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UPTET 2016: अब टीईटी 2016 कराने की तैयारी, राजकीय कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षक बनने का मौका, बढ़ेंगे अभ्यर्थी

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2016 कराने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इसका प्रस्ताव तैयार करा रहा है, ताकि इसी वर्ष परीक्षा कराई जा सके। वैसे भी शासन के अनुमोदन के बाद भी करीब तीन माह का समय परीक्षा तैयारियों में लगना तय है।
इधर कई वर्षो से टीईटी के आवेदकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस बार भी आकड़ा दस लाख के पार जाने की उम्मीद है।

बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षक के रूप में तैनाती पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। प्रदेश में बीटीसी कालेजों की संख्या लगातार बढ़ने एवं नियमित अंतराल के बाद बड़ी संख्या में युवा बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर रहे हैं। यह सभी टीईटी के दावेदार बन रहे हैं, क्योंकि इनका लक्ष्य परिषदीय स्कूलों में शिक्षक बनना है। वैसे एनसीटीई का निर्देश है कि टीईटी का इम्तिहान साल में दो बार कराया जाए। कम से कम एक बार परीक्षा कराना जरूरी है। उप्र में शुरुआत से लेकर अब तक एक बार ही परीक्षा हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय प्रस्ताव तैयार करा है। यदि टीईटी का इम्तिहान अक्टूबर माह में होता है तो इसी साल रिजल्ट आदि भी आसानी से जारी हो जाएगा। इस बार सूबे के राजकीय हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में उच्च प्राथमिक विद्यालय की टीईटी उत्तीर्ण करने वाले युवाओं को वरीयता देने पर सहमति बनी है।
2011 की टीईटी होगी एक्सपायर्ड : टीईटी 2016 के लिए आवेदकों की संख्या काफी अधिक होने का एक कारण टीईटी 2011 का इस साल एक्सपायर्ड हो जाना है। असल में टीईटी प्रमाणपत्र की मियाद जारी होने से पांच वर्ष तक है। ऐसे में 2011 में टीईटी उत्तीर्ण करने वाले जिन युवाओं को अब तक शिक्षक बनने का मौका नहीं मिला