विसं, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों में चल रही 16448 शिक्षकों की भर्ती में डिप्लोमा धारकों को भी शामिल करने का निर्देश दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती विज्ञापन
के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा परिषद उप्र से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
मध्य प्रदेश के कालेज से दो वर्षीय डिप्लोमा इन एजुकेशन धारक याचियों को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि यदि याचीगण 18 जुलाई तक आदेश की प्रति एवं डिप्लोमा के साथ आवेदन देते हैं तो उसे निरस्त न किया जाए। कोर्ट ने याचियों की नियुक्ति कोर्ट की अनुमति के बाद ही देने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने धर्मेद्र कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की। इनका कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 25 जून 2016 को सहायक अध्यापक भर्ती विज्ञापन निकाला है। जिसमें दो वर्षीय शिक्षा डिप्लोमा को न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया है, जबकि इस डिप्लोमा को एनसीटीई से बीटीसी के समकक्ष मान्यता दी गयी है। बरकततुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल मध्य प्रदेश से संबद्ध राधाकृष्ण कालेज भोपाल से याची ने डिप्लोमा लिया है। माध्यमिक शिक्षा परिषद भोपाल से उसे मान्यता मिली है।
याची का कहना है कि एनसीटीई की गाइडलाइन व मानक पूरे देश में लागू है। जिसकी पुष्टि शिवकुमार शर्मा सहित कई केसों में कोर्ट द्वारा की गयी है। ऐसे में राज्य सरकार को न्यूनतम अर्हता में बदलाव करने का अधिकार नहीं है। याची भी सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने की योग्यता रखते हैं। याचिका में याचियों को ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अनुमति देने की मांग की गयी है। कोर्ट ने याचिका में उठाये गये बिंदुओं को विचारणीय माना तथा याचियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश देते हुए सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
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के खिलाफ दाखिल याचिका पर राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा परिषद उप्र से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
मध्य प्रदेश के कालेज से दो वर्षीय डिप्लोमा इन एजुकेशन धारक याचियों को भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि यदि याचीगण 18 जुलाई तक आदेश की प्रति एवं डिप्लोमा के साथ आवेदन देते हैं तो उसे निरस्त न किया जाए। कोर्ट ने याचियों की नियुक्ति कोर्ट की अनुमति के बाद ही देने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने धर्मेद्र कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बहस की। इनका कहना है कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 25 जून 2016 को सहायक अध्यापक भर्ती विज्ञापन निकाला है। जिसमें दो वर्षीय शिक्षा डिप्लोमा को न्यूनतम अर्हता में शामिल नहीं किया गया है, जबकि इस डिप्लोमा को एनसीटीई से बीटीसी के समकक्ष मान्यता दी गयी है। बरकततुल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल मध्य प्रदेश से संबद्ध राधाकृष्ण कालेज भोपाल से याची ने डिप्लोमा लिया है। माध्यमिक शिक्षा परिषद भोपाल से उसे मान्यता मिली है।
याची का कहना है कि एनसीटीई की गाइडलाइन व मानक पूरे देश में लागू है। जिसकी पुष्टि शिवकुमार शर्मा सहित कई केसों में कोर्ट द्वारा की गयी है। ऐसे में राज्य सरकार को न्यूनतम अर्हता में बदलाव करने का अधिकार नहीं है। याची भी सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल होने की योग्यता रखते हैं। याचिका में याचियों को ऑनलाइन आवेदन जमा करने की अनुमति देने की मांग की गयी है। कोर्ट ने याचिका में उठाये गये बिंदुओं को विचारणीय माना तथा याचियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश देते हुए सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।
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