जब शिक्षामित्र केस स्टार्ट हुआ था तब कुछ ही लोगो ने आर्थिक सहयोग किया। धीरे धीरे हम सभी एक दूसरे को जोड़ते रहे हमे थोडा थोडा सहयोग मिलने लगा, लेकिन तब भी आशा के अनुरूप सहयोग नही मिला।
पता नही क्या सोच के लोग नीरस बैठे थे लेकिन फिर भी लोगो को जगाने वाले लोग अपने मुहीम में लगे
सिर्फ ये सोच कर की एक दिन जब अपने पक्ष में केस का फैसला होगा तो जरूर घर में नीरस पड़े बीटीसी वालो को हमारी मेहनत और सबके उज्जवल भविष्य की राह दिखेगी।
वो दिन भी आया और हम लोग हाईकोर्ट से जीत भी गए । सब बहुत खुश थे सब के मुह में यही था की बधाई हो अब हम सब सुप्रीम कोर्ट में तन मन धन से सहयोग करेंगें।
लेकिन जीत के एक पड़ाव पहले हम लोग खड़े हैं बीटीसी को तो छोडो आम समाज को पता है की कौन सही है और जीतेगा।