संभल। जिले के परिषदीय स्कूलों में सेवारत 2000 से अधिक शिक्षकों को अभी
तक किसी भी तरह की पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिल पा रहा है जबकि शासन ने
उनके लिए न्यू पेंशन स्कीम लागू कर दी है। अप्रैल 2005 के बाद सेवा में आए
राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए अंशदान के आधार पर न्यू पेंशन स्कीम
लागू की गई है। पेंशन स्कीम में एक हिस्सा कर्मचारी/शिक्षक को जमा करना है।
दूसरा हिस्सा सरकार जमा करेगी। इसे नेशनल पेंशन स्कीम की तरह संचालित किया जाएगा।
पेंशन के लिए कर्मचारी और शिक्षकों से उनके हिस्से की कटौती यूं तो सेवा में आने के तत्काल बाद की जानी है लेकिन यदि किसी वजह से देरी हो जाए तो पिछला अंशदान लेकर उसी तारीख से उसका लाभ दिया जाना है जब से उसकी नियुक्ति हुई है लेकिन परिषदीय शिक्षकों/ शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मामले में ऐसा नहीं हो सका है। जिन शिक्षकों की नियुक्तियां 2005 में हुईं थीं वे शिक्षक अभी तक अपने लिए अंशदान काटे जाने का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षक संगठनों ने अंशदान न काटे जाने का मुद्दा कई बार उठाया है लेकिन कहीं कोई समाधान नहीं निकल सका।
विभाग का पक्ष
संभल। मुरादाबाद में बेसिक शिक्षा परिषद के लेखाधिकारी विपिन कुमार वर्मा का कहना है कि नई पेंशन स्कीम तभी लागू हो सकेगी जब कटौती का सॉफ्टवेयर अपलोड हो जाए। उनका कहना है कि शासनादेश तो लागू है लेकिन वेतन के साफ्टवेयर में पेंशन के लिए धनराशि काटने का कोई ऑप्शन नहीं है। ऑप्शन की प्रतीक्षा की जा रही है। इस बारे में वित्त नियंत्रक की बैठक में भी कई बार मुद्दा उठा है। उन्होंने बताया कि राज्य कर्मचारियों का वेतन ट्रेजरी के माध्यम से जिस सॉफ्टवेयर से निकलता है उसमें कटौती का ऑप्शन है। यदि उसी से वेतन निकले तो दिक्कत नहीं आएगी।
यह कैसा मजाक 15 वर्ष का इंतजार
संभल। पेंशन की कटौती का जो शासनादेश 2005 में लागू हो जाना चाहिए था बेसिक शिक्षा परिषद में उसके लिए अब तक इंतजार करना पड़ रहा है। पेंशन नहीं मिल पा रही है। शिक्षकों का इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है पर किसी को कोई परवाह नहीं है।
जिले में 2000 से अधिक परिषदीय शिक्षकों को पेंशन का लाभ नहीं
पेंशन की कटौती का शासनादेश तो है पर लागू नहीं किया गया
सरकार ने नई पेंशन स्कीम की घोषणा की लेकिन उसे लागू नहीं किया। पुरानी पेंशन स्कीम भी बंद कर दी गई। ऐसे में शिक्षकों को संकट नजर आ रहा है। भविष्य में दिक्कत पैदा होगी।
मुनीश कुमार, शिक्षक देहपा।
नई पेंशन योजना लागू नहीं होने तक योजना में आने वाले शिक्षकों की दैनिक मजदूरों के जैसी स्थिति होगी। पेंशन से ही भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है। पेंशन योजना लागू नहीं होने से शिक्षकों को काफी नुकसान हो रहा है।
प्रदीप कुमार, शिक्षक, सिंहपुरसानी।
नई पेंशन योजना लागू नहीं होने की वजह से शिक्षकों का फंड नहीं कट पा रहा है। सारा वेतन मिल रहा है। जो खर्च हो जाता है। पेंशन का लाभ भविष्य के लिए होता है। हमें तो नई पेंशन योजना में नहीं बल्कि पुरानी ही पेंशन योजना में शामिल किया जाए।
सचिन कुमार, शिक्षक देहपा।
