एडेड इंटर कॉलेजों के 1934 तदर्थ शिक्षक होंगे नियमित
7 अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्ति वालों को फायदा
लखनऊ। राज्य सरकार ने सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में तदर्थ शिक्षक के रूप में सालों से काम करने वाले 1934 तदर्थ शिक्षकों की झोली खुशियों से भर दी है। इंटर कॉलेजों में सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्ति पाने वाले इन शिक्षकों को स्थायी कर दिया गया है। इसमें कठिनाई निवारण आदेश के तहत नियुक्त 526 और तदर्थ रूप से नियुक्त 1408 शिक्षक शामिल हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) अध्यादेश (2015) के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसे विधान मंडल सत्र में विधेयक के रूप में रखा जाने का निर्णय किया गया। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद शिक्षक संघ के विभिन्न गुटों की सालों पुरानी मांग पूरी हो गई है।
प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त मौजूदा समय 4,511 इंटर कॉलेज हैं। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में संबद्ध प्राइमरी में शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार स्कूल प्रबंधन के पास है और इससे ऊपर के शिक्षकों व प्राचार्य की भर्ती उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है।
पूर्व में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 के अंतर्गत कठिनाई निवारण आदेश 1981 के अनुरूप कॉलेज प्रबंधन रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्तियां कर लेता था। इस कठिनाई निवारण आदेश के अंतर्गत बड़ी संख्या में नियुक्त शिक्षकों को न्यायालयों के आदेश पर वेतन दिया जा रहा है। मौजूदा समय इस श्रेणी के 526 शिक्षक सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं और इन्हें न्याय के आदेश पर वेतन दिया जा रहा है। इसी तरह चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत मंडलीय समिति रिक्त पदों पर शिक्षकों की तदर्थ भर्तियां कर लेता था। यह भर्तियां इस शर्त पर की गई कि चयन बोर्ड से नियुक्त होकर शिक्षकों के आने पर इनकी सेवाएं स्वत: समाप्त हो जाएंगी लेकिन ऐसे शिक्षकों ने न्यायालयों से आदेश लेकर काम करते हुए वेतन प्राप्त करते रहे। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 का संशोधन 30 दिसंबर 2000 को किया गया। इस संशोधन के फलस्वरूप प्रबंधतंत्र को प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी में तदर्थ आधार पर सीधी भर्ती, पदोन्नति से नियुक्ति करने का अधिकार नहीं रह गया। इसलिए 30 दिसंबर 2000 तक के 1408 तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने का निर्णय किया गया है।
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7 अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्ति वालों को फायदा
लखनऊ। राज्य सरकार ने सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में तदर्थ शिक्षक के रूप में सालों से काम करने वाले 1934 तदर्थ शिक्षकों की झोली खुशियों से भर दी है। इंटर कॉलेजों में सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक नियुक्ति पाने वाले इन शिक्षकों को स्थायी कर दिया गया है। इसमें कठिनाई निवारण आदेश के तहत नियुक्त 526 और तदर्थ रूप से नियुक्त 1408 शिक्षक शामिल हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) अध्यादेश (2015) के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसे विधान मंडल सत्र में विधेयक के रूप में रखा जाने का निर्णय किया गया। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद शिक्षक संघ के विभिन्न गुटों की सालों पुरानी मांग पूरी हो गई है।
प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद से सहायता प्राप्त मौजूदा समय 4,511 इंटर कॉलेज हैं। सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में संबद्ध प्राइमरी में शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार स्कूल प्रबंधन के पास है और इससे ऊपर के शिक्षकों व प्राचार्य की भर्ती उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है।
पूर्व में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 के अंतर्गत कठिनाई निवारण आदेश 1981 के अनुरूप कॉलेज प्रबंधन रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्तियां कर लेता था। इस कठिनाई निवारण आदेश के अंतर्गत बड़ी संख्या में नियुक्त शिक्षकों को न्यायालयों के आदेश पर वेतन दिया जा रहा है। मौजूदा समय इस श्रेणी के 526 शिक्षक सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं और इन्हें न्याय के आदेश पर वेतन दिया जा रहा है। इसी तरह चयन बोर्ड अधिनियम की धारा 18 के अंतर्गत मंडलीय समिति रिक्त पदों पर शिक्षकों की तदर्थ भर्तियां कर लेता था। यह भर्तियां इस शर्त पर की गई कि चयन बोर्ड से नियुक्त होकर शिक्षकों के आने पर इनकी सेवाएं स्वत: समाप्त हो जाएंगी लेकिन ऐसे शिक्षकों ने न्यायालयों से आदेश लेकर काम करते हुए वेतन प्राप्त करते रहे। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 का संशोधन 30 दिसंबर 2000 को किया गया। इस संशोधन के फलस्वरूप प्रबंधतंत्र को प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी में तदर्थ आधार पर सीधी भर्ती, पदोन्नति से नियुक्ति करने का अधिकार नहीं रह गया। इसलिए 30 दिसंबर 2000 तक के 1408 तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने का निर्णय किया गया है।
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