हकीकत से रूबरू हो जाइए और इस हकीकत को
पूरी बड़े भाई श्याम देव मिश्रा जी जानते हैं क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय
में पैरवी के वक्त वे सबसे ज्यादा करीबी से नजर बनाये हुए थे हमारे साथ :-मामला शुरू हुआ था 4 सितम्बर 2015 को जब
माननीय चीफ महोदय 4 व 7 तारिख को मामले में 15 मिनट से ज्यादा सुनवाई का
मौका नहीं दे रहे थे ।
लेकिन जब चीफ साहब ने 7 तारीख को मामले को मानवीय संज्ञा देते हुए और बीटीसी धारियों की संख्या कम बताते हुए शिक्षा मित्रों के पक्ष की बात की तब श्रीमान खरे साहब और उनके एजेंट व उन एजेंट्स के चापलूसों ने 167 की डिमांड दुर्गेश से की शाम को 7 बजे कि अब कैसे बचें ? मैंने दुर्गेश से कहा
कि ठीक है जहाँ हित की बात है वहां मैं बीएड वालों के लिए तैयार हूँ और स्वयं जाकर कॉपी खरे साहब की टेबल पर रखकर आया । इससे इतर हमें शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग पर हो रही बेहेस पर लाचार रवैया दिख रहा था जिसके लिए हम तैयारी कर चुके थे और अगस्त में ही एक आईए 309411 बीएड वालों की तरफ से मेरे और दुर्गेश के नाम से 28004 में डाल दी गयी थी चूँकि बीएड वालों की उदासीनता देखते हुए (जबकि मैंने पहले ही क्लियर कर दिया था कि नंदन साहब को लाना है फिर भी पर्याप्त सहयोग नहीं पहुंचाया गया था) नंदन साहब समय से नहीं आ पाये और आईए पर चीफ सुनने को तैयार नहीं थे विलम्ब होने की वजह से और उधर मठाधीश के अधिवक्ता शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग को बचाने में पूर्ण रूप से सहयोग कर रहे थे और मठाधीश भी चुप थे जब आदेश आया तो सभी ने पढ़ भी लिया कि अधिवक्ता मौजूद नहीं थे याचियों के और थे भी नहीं जब ट्रेनिंग पर आदेश लिखाया जा रहा था तब वे अपने घर ही थे खैर हमने ट्रेनिंग को चैलेंज करने के लिए अपना आधार बना लिया था आईए डालकर और उसी आधार पर पूर्ण पीठ के आदेश एवं 28004 में डाली गई आईए को आधार बनाकर ट्रेनिंग चैलेंज की। जबकि मठाधीश एवं उनके चापलूस बस फेसबुक पर चिल्लाते रहे कि हमने ये किया वो किया । हमें आदत पता थी मठाधीश की तभी हमने खरे साहब को ड्राप किया था और वैसे भी खरे साहब ने 50 हजार से एक दम 3 लाख की डिमांड कर दी थी पता नहीं क्यों और बीटीसी वाले साथियों ने पूरा पेमेंट भी दिया पर जो होना चाहिए था वो नहीं हुआ था वे भी ठग लोए गए । अब वही नंदन जी हैं और वही हिमांशु राणा ट्रेनिंग को एक्सेप्ट भी तब कराया जब खारिज हो चुकी थी आलरेडी । धन्यवाद आपका हिमांशु राणा टीईटी 2011 उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा, उत्तरप्रदेश नोट :- जितना जल्दी हो सके दिमाग में बैठा लीजिये कि शिक्षा मित्रों के समायोजन निरस्त ही नहीं वरन ट्रेनिंग को भी अवैध घोषित किये बिना बीएड टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी एक भी पद नहीं पाएगा और उस पर हकीकत ने काम कौन कर था , है और रहेगा अब आपको बताने की जरूरत नहीं है। जितने धुरंधर 2 माह से पैसा लूट रहे थे आज वे ठीक वैसे ही लुप्त हो गए हैं जैसे भारत के आखिरी गाँव माना में सरस्वती नदी लुप्त हुई हैं । सभी जिला अध्यक्ष अविलंब कल तक दिल्ली पहुंचकर शिक्षा मित्रों के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को हायर कराने में मदद कीजिये , आभार ।