हमें अभी न तो नई पेंशन योजना में शामिल किया गया है और न ही पुरानी में। भविष्य में परेशानी आएगी। शिक्षक संघ ने शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने की मांग की है।
अजीत सिंह, शिक्षक, चंदावली।
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दूसरा हिस्सा सरकार जमा करेगी। इसे नेशनल पेंशन स्कीम की तरह संचालित किया जाएगा।
पेंशन के लिए कर्मचारी और शिक्षकों से उनके हिस्से की कटौती यूं तो सेवा में आने के तत्काल बाद की जानी है लेकिन यदि किसी वजह से देरी हो जाए तो पिछला अंशदान लेकर उसी तारीख से उसका लाभ दिया जाना है जब से उसकी नियुक्ति हुई है लेकिन परिषदीय शिक्षकों/ शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के मामले में ऐसा नहीं हो सका है। जिन शिक्षकों की नियुक्तियां 2005 में हुईं थीं वे शिक्षक अभी तक अपने लिए अंशदान काटे जाने का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षक संगठनों ने अंशदान न काटे जाने का मुद्दा कई बार उठाया है लेकिन कहीं कोई समाधान नहीं निकल सका।
विभाग का पक्ष
संभल। मुरादाबाद में बेसिक शिक्षा परिषद के लेखाधिकारी विपिन कुमार वर्मा का कहना है कि नई पेंशन स्कीम तभी लागू हो सकेगी जब कटौती का सॉफ्टवेयर अपलोड हो जाए। उनका कहना है कि शासनादेश तो लागू है लेकिन वेतन के साफ्टवेयर में पेंशन के लिए धनराशि काटने का कोई ऑप्शन नहीं है। ऑप्शन की प्रतीक्षा की जा रही है। इस बारे में वित्त नियंत्रक की बैठक में भी कई बार मुद्दा उठा है। उन्होंने बताया कि राज्य कर्मचारियों का वेतन ट्रेजरी के माध्यम से जिस सॉफ्टवेयर से निकलता है उसमें कटौती का ऑप्शन है। यदि उसी से वेतन निकले तो दिक्कत नहीं आएगी।
यह कैसा मजाक 15 वर्ष का इंतजार
संभल। पेंशन की कटौती का जो शासनादेश 2005 में लागू हो जाना चाहिए था बेसिक शिक्षा परिषद में उसके लिए अब तक इंतजार करना पड़ रहा है। पेंशन नहीं मिल पा रही है। शिक्षकों का इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है पर किसी को कोई परवाह नहीं है।
जिले में 2000 से अधिक परिषदीय शिक्षकों को पेंशन का लाभ नहीं
पेंशन की कटौती का शासनादेश तो है पर लागू नहीं किया गया
सरकार ने नई पेंशन स्कीम की घोषणा की लेकिन उसे लागू नहीं किया। पुरानी पेंशन स्कीम भी बंद कर दी गई। ऐसे में शिक्षकों को संकट नजर आ रहा है। भविष्य में दिक्कत पैदा होगी।
मुनीश कुमार, शिक्षक देहपा।
नई पेंशन योजना लागू नहीं होने तक योजना में आने वाले शिक्षकों की दैनिक मजदूरों के जैसी स्थिति होगी। पेंशन से ही भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है। पेंशन योजना लागू नहीं होने से शिक्षकों को काफी नुकसान हो रहा है।
प्रदीप कुमार, शिक्षक, सिंहपुरसानी।
नई पेंशन योजना लागू नहीं होने की वजह से शिक्षकों का फंड नहीं कट पा रहा है। सारा वेतन मिल रहा है। जो खर्च हो जाता है। पेंशन का लाभ भविष्य के लिए होता है। हमें तो नई पेंशन योजना में नहीं बल्कि पुरानी ही पेंशन योजना में शामिल किया जाए।
सचिन कुमार, शिक्षक देहपा।
हमें अभी न तो नई पेंशन योजना में शामिल किया गया है और न ही पुरानी में। भविष्य में परेशानी आएगी। शिक्षक संघ ने शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने की मांग की है।
अजीत सिंह, शिक्षक, चंदावली।
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