शिक्षा मित्र मुद्दा 15 मई 2015 को हमारे द्वारा माननीय उच्त्तम नयायालय
में तब उठाया गया जब कुछ बीटीसी वाले भाई 11 मई 2015 को अपनी एसएलपी ख़ारिज
कराकर लौटे थे, तो ऐसा क्या किया था हिमाँशु राणा
और उसकी टीम ने कि इस मुद्दे पर नोटिस भी इशू हुआ और उसका माखोल लगातार
शिक्षा
मित्र गुटों के साथ-साथ कुछ क्षद्म टीईटी वालों के द्वारा भी उठाया गया जबकि मैं डीपी , अमित लगातार कहते आ रहे थे कि अब मामला सिविल अपील का तभी आगे बढेगा जब शिक्षा मित्र मुद्दा निस्तारित होगा और उसी सन्दर्भ में जब प्रदेश सुप्तावस्था में अन्य मुद्दों पर ठगा जा रहा था तब 6 जुलाई 2015 मात्र 51 वे दिन पर आपको स्थगनादेश दिलाया गया वो भी आईए संख्या 2,3/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths . पर.
तब प्रदेश में पैदा हुए तथाकथित मसीहा आदेश आने से पहले अपने आप को श्रे देते पाए गए जबकि 6 जुलाई का आदेश आते ही जिसमे आपकी उल्लेखित याचिका संख्या और अधिवक्ता का नाम देखकर उससे भी ज्यादा तीव्र गति से अपने बिल में घुस गए | चूकी अब लूटने का कोई प्रोग्राम नहीं बचा था तो खुद से भी आईए डाली गयी जिसको जज साहब ने बिना सुने ही कूड़ेदान में डाल दिया और वहां बची मात्र एक आईए शिक्षा मित्रों पर जो कि आज भी माननीय उच्त्तम न्यायालय में शिक्षा मित्रों मुद्दे पर आ रही एसएलपी में अपना परचम लहरा रही हैं कि ये ही कारण बना था सिविल अपील में शिक्षा मित्रों की मौत का और उनके भविष्य को गर्क में धकेलने का |
मामला हाई कोर्ट पहुंचा , फिर पैदा हुए अनेक क्षद्म धारी जो कभी ४ वर्षों से शिक्षा मित्रों पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाए थे वे अब लूट के व्यापार के लिए तैयार थे और उनका साथ दे रहे थे प्रतापगढ़ में बैठे पुट्टी के न्यायाधीश श्रीमान चूतिया पाण्डेय जो आजकल वर्गीकरण पर बार बार हारकर भी लूट का मसौदा बना रहे हैं बार बार हारने के बाद भी |
सीमित संसाधनों में अधिवक्ता को लाए लोकस ऑफ़ पेटिशनर भी ज़िंदा रखा वरना वहां कब्र खुद रही थी बीएड वालों की और वह और कोई नहीं खुद को शिक्षक भर्ती का मसीहा बताने वाले श्रीमान पाठक जी करा रहे थे | १२ सितम्बर को जब मीडिया के संज्ञान में नंदन जी आये तब बेरोजगारों को पता चला कि असली लड़ाई किसने
लड़ी है जबकि उनके लिए उनके नेताओं के द्वारा खड़े किये गए अधिवक्ता आदेश लिखाने वाले दिन भी गायब ही थे जिनका इतिहास भी रहा है कोर्ट से नदारद रहने का | पर हिमाँशु ने तो ठेका लिया था इस मुद्दे पर जरा सी भी ढील न देने का तो वो और उसके अधिवक्ता तो खड़े ही रहेंगे और हुआ भू ये ही था |
१२ सितम्बर २०१५ को आदेश आने के बाद बेरोजगारों पर फिर राजनीति चालू हुई सुप्रीम कोर्ट के नाम पर कि हमारी caviate डल गयी है ये है वो है जबकि नाम आया respondent में अमित पवन जी का तो पूछिए कहाँ गये उनके caviate जो एक भी एसएलपी में किसी के अधिवक्ता का नाम respondent में नहीं आया | लेकिन हर बार की तरह हिमाँशु ने तो ठेका लिया है और उसके अधिवक्ता और उसका नाम तो आएगा ही और पुनः ये ही हुआ |
डेट का पता हिमाँशु को पता चला हिमाँशु डरा नहीं बाकी सबकी ऐसी की तैसी हो रही थी और caviate क्लीयरेंस नहीं दे रहे हैं क्यूंकि चाहत है मुद्दे को लिंगेर ओन कराना जबकि मेरी क्या रणनीति है उसकी भनक तक नहीं है |
ट्रेनिंग चैलेंज ऐसे ही नहीं की है कि कुछ न कुछ तो सोचा होगा वरना मेरे अलावा ट्रेनिंग कौन चैलेंज किया था (हाँ अब शायद कोई किया है जानते हैं लूट इसी को कहते हैं) ?