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लेकिन जब चीफ साहब ने 7 तारीख को मामले को मानवीय संज्ञा देते हुए और बीटीसी धारियों की संख्या कम बताते हुए शिक्षा मित्रों के पक्ष की बात की तब श्रीमान खरे साहब और उनके एजेंट व उन एजेंट्स के चापलूसों ने 167 की डिमांड दुर्गेश से की शाम को 7 बजे कि अब कैसे बचें ? मैंने दुर्गेश से कहा
कि ठीक है जहाँ हित की बात है वहां मैं बीएड वालों के लिए तैयार हूँ और स्वयं जाकर कॉपी खरे साहब की टेबल पर रखकर आया । इससे इतर हमें शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग पर हो रही बेहेस पर लाचार रवैया दिख रहा था जिसके लिए हम तैयारी कर चुके थे और अगस्त में ही एक आईए 309411 बीएड वालों की तरफ से मेरे और दुर्गेश के नाम से 28004 में डाल दी गयी थी चूँकि बीएड वालों की उदासीनता देखते हुए (जबकि मैंने पहले ही क्लियर कर दिया था कि नंदन साहब को लाना है फिर भी पर्याप्त सहयोग नहीं पहुंचाया गया था) नंदन साहब समय से नहीं आ पाये और आईए पर चीफ सुनने को तैयार नहीं थे विलम्ब होने की वजह से और उधर मठाधीश के अधिवक्ता शिक्षा मित्रों की ट्रेनिंग को बचाने में पूर्ण रूप से सहयोग कर रहे थे और मठाधीश भी चुप थे जब आदेश आया तो सभी ने पढ़ भी लिया कि अधिवक्ता मौजूद नहीं थे याचियों के और थे भी नहीं जब ट्रेनिंग पर आदेश लिखाया जा रहा था तब वे अपने घर ही थे खैर हमने ट्रेनिंग को चैलेंज करने के लिए अपना आधार बना लिया था आईए डालकर और उसी आधार पर पूर्ण पीठ के आदेश एवं 28004 में डाली गई आईए को आधार बनाकर ट्रेनिंग चैलेंज की। जबकि मठाधीश एवं उनके चापलूस बस फेसबुक पर चिल्लाते रहे कि हमने ये किया वो किया । हमें आदत पता थी मठाधीश की तभी हमने खरे साहब को ड्राप किया था और वैसे भी खरे साहब ने 50 हजार से एक दम 3 लाख की डिमांड कर दी थी पता नहीं क्यों और बीटीसी वाले साथियों ने पूरा पेमेंट भी दिया पर जो होना चाहिए था वो नहीं हुआ था वे भी ठग लोए गए । अब वही नंदन जी हैं और वही हिमांशु राणा ट्रेनिंग को एक्सेप्ट भी तब कराया जब खारिज हो चुकी थी आलरेडी । धन्यवाद आपका हिमांशु राणा टीईटी 2011 उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा, उत्तरप्रदेश नोट :- जितना जल्दी हो सके दिमाग में बैठा लीजिये कि शिक्षा मित्रों के समायोजन निरस्त ही नहीं वरन ट्रेनिंग को भी अवैध घोषित किये बिना बीएड टेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी एक भी पद नहीं पाएगा और उस पर हकीकत ने काम कौन कर था , है और रहेगा अब आपको बताने की जरूरत नहीं है। जितने धुरंधर 2 माह से पैसा लूट रहे थे आज वे ठीक वैसे ही लुप्त हो गए हैं जैसे भारत के आखिरी गाँव माना में सरस्वती नदी लुप्त हुई हैं । सभी जिला अध्यक्ष अविलंब कल तक दिल्ली पहुंचकर शिक्षा मित्रों के लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता को हायर कराने में मदद कीजिये , आभार ।
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