जागरण संवाददाता, अमरोहा: फर्जी प्रमाण-पत्रों के सहारे मास्टरी की नौकरी करने वाले नटवर लाल को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सोमवार को बर्खास्त कर दिया। लगातार दस साल तक विभाग से वेतन भी प्राप्त किया, बाद में शिकायत के आधार पर जांच शुरू हुई तो वह स्कूल छोड़कर ही गायब हो गया। विभाग भी दो से जांच प्रक्रिया में उलझा था, लेकिन बीएसए गिरवर ¨सह ने कार्रवाई करते हुए फरार शिक्षक को बर्खास्त कर दिया। इसके अलावा ऐसे ही एक दर्जन शिक्षक बीएसए के निशाने पर हैं।
उनके प्रमाण-पत्रों की जांच करायी जा रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग को 12 साल पता चला कि हसनपुर विकास खंड के गांव में दयावली खालसा में तैनात शिक्षक फर्जी है। मालूम हो कि जिला बिजनौर के गांव सरकथल माधो निवासी राम किशन की 24 अप्रैल 2003 को प्राथमिक विद्यालय दयावली खालसा में सहायक अध्यापक के पद नियुक्ति की गयी थी। नियुक्ति के बाद विभाग की ओर से प्रमाण-पत्रों का सत्यापन कराया गया, जिसके बाद उन्हें वेतन मिलता रहा। वर्ष 2013 तो सबकुछ ठीकठाक चलता रहा। लेकिन उसी साल सरकथल माधो गांव निवासी सुरेश कुमार ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिकायत की थी कि राम किशन का असली नाम सुनील कुमार है और वह उसके गांव का ही रहने वाला है। वह राम किशन नाम के युवक के प्रमाण-पत्रों पर नौकरी कर रहा है। शिकायत पर बेसिक शिक्षा विभाग में जांच शुरू हुई तो राम किशन फिर स्कूल की तरफ नहीं लौटे। वह लगातार दो साल से गैर हाजिर चल रहे थे। विभाग की ओर से उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक दो बार नहीं बल्कि पांच छह बार नोटिस जारी किए। अखबारों में भी विज्ञापन प्रकाशित कराया गया। मगर राम किशन ने तो नोटिस तामील किए और न कोई जवाब ही विभाग को दिया।
हसनपुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय दयावली खालसा में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात राम किशन ¨सह फर्जी प्रमाण-पत्रों के सहारे नौकरी कर रहा था। जबकि उसका वास्तविक नाम सुनील कुमार है। जांच शुरू होते ही उसने विद्यालय छोड़ दिया, लगातार दो साल से गैरहाजिर चल रहा था। लिहाजा सहायक अध्यापक राम किशन की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गयी हैं।
- गिरवर ¨सह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, अमरोहा।
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उनके प्रमाण-पत्रों की जांच करायी जा रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग को 12 साल पता चला कि हसनपुर विकास खंड के गांव में दयावली खालसा में तैनात शिक्षक फर्जी है। मालूम हो कि जिला बिजनौर के गांव सरकथल माधो निवासी राम किशन की 24 अप्रैल 2003 को प्राथमिक विद्यालय दयावली खालसा में सहायक अध्यापक के पद नियुक्ति की गयी थी। नियुक्ति के बाद विभाग की ओर से प्रमाण-पत्रों का सत्यापन कराया गया, जिसके बाद उन्हें वेतन मिलता रहा। वर्ष 2013 तो सबकुछ ठीकठाक चलता रहा। लेकिन उसी साल सरकथल माधो गांव निवासी सुरेश कुमार ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिकायत की थी कि राम किशन का असली नाम सुनील कुमार है और वह उसके गांव का ही रहने वाला है। वह राम किशन नाम के युवक के प्रमाण-पत्रों पर नौकरी कर रहा है। शिकायत पर बेसिक शिक्षा विभाग में जांच शुरू हुई तो राम किशन फिर स्कूल की तरफ नहीं लौटे। वह लगातार दो साल से गैर हाजिर चल रहे थे। विभाग की ओर से उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए एक दो बार नहीं बल्कि पांच छह बार नोटिस जारी किए। अखबारों में भी विज्ञापन प्रकाशित कराया गया। मगर राम किशन ने तो नोटिस तामील किए और न कोई जवाब ही विभाग को दिया।
हसनपुर विकास खंड के प्राथमिक विद्यालय दयावली खालसा में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात राम किशन ¨सह फर्जी प्रमाण-पत्रों के सहारे नौकरी कर रहा था। जबकि उसका वास्तविक नाम सुनील कुमार है। जांच शुरू होते ही उसने विद्यालय छोड़ दिया, लगातार दो साल से गैरहाजिर चल रहा था। लिहाजा सहायक अध्यापक राम किशन की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गयी हैं।
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