इलाहाबाद। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की ओर से दूरस्थ
शिक्षा से बीएड करने के लिए नए नियम लागू किए जाने के बाद मुक्त
विश्वविद्यालयों में चल रहे बीएड कोर्स के भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है।
एनसीटीई की ओर से नया नियम लागू किए जाने के बाद उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन
मुक्त विवि सहित देश के अन्य मुक्त विश्वविद्यालयों में चल रहे बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश को अभ्यर्थी नहीं मिल रहे हैं।उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि की ओर से 14 दिसंबर से बीएड
पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए काउंसलिंग शुरू हुई। बीएड में प्रवेश के लिए
अनिवार्य अर्हता एनसीटीई से मान्यता प्राप्त किसी संस्थान से एक अथवा दो
वर्षीय प्रशिक्षण कोर्स रख दिए जाने के बाद प्रवेश के लिए अब गिनती के
अभ्यर्थी पहुंच रहे हैं। बीएड में प्रवेश के लिए एनसीटीई ने प्रारंभिक
विद्यालय में अध्यापन करने के साथ प्रशिक्षित
होना अनिवार्य कर दिया है। नए
नियम के लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि की ओर से
जब बीएड प्रवेश के लिए आवेदन निकाला गया तो 500 सीट पर प्रवेश के लिए मात्र
900 अभ्यर्थियों ने ही आवेदन किया। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि
में बीएड प्रवेश के लिए दो दिन चली काउंसलिंग में 500 अभ्यर्थियों को
बुलाया गया था। पहले दिन की काउंसलिंग में मात्र 58 और दूसरे दिन 22
अभ्यर्थियों ने बीएड में प्रवेश के लिए रिपोर्ट किया। उत्तर प्रदेश राजर्षि
टंडन मुक्त विवि की ओर से एनसीटीई को प्रत्यावेदन देकर नियमों में बदलाव न
करने की अपील की गई है। विवि की ओर से एनसीटीई से कहा गया है कि ऐसा करने
से बीएड कोर्स के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाएगा।
नए नियम से उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि में अभ्यर्थियों को बीएड में नहीं मिला प्रवेश
बदले नियम के बाद मुक्त विवि में दूरस्थ माध्यम से बीएड कोर्स के बंद हो जाने की आशंका
नए नियम से उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि में अभ्यर्थियों को बीएड में नहीं मिला प्रवेश
बदले नियम के बाद मुक्त विवि में दूरस्थ माध्यम से बीएड कोर्स के बंद हो जाने की आशंका
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