प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री शिवपाल यादव मंगलवार को मैनपुरी में कह
रहे थे कि यदि कोई रिश्वत मांगता है, तो मुङो बताएं, तब मथुरा में बीएसए
कार्यालय की हालत यह है कि यहां बिना भ्रष्टाचार कोई काम
नहीं होता। ट्रांसफर, निलंबन, मान्यता और जांच के काम बिना रिश्वत पूरे नहीं होते।
इस प्रकरण में भी प्रधान लिपिक कुंज बिहारी ने सहायक शिक्षक वेगराज सिंह से जांच को खत्म करने को 20 हजार मांगे थे। यह भी कहा था कि निलंबन हुआ, तो बहाली में 50 हजार खर्च होंगे।
1प्रधान लिपिक बीएसए कार्यालय में नौ साल से महत्वपूर्ण पटल संभाले है। वर्तमान में विद्यालयों की मान्यता, निलंबन बहाली, प्रशासनिक कार्रवाई, अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण पटल इसके पास थे। ट्रांसफर में भी लिपिक की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी।
सूत्रों ने बताया कि ट्रांसफर के नाम पर 50 हजार रुपया तक वसूली की जा रही है। विद्यालय की मान्यता में 50 हजार से डेढ़ लाख तक और जांच में 50 हजार रुपया तक की डिमांड की जाती है। बीएसएस कार्यालय में आने से पहले कुंजबिहारी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात था। वहां भी वह सुर्खियों में ही रहा। करीब 30-35 साल के कार्यकाल में हमेशा अधिकारियों का चहेता रहा।
पहले भी हुए भ्रष्टाचार के मामले
स्काउट गाइड फंड का गलत प्रयोग करने के मामले में शिक्षक आलोक उपाध्याय से नवंबर 2015 भी रिश्वत की मांग थी। उनकी जांच स्थानीय स्तर पर न होकर एबीएसए नारखी, फीरोजाबाद प्रवीण अग्रवाल को सौंपी गईं। शिक्षक आलोक उपाध्याय ने भी एंटी करप्शन में शिकायत कर एबीएसए को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाया। वर्ष 2013 में जिला विद्यालय निरीक्षक केएल वर्मा को भी एक स्कूल में प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर सत्यापन प्रकरण में रिश्वत लेते पकड़ा। 1कार्यालय पर लगाम कसेंगे1बीएसए ए.के.सिंह ने कहा कि इस तरह के मामले न हों, इसके लिए कार्यालय पर लगाम कसेंगे। उन्होंने कार्यालय में भ्रष्टाचार के बोलबाला से इन्कार किया। 1साजिश के तहत फंसाने का आरोप1बाबू को रिश्वत के आरोप में पकड़ने वाली एंटी करप्शन की टीम की भूमिका पर कार्यालय के अन्य कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं। ज्ञापन में कहा कि शिक्षक वेगराज ने बाबू कुंजबिहारी की जेब में जबरन रुपये रखे थे।
टीम के साथ शिक्षक नेता यशवीर राघव, आलोक उपाध्याय कैसे आए? उन्हें कैसे पता चला कि एंटी करप्शन टीम आई है। 1उन्होंने बाबू से मारपीट क्यों की, सीसीटीवी क्यों तोड़ा गया? बीएसए कार्यालय के कर्मी किशन सिंह, रामहरी, सावित्री देवी, भगवानदास, राजपाल, तबस्सुम, रविकुमार, बृजमोहन सिंह, अशोक कुमार, लता, महेश शर्मा, प्रताप सिंह, मदन गोपाल आदि ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।