अब तक आपने शिक्षा मित्र मुद्दे पर किसी को देखा है – इसके अलावा धमकी आएगी हिमाँशु को , सुप्रीम कोर्ट में पागलों की तरह ढूंढते हैं हिमाँशु को |
क्यूँ जब लड़ने वाले इतने थे तो हिमाँशु ही क्यूँ ? क्यूंकि शिक्षा मित्र भली भाँती जानते हैं हिमाँशु को बेवकूफ नहीं बना पाएंगे बाकी का तो जबसे समायोजन हुआ है बनाते ही आ रहे हैं |
कब आईए डली कब स्टे लिया आजतक सरकार तक नहीं समझ पाई है तो ये क्या समझेंगे और उनके साथ वो लोग क्या समझेंगे जो हमेशा हिमाँशु के विरोध में रहे |
बस इतना ही किया हूँ अब तक शिक्षा मित्र मुद्दे पर (जो कि शायद आपके लिए कुछ भी नहीं है पर मेरे लिए क्या है कभी सम्मुख होकर बताऊंगा अगर आपके द्वारा पूछा गया तो)) जिसको अपनी नौकरी से ज्यादा एहम मानता हूँ और उसके लिए आपने कभी देखा तक नहीं होगा कि सोशल मीडिया पर कभी अपनी नौकरी के लिए किसी से पूछ रहा हूँ बस एक चीज़ मानता हूँ कि सही रास्ता पकड़ा हूँ , कोशिश कर रहा हूँ सही दिशा में बाकी राम जाने |
Part 2
९०/१०५
आपके द्वारा चयनित पढ़े लिखे नेता जो आदेश की व्याख्या आपको ऐसा करके दिखाते हैं जैसे आपको अगली तिथि पर नियुक्ति पत्र दिलवा देंगे |
मैं दुर्गेश अमित ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कोर्ट से निकलते ही कहे थे कि 167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths. पर जान लगा दो ये ९०/१०५ मात्र और मात्र ७२८२५ के लिए है पर उस पर आपके अनपढ़ नेताओं के द्वारा हमारा विरोध किया गया लेकिन हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि हमारी आईए २८२-२८३ Amit Singh oths. Vs State of UP & oths ही एक मात्र एक्सेप्टेड आईए है बाकी अपनी आईए की संख्या तक नहीं बता पाते हैं क्यूंकि डाले हो तो बताएं ये होता है लूट का व्यापार | उस पर भी जरूरत पड़ने पर बेहेस करायेंगे पर पहले सिविल अपील का मामला तो निस्तारित हो और एक बात और जैसे आनंद नन्दन जी का नाम नाम १६७ पर आ रहा है औरों के अधिवक्ता का क्यूँ नहीं आ रहा है ? खैर सोच आपकी फैसला आपका लूटो जितना हो सके और हाँ खून और बेचकर भी इन अनपढ़ नेताओं को दे डोज ने तब भी एक भी आदेश करा लायें तो मैं ये संघर्ष छोड़ दूंगा क्यूंकि इंसान का कैलिबर उसके काम से दिखता है नाकि बकचोदी से |
उपरोक्त दो मुद्दों पर अगर हिमाँशु राणा अक्षरशः सही नहीं बोला है तो एक जगह मीटिंग बुला लो हाजिर हो जाऊँगा समस्त डाक्यूमेंट्स के साथ और उन अनपढ़ नेताओं को भी बुला लो जो चूतिये मिठाई बांटे थे २ नवम्बर को कि ९०/१०५ हो गया है |
