आज हाईकोर्ट में होगी सुनवाई , पांच हजार पेज की है रिपोर्ट
आगरा। बीएड फर्जी मार्कशीट का ‘व्यापार’ करने वालाें में डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी-अधिकारी, कालेज संचालक और कथित छात्र नेता भी शामिल हैं। इन्हीं मिलीभगत के चलते ही फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा खूब फलाफूला। देखते ही देखते हजाराें फर्जी छात्राें को बीएड धारक बना दिया। अब इनकी शामत आने वाली है। मंगलवार को हाईकोर्ट में लखनऊ की एसआईटी पांच हजार पेज की जांच रिपोर्ट पेश करने जा रही है।
बीएड फर्जी मार्कशीट के चलते हजारों अभ्यर्थी सहायक शिक्षक की नियुक्ति पा गए। इसका खुलासा तब हुआ जब मैनपुरी के सुनील कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट के निर्देश पर आगरा में विशेष जांच दल ने 2005-10 सत्र के बीच बीएड मार्कशीट की जांच शुरू की। इसमें हजारों की संख्या में फर्जी मार्कशीट मिलीं, जिनका विश्वविद्यालय के गोपनीय चार्ट में रिकार्ड था, लेकिन संबंधित कालेज में कोई ब्योरा नहीं मिला।
शुरूआत में कई आरोपियाें पर एफआईआर भी हुई, लेकिन बाद में प्रक्रिया सुस्त हो गई। इस पर याचिकाकर्ता ने टीम की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए तो इसके स्थान पर लखनऊ में टीम बनाई गई। यह टीम मंगलवार को कोर्ट में पांच हजार पेज की रिपोर्ट रखेगी। इसमें विश्वविद्यालय के सात आला अधिकारी और 22 कर्मचारियाें के नाम बताए जा रहे हैं। इसमें पांच के करीब कथित छात्र नेता भी हैं। इसकी जानकार से विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।
फर्जी डिग्री प्रकरण
मार्कशीट विद फर्स्ट डिवीजन को दो लाख
न ही कालेज का मुंह देखा और न ही पेपर दिए, फिर भी हाथ में बेहतर अंकों वाली मार्कशीट। अभ्यर्थियों से इसके लिए दो लाख रुपये तक वसूले गए। एसआईटी की रिपोर्ट में इसका जिक्र है।
आगरा। बीएड फर्जी मार्कशीट का ‘व्यापार’ करने वालाें में डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कर्मचारी-अधिकारी, कालेज संचालक और कथित छात्र नेता भी शामिल हैं। इन्हीं मिलीभगत के चलते ही फर्जी मार्कशीट का गोरखधंधा खूब फलाफूला। देखते ही देखते हजाराें फर्जी छात्राें को बीएड धारक बना दिया। अब इनकी शामत आने वाली है। मंगलवार को हाईकोर्ट में लखनऊ की एसआईटी पांच हजार पेज की जांच रिपोर्ट पेश करने जा रही है।
बीएड फर्जी मार्कशीट के चलते हजारों अभ्यर्थी सहायक शिक्षक की नियुक्ति पा गए। इसका खुलासा तब हुआ जब मैनपुरी के सुनील कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। कोर्ट के निर्देश पर आगरा में विशेष जांच दल ने 2005-10 सत्र के बीच बीएड मार्कशीट की जांच शुरू की। इसमें हजारों की संख्या में फर्जी मार्कशीट मिलीं, जिनका विश्वविद्यालय के गोपनीय चार्ट में रिकार्ड था, लेकिन संबंधित कालेज में कोई ब्योरा नहीं मिला।
शुरूआत में कई आरोपियाें पर एफआईआर भी हुई, लेकिन बाद में प्रक्रिया सुस्त हो गई। इस पर याचिकाकर्ता ने टीम की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाए तो इसके स्थान पर लखनऊ में टीम बनाई गई। यह टीम मंगलवार को कोर्ट में पांच हजार पेज की रिपोर्ट रखेगी। इसमें विश्वविद्यालय के सात आला अधिकारी और 22 कर्मचारियाें के नाम बताए जा रहे हैं। इसमें पांच के करीब कथित छात्र नेता भी हैं। इसकी जानकार से विश्वविद्यालय में हड़कंप मचा हुआ है।
फर्जी डिग्री प्रकरण
मार्कशीट विद फर्स्ट डिवीजन को दो लाख
न ही कालेज का मुंह देखा और न ही पेपर दिए, फिर भी हाथ में बेहतर अंकों वाली मार्कशीट। अभ्यर्थियों से इसके लिए दो लाख रुपये तक वसूले गए। एसआईटी की रिपोर्ट में इसका जिक्र है।
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