता चला कि इस विद्यालय में मध्याह्न भोजन नहीं बनता है। यहां के बच्चे प्राथमिक विद्यालय पर ही भेज दिए जाते हैं। रसोइया भी दिन भर बैठकर घर चली जाती है। यह तो एक बानगी है। यही हाल कई विद्यालयों की है। इस बाबत खंड शिक्षा अधिकारी विनोद तिवारी ने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि इस समय पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों की संख्या कुछ कम है।
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