मैं अपने समस्त बेरोजगार साथियों से कुछ विनम्रता से निवेदन करना चाहता हूँ :
-आपको लगता है कुछ नहीं हो पाएगा और आपका जिलाध्यक्ष परेशान कर रहा है तो आप मीटिंग में जाकर अपनी टीईटी की मार्कशीट जलाकर उसके हाथ में दे दीजिये कि ले मुझे नहीं करना है अब कुछ या उसके पास जमा करवा दीजिये कि भाई जिस दिन मिलेगी १ लाख दे दूंगा जा पहले आदेश करवाकर ला |
-आपको लगता है हिमाँशु या उसकी टीम कुछ नहीं कर पाएगी तो आप वहां affidafit देकर आ जायें १० रुपए का कि ले भाई हिमाँशु के नाम की जॉब मुझे नहीं चाहिए साला बेवकूफ बना रहा है लूट रहा है |
-आपको लगता है आपका अध्यक्ष आपको बेवकूफ बना रहा है और हिमाँशु के खिलाफ है तो उससे भी ये ही काम कराइए |
-आपको लगता है कि आपका अध्यक्ष पैसा तो हिमाँशु के नाम पर लूट रहा है पर लगा कहीं और रहा है तो आप सचेत हो जाएँ और लिखकर लें कि अगर वहां से भी काम न हुआ जहाँ वह पैसा दे रहा है तो दुगना जमा करेगा आपके जिला संगठन के लिए |
आज की पोस्ट में कुछ जगह अभद्र शब्दों का प्रयोग किया हैं क्यूंकि विचलित काम करने वाला होता है नाकि ऐसे ही खाली बैठा आदमी | आहात हूँ आपके द्वारा दिए गए अप्रत्याशित सहयोग से , कम शब्दों को अधिक समझें | पोस्ट लम्बी भी बहुत इसलिए है क्यूंकि काम भी बड़े किये हैं |
Part 3
167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths
अब इसके बारे में क्या बताऊँ ? पिछले 6 जुलाई से अब तक २ बार नोटिस होने के बाद मैंने सुप्रीम कोर्ट में सेटिंग के थ्रू नहीं काम करके इस याचिका की संख्या को आदेश में नंदन जी के नाम के साथ विद्यमान कराया है |
जिसको इससे एलर्जी है वह स्वतन्त्र है अपने तरीके से पर उसको मेरे इनबॉक्स में आकर या अपने जिले की मीटिंग में जाकर कह देना चाहिए भाई इस पर जॉब नहीं लेंगे हम |
धन्यवाद
आपका
हिमाँशु राणा
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मित्र गुटों के साथ-साथ कुछ क्षद्म टीईटी वालों के द्वारा भी उठाया गया जबकि मैं डीपी , अमित लगातार कहते आ रहे थे कि अब मामला सिविल अपील का तभी आगे बढेगा जब शिक्षा मित्र मुद्दा निस्तारित होगा और उसी सन्दर्भ में जब प्रदेश सुप्तावस्था में अन्य मुद्दों पर ठगा जा रहा था तब 6 जुलाई 2015 मात्र 51 वे दिन पर आपको स्थगनादेश दिलाया गया वो भी आईए संख्या 2,3/2015 Himanshu Rana & oths Vs Union of India & oths . पर.