जागरण संवाददाता, मथुरा: प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री शिवपाल यादव मंगलवार को मैनपुरी में कह रहे थे कि यदि कोई रिश्वत मांगता है, तो मुङो बताएं, तब मथुरा में बीएसए कार्यालय की हालत यह है कि यहां बिना भ्रष्टाचार कोई काम नहीं होता। ट्रांसफर, निलंबन, मान्यता और जांच के काम बिना रिश्वत पूरे नहीं होते। इस प्रकरण में भी प्रधान लिपिक कुंज बिहारी ने सहायक शिक्षक वेगराज सिंह से जांच को खत्म करने को 20 हजार मांगे थे। यह भी कहा था कि निलंबन हुआ, तो बहाली में 50 हजार खर्च होंगे। 1प्रधान लिपिक बीएसए कार्यालय में नौ साल से महत्वपूर्ण पटल संभाले है। वर्तमान में विद्यालयों की मान्यता, निलंबन बहाली, प्रशासनिक कार्रवाई, अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण पटल इसके पास थे। ट्रांसफर में भी लिपिक की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी।
सूत्रों ने बताया कि ट्रांसफर के नाम पर 50 हजार रुपया तक वसूली की जा रही है। विद्यालय की मान्यता में 50 हजार से डेढ़ लाख तक और जांच में 50 हजार रुपया तक की डिमांड की जाती है। बीएसएस कार्यालय में आने से पहले कुंजबिहारी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात था। वहां भी वह सुर्खियों में ही रहा। करीब 30-35 साल के कार्यकाल में हमेशा अधिकारियों का चहेता रहा। 1पहले भी हुए भ्रष्टाचार के मामले1 स्काउट गाइड फंड का गलत प्रयोग करने के मामले में शिक्षक आलोक उपाध्याय से नवंबर 2015 भी रिश्वत की मांग थी। उनकी जांच स्थानीय स्तर पर न होकर एबीएसए नारखी, फीरोजाबाद प्रवीण अग्रवाल को सौंपी गईं। शिक्षक आलोक उपाध्याय ने भी एंटी करप्शन में शिकायत कर एबीएसए को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाया। वर्ष 2013 में जिला विद्यालय निरीक्षक केएल वर्मा को भी एक स्कूल में प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर सत्यापन प्रकरण में रिश्वत लेते पकड़ा।
कार्यालय पर लगाम कसेंगे
बीएसए ए.के.सिंह ने कहा कि इस तरह के मामले न हों, इसके लिए कार्यालय पर लगाम कसेंगे। उन्होंने कार्यालय में भ्रष्टाचार के बोलबाला से इन्कार किया।
साजिश के तहत फंसाने का आरोप1बाबू को रिश्वत के आरोप में पकड़ने वाली एंटी करप्शन की टीम की भूमिका पर कार्यालय के अन्य कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं। ज्ञापन में कहा कि शिक्षक वेगराज ने बाबू कुंजबिहारी की जेब में जबरन रुपये रखे थे। टीम के साथ शिक्षक नेता यशवीर राघव, आलोक उपाध्याय कैसे आए? उन्हें कैसे पता चला कि एंटी करप्शन टीम आई है।
उन्होंने बाबू से मारपीट क्यों की, सीसीटीवी क्यों तोड़ा गया? बीएसए कार्यालय के कर्मी किशन सिंह, रामहरी, सावित्री देवी, भगवानदास, राजपाल, तबस्सुम, रविकुमार, बृजमोहन सिंह, अशोक कुमार, लता, महेश शर्मा, प्रताप सिंह, मदन गोपाल आदि ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।भ्रष्टाचार की यह कार्यवाही यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) द्वारा शिक्षक के उत्साह बढ़ाए जाने पर हुई। कार्रवाई के दौरान प्रदेश महामंत्री ब्रजेश दीक्षित, प्रदेश संयोजक शिवराज सिंह चाहर, बुंदेलखंड प्रभारी विक्रांत पडेरिया मौजूद थे। पदाधिकारियों का कहना था कि जुलाई से अब तक एसोसिएशन इस तरह की 15 कार्रवाई करा चुका है। आगरा, झांसी, बरेली, चित्रकूट मंडल के एक दर्जन से अधिक रडार पर हैं।
