जांच रिपोर्ट में ये...
• हजारों की संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं मिले, जिनकी कालेज में 20 फीसदी भी हाजिरी नहीं थी, जबकि नियमानुसार कम से कम 70 प्रतिशत होनी चाहिए।
• मूल्यांकन में भी बड़ी गड़बड़ी सामने आई, कई कापियों में नंबर बढ़े हुए मिले। सबसे ज्यादा खेल प्रैक्टिकल में किया गया।
आगरा (ब्यूरो)। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री घोटाले में नित नए खुलासे हो रहे हैं। नई जानकारी यह सामने आई है कि विवि अधिकारियों और बाबुओं ने सिर्फ जाली मार्क्सशीट ही जारी नहीं की, बल्कि पूरे सिस्टम पर ही जालसाजी का जाल बिछा दिया। बीएड की जिन डिग्रियों का विवि में रिकार्ड मौजूद है, उनके पीछे भी फर्जीवाड़ा मिला है। ऐसे अभ्यर्थी भी पास हो गए, जो परीक्षा में गैरहाजिर रहे। जो परीक्षा में आधे से ज्यादा सवालों के जवाब छोड़ आए, उन्हें फर्स्ट डिवीजन मिल गई। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में इस खेल का भी पूरा उल्लेख किया गया है।
जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जाली मार्क्सशीट उन अभ्यर्थियों को जारी की गई, जिन्हें एनरोलमेंट नंबर नहीं मिल पाए। वजह यह रही कि कालेजों को सीट कम आवंटित थी, जबकि उन्हें दाखिले कर लिए ज्यादा। जिन कॉलेजों में 200-200 सीटें आवंटित थीं, उन्हें 400-400 प्रवेश दिए।
बीएड अभ्यर्थियों को भरोसा दिया गया कि विवि से बाद में सीटें बढ़ जाएंगी। जब ऐसा मुमकिन नहीं हुआ तो आवंटित सीटों से अतिरिक्त वाले अभ्यर्थियों को जाली मार्क्सशीट थमा दी गईं। लेकिन जिन्हें एनरोलमेंट नंबर जारी किए गए, उनमें से हजारों के रिकार्ड में जालसाजी मिली है। 11 अगस्त को हाईकोर्ट के सामने रखी जाने वाली एसआईटी जांच रिपोर्ट में इस खेल का खुलासा किया जा सकता है।
डा. बीआरए विश्वविद्यालय
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• हजारों की संख्या में ऐसे छात्र-छात्राएं मिले, जिनकी कालेज में 20 फीसदी भी हाजिरी नहीं थी, जबकि नियमानुसार कम से कम 70 प्रतिशत होनी चाहिए।
• मूल्यांकन में भी बड़ी गड़बड़ी सामने आई, कई कापियों में नंबर बढ़े हुए मिले। सबसे ज्यादा खेल प्रैक्टिकल में किया गया।
आगरा (ब्यूरो)। डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री घोटाले में नित नए खुलासे हो रहे हैं। नई जानकारी यह सामने आई है कि विवि अधिकारियों और बाबुओं ने सिर्फ जाली मार्क्सशीट ही जारी नहीं की, बल्कि पूरे सिस्टम पर ही जालसाजी का जाल बिछा दिया। बीएड की जिन डिग्रियों का विवि में रिकार्ड मौजूद है, उनके पीछे भी फर्जीवाड़ा मिला है। ऐसे अभ्यर्थी भी पास हो गए, जो परीक्षा में गैरहाजिर रहे। जो परीक्षा में आधे से ज्यादा सवालों के जवाब छोड़ आए, उन्हें फर्स्ट डिवीजन मिल गई। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में इस खेल का भी पूरा उल्लेख किया गया है।
जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जाली मार्क्सशीट उन अभ्यर्थियों को जारी की गई, जिन्हें एनरोलमेंट नंबर नहीं मिल पाए। वजह यह रही कि कालेजों को सीट कम आवंटित थी, जबकि उन्हें दाखिले कर लिए ज्यादा। जिन कॉलेजों में 200-200 सीटें आवंटित थीं, उन्हें 400-400 प्रवेश दिए।
बीएड अभ्यर्थियों को भरोसा दिया गया कि विवि से बाद में सीटें बढ़ जाएंगी। जब ऐसा मुमकिन नहीं हुआ तो आवंटित सीटों से अतिरिक्त वाले अभ्यर्थियों को जाली मार्क्सशीट थमा दी गईं। लेकिन जिन्हें एनरोलमेंट नंबर जारी किए गए, उनमें से हजारों के रिकार्ड में जालसाजी मिली है। 11 अगस्त को हाईकोर्ट के सामने रखी जाने वाली एसआईटी जांच रिपोर्ट में इस खेल का खुलासा किया जा सकता है।
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