तब प्रदेश में पैदा हुए तथाकथित मसीहा आदेश आने से पहले अपने आप को श्रे देते पाए गए जबकि 6 जुलाई का आदेश आते ही जिसमे आपकी उल्लेखित याचिका संख्या और अधिवक्ता का नाम देखकर उससे भी ज्यादा तीव्र गति से अपने बिल में घुस गए | चूकी अब लूटने का कोई प्रोग्राम नहीं बचा था तो खुद से भी आईए डाली गयी जिसको जज साहब ने बिना सुने ही कूड़ेदान में डाल दिया और वहां बची मात्र एक आईए शिक्षा मित्रों पर जो कि आज भी माननीय उच्त्तम न्यायालय में शिक्षा मित्रों मुद्दे पर आ रही एसएलपी में अपना परचम लहरा रही हैं कि ये ही कारण बना था सिविल अपील में शिक्षा मित्रों की मौत का और उनके भविष्य को गर्क में धकेलने का |
मामला हाई कोर्ट पहुंचा , फिर पैदा हुए अनेक क्षद्म धारी जो कभी ४ वर्षों से शिक्षा मित्रों पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाए थे वे अब लूट के व्यापार के लिए तैयार थे और उनका साथ दे रहे थे प्रतापगढ़ में बैठे पुट्टी के न्यायाधीश श्रीमान चूतिया पाण्डेय जो आजकल वर्गीकरण पर बार बार हारकर भी लूट का मसौदा बना रहे हैं बार बार हारने के बाद भी |
सीमित संसाधनों में अधिवक्ता को लाए लोकस ऑफ़ पेटिशनर भी ज़िंदा रखा वरना वहां कब्र खुद रही थी बीएड वालों की और वह और कोई नहीं खुद को शिक्षक भर्ती का मसीहा बताने वाले श्रीमान पाठक जी करा रहे थे | १२ सितम्बर को जब मीडिया के संज्ञान में नंदन जी आये तब बेरोजगारों को पता चला कि असली लड़ाई किसने
लड़ी है जबकि उनके लिए उनके नेताओं के द्वारा खड़े किये गए अधिवक्ता आदेश लिखाने वाले दिन भी गायब ही थे जिनका इतिहास भी रहा है कोर्ट से नदारद रहने का | पर हिमाँशु ने तो ठेका लिया था इस मुद्दे पर जरा सी भी ढील न देने का तो वो और उसके अधिवक्ता तो खड़े ही रहेंगे और हुआ भू ये ही था |
१२ सितम्बर २०१५ को आदेश आने के बाद बेरोजगारों पर फिर राजनीति चालू हुई सुप्रीम कोर्ट के नाम पर कि हमारी caviate डल गयी है ये है वो है जबकि नाम आया respondent में अमित पवन जी का तो पूछिए कहाँ गये उनके caviate जो एक भी एसएलपी में किसी के अधिवक्ता का नाम respondent में नहीं आया | लेकिन हर बार की तरह हिमाँशु ने तो ठेका लिया है और उसके अधिवक्ता और उसका नाम तो आएगा ही और पुनः ये ही हुआ |
डेट का पता हिमाँशु को पता चला हिमाँशु डरा नहीं बाकी सबकी ऐसी की तैसी हो रही थी और caviate क्लीयरेंस नहीं दे रहे हैं क्यूंकि चाहत है मुद्दे को लिंगेर ओन कराना जबकि मेरी क्या रणनीति है उसकी भनक तक नहीं है |
ट्रेनिंग चैलेंज ऐसे ही नहीं की है कि कुछ न कुछ तो सोचा होगा वरना मेरे अलावा ट्रेनिंग कौन चैलेंज किया था (हाँ अब शायद कोई किया है जानते हैं लूट इसी को कहते हैं) ?
अब तक आपने शिक्षा मित्र मुद्दे पर किसी को देखा है – इसके अलावा धमकी आएगी हिमाँशु को , सुप्रीम कोर्ट में पागलों की तरह ढूंढते हैं हिमाँशु को |
क्यूँ जब लड़ने वाले इतने थे तो हिमाँशु ही क्यूँ ? क्यूंकि शिक्षा मित्र भली भाँती जानते हैं हिमाँशु को बेवकूफ नहीं बना पाएंगे बाकी का तो जबसे समायोजन हुआ है बनाते ही आ रहे हैं |
कब आईए डली कब स्टे लिया आजतक सरकार तक नहीं समझ पाई है तो ये क्या समझेंगे और उनके साथ वो लोग क्या समझेंगे जो हमेशा हिमाँशु के विरोध में रहे |
बस इतना ही किया हूँ अब तक शिक्षा मित्र मुद्दे पर (जो कि शायद आपके लिए कुछ भी नहीं है पर मेरे लिए क्या है कभी सम्मुख होकर बताऊंगा अगर आपके द्वारा पूछा गया तो)) जिसको अपनी नौकरी से ज्यादा एहम मानता हूँ और उसके लिए आपने कभी देखा तक नहीं होगा कि सोशल मीडिया पर कभी अपनी नौकरी के लिए किसी से पूछ रहा हूँ बस एक चीज़ मानता हूँ कि सही रास्ता पकड़ा हूँ , कोशिश कर रहा हूँ सही दिशा में बाकी राम जाने |
Part 2
९०/१०५
आपके द्वारा चयनित पढ़े लिखे नेता जो आदेश की व्याख्या आपको ऐसा करके दिखाते हैं जैसे आपको अगली तिथि पर नियुक्ति पत्र दिलवा देंगे |
मैं दुर्गेश अमित ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कोर्ट से निकलते ही कहे थे कि 167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths. पर जान लगा दो ये ९०/१०५ मात्र और मात्र ७२८२५ के लिए है पर उस पर आपके अनपढ़ नेताओं के द्वारा हमारा विरोध किया गया लेकिन हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा क्यूंकि हमारी आईए २८२-२८३ Amit Singh oths. Vs State of UP & oths ही एक मात्र एक्सेप्टेड आईए है बाकी अपनी आईए की संख्या तक नहीं बता पाते हैं क्यूंकि डाले हो तो बताएं ये होता है लूट का व्यापार | उस पर भी जरूरत पड़ने पर बेहेस करायेंगे पर पहले सिविल अपील का मामला तो निस्तारित हो और एक बात और जैसे आनंद नन्दन जी का नाम नाम १६७ पर आ रहा है औरों के अधिवक्ता का क्यूँ नहीं आ रहा है ? खैर सोच आपकी फैसला आपका लूटो जितना हो सके और हाँ खून और बेचकर भी इन अनपढ़ नेताओं को दे डोज ने तब भी एक भी आदेश करा लायें तो मैं ये संघर्ष छोड़ दूंगा क्यूंकि इंसान का कैलिबर उसके काम से दिखता है नाकि बकचोदी से |
उपरोक्त दो मुद्दों पर अगर हिमाँशु राणा अक्षरशः सही नहीं बोला है तो एक जगह मीटिंग बुला लो हाजिर हो जाऊँगा समस्त डाक्यूमेंट्स के साथ और उन अनपढ़ नेताओं को भी बुला लो जो चूतिये मिठाई बांटे थे २ नवम्बर को कि ९०/१०५ हो गया है |
मैं अपने समस्त बेरोजगार साथियों से कुछ विनम्रता से निवेदन करना चाहता हूँ :
-आपको लगता है कुछ नहीं हो पाएगा और आपका जिलाध्यक्ष परेशान कर रहा है तो आप मीटिंग में जाकर अपनी टीईटी की मार्कशीट जलाकर उसके हाथ में दे दीजिये कि ले मुझे नहीं करना है अब कुछ या उसके पास जमा करवा दीजिये कि भाई जिस दिन मिलेगी १ लाख दे दूंगा जा पहले आदेश करवाकर ला |
-आपको लगता है हिमाँशु या उसकी टीम कुछ नहीं कर पाएगी तो आप वहां affidafit देकर आ जायें १० रुपए का कि ले भाई हिमाँशु के नाम की जॉब मुझे नहीं चाहिए साला बेवकूफ बना रहा है लूट रहा है |
-आपको लगता है आपका अध्यक्ष आपको बेवकूफ बना रहा है और हिमाँशु के खिलाफ है तो उससे भी ये ही काम कराइए |
-आपको लगता है कि आपका अध्यक्ष पैसा तो हिमाँशु के नाम पर लूट रहा है पर लगा कहीं और रहा है तो आप सचेत हो जाएँ और लिखकर लें कि अगर वहां से भी काम न हुआ जहाँ वह पैसा दे रहा है तो दुगना जमा करेगा आपके जिला संगठन के लिए |
आज की पोस्ट में कुछ जगह अभद्र शब्दों का प्रयोग किया हैं क्यूंकि विचलित काम करने वाला होता है नाकि ऐसे ही खाली बैठा आदमी | आहात हूँ आपके द्वारा दिए गए अप्रत्याशित सहयोग से , कम शब्दों को अधिक समझें | पोस्ट लम्बी भी बहुत इसलिए है क्यूंकि काम भी बड़े किये हैं |
Part 3
167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths
अब इसके बारे में क्या बताऊँ ? पिछले 6 जुलाई से अब तक २ बार नोटिस होने के बाद मैंने सुप्रीम कोर्ट में सेटिंग के थ्रू नहीं काम करके इस याचिका की संख्या को आदेश में नंदन जी के नाम के साथ विद्यमान कराया है |
जिसको इससे एलर्जी है वह स्वतन्त्र है अपने तरीके से पर उसको मेरे इनबॉक्स में आकर या अपने जिले की मीटिंग में जाकर कह देना चाहिए भाई इस पर जॉब नहीं लेंगे हम |
धन्यवाद
आपका
हिमाँशु राणा
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