Sponsored links :
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
नहीं होता। ट्रांसफर, निलंबन, मान्यता और जांच के काम बिना रिश्वत पूरे नहीं होते।
इस प्रकरण में भी प्रधान लिपिक कुंज बिहारी ने सहायक शिक्षक वेगराज सिंह से जांच को खत्म करने को 20 हजार मांगे थे। यह भी कहा था कि निलंबन हुआ, तो बहाली में 50 हजार खर्च होंगे।
1प्रधान लिपिक बीएसए कार्यालय में नौ साल से महत्वपूर्ण पटल संभाले है। वर्तमान में विद्यालयों की मान्यता, निलंबन बहाली, प्रशासनिक कार्रवाई, अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण पटल इसके पास थे। ट्रांसफर में भी लिपिक की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी।
सूत्रों ने बताया कि ट्रांसफर के नाम पर 50 हजार रुपया तक वसूली की जा रही है। विद्यालय की मान्यता में 50 हजार से डेढ़ लाख तक और जांच में 50 हजार रुपया तक की डिमांड की जाती है। बीएसएस कार्यालय में आने से पहले कुंजबिहारी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात था। वहां भी वह सुर्खियों में ही रहा। करीब 30-35 साल के कार्यकाल में हमेशा अधिकारियों का चहेता रहा।
पहले भी हुए भ्रष्टाचार के मामले
स्काउट गाइड फंड का गलत प्रयोग करने के मामले में शिक्षक आलोक उपाध्याय से नवंबर 2015 भी रिश्वत की मांग थी। उनकी जांच स्थानीय स्तर पर न होकर एबीएसए नारखी, फीरोजाबाद प्रवीण अग्रवाल को सौंपी गईं। शिक्षक आलोक उपाध्याय ने भी एंटी करप्शन में शिकायत कर एबीएसए को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाया। वर्ष 2013 में जिला विद्यालय निरीक्षक केएल वर्मा को भी एक स्कूल में प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर सत्यापन प्रकरण में रिश्वत लेते पकड़ा। 1कार्यालय पर लगाम कसेंगे1बीएसए ए.के.सिंह ने कहा कि इस तरह के मामले न हों, इसके लिए कार्यालय पर लगाम कसेंगे। उन्होंने कार्यालय में भ्रष्टाचार के बोलबाला से इन्कार किया। 1साजिश के तहत फंसाने का आरोप1बाबू को रिश्वत के आरोप में पकड़ने वाली एंटी करप्शन की टीम की भूमिका पर कार्यालय के अन्य कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं। ज्ञापन में कहा कि शिक्षक वेगराज ने बाबू कुंजबिहारी की जेब में जबरन रुपये रखे थे।
टीम के साथ शिक्षक नेता यशवीर राघव, आलोक उपाध्याय कैसे आए? उन्हें कैसे पता चला कि एंटी करप्शन टीम आई है। 1उन्होंने बाबू से मारपीट क्यों की, सीसीटीवी क्यों तोड़ा गया? बीएसए कार्यालय के कर्मी किशन सिंह, रामहरी, सावित्री देवी, भगवानदास, राजपाल, तबस्सुम, रविकुमार, बृजमोहन सिंह, अशोक कुमार, लता, महेश शर्मा, प्रताप सिंह, मदन गोपाल आदि ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।जागरण संवाददाता, मथुरा: प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री शिवपाल यादव मंगलवार को मैनपुरी में कह रहे थे कि यदि कोई रिश्वत मांगता है, तो मुङो बताएं, तब मथुरा में बीएसए कार्यालय की हालत यह है कि यहां बिना भ्रष्टाचार कोई काम नहीं होता। ट्रांसफर, निलंबन, मान्यता और जांच के काम बिना रिश्वत पूरे नहीं होते। इस प्रकरण में भी प्रधान लिपिक कुंज बिहारी ने सहायक शिक्षक वेगराज सिंह से जांच को खत्म करने को 20 हजार मांगे थे। यह भी कहा था कि निलंबन हुआ, तो बहाली में 50 हजार खर्च होंगे। 1प्रधान लिपिक बीएसए कार्यालय में नौ साल से महत्वपूर्ण पटल संभाले है। वर्तमान में विद्यालयों की मान्यता, निलंबन बहाली, प्रशासनिक कार्रवाई, अशासकीय विद्यालयों में नियुक्ति जैसे महत्वपूर्ण पटल इसके पास थे। ट्रांसफर में भी लिपिक की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी।
सूत्रों ने बताया कि ट्रांसफर के नाम पर 50 हजार रुपया तक वसूली की जा रही है। विद्यालय की मान्यता में 50 हजार से डेढ़ लाख तक और जांच में 50 हजार रुपया तक की डिमांड की जाती है। बीएसएस कार्यालय में आने से पहले कुंजबिहारी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में तैनात था। वहां भी वह सुर्खियों में ही रहा। करीब 30-35 साल के कार्यकाल में हमेशा अधिकारियों का चहेता रहा। 1पहले भी हुए भ्रष्टाचार के मामले1 स्काउट गाइड फंड का गलत प्रयोग करने के मामले में शिक्षक आलोक उपाध्याय से नवंबर 2015 भी रिश्वत की मांग थी। उनकी जांच स्थानीय स्तर पर न होकर एबीएसए नारखी, फीरोजाबाद प्रवीण अग्रवाल को सौंपी गईं। शिक्षक आलोक उपाध्याय ने भी एंटी करप्शन में शिकायत कर एबीएसए को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़वाया। वर्ष 2013 में जिला विद्यालय निरीक्षक केएल वर्मा को भी एक स्कूल में प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर सत्यापन प्रकरण में रिश्वत लेते पकड़ा।
कार्यालय पर लगाम कसेंगे
बीएसए ए.के.सिंह ने कहा कि इस तरह के मामले न हों, इसके लिए कार्यालय पर लगाम कसेंगे। उन्होंने कार्यालय में भ्रष्टाचार के बोलबाला से इन्कार किया।
साजिश के तहत फंसाने का आरोप1बाबू को रिश्वत के आरोप में पकड़ने वाली एंटी करप्शन की टीम की भूमिका पर कार्यालय के अन्य कर्मचारियों ने सवाल उठाए हैं। ज्ञापन में कहा कि शिक्षक वेगराज ने बाबू कुंजबिहारी की जेब में जबरन रुपये रखे थे। टीम के साथ शिक्षक नेता यशवीर राघव, आलोक उपाध्याय कैसे आए? उन्हें कैसे पता चला कि एंटी करप्शन टीम आई है।
उन्होंने बाबू से मारपीट क्यों की, सीसीटीवी क्यों तोड़ा गया? बीएसए कार्यालय के कर्मी किशन सिंह, रामहरी, सावित्री देवी, भगवानदास, राजपाल, तबस्सुम, रविकुमार, बृजमोहन सिंह, अशोक कुमार, लता, महेश शर्मा, प्रताप सिंह, मदन गोपाल आदि ने निष्पक्ष जांच की मांग की है।भ्रष्टाचार की यह कार्यवाही यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) द्वारा शिक्षक के उत्साह बढ़ाए जाने पर हुई। कार्रवाई के दौरान प्रदेश महामंत्री ब्रजेश दीक्षित, प्रदेश संयोजक शिवराज सिंह चाहर, बुंदेलखंड प्रभारी विक्रांत पडेरिया मौजूद थे। पदाधिकारियों का कहना था कि जुलाई से अब तक एसोसिएशन इस तरह की 15 कार्रवाई करा चुका है। आगरा, झांसी, बरेली, चित्रकूट मंडल के एक दर्जन से अधिक रडार पर हैं।
Sponsored links :
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Breaking News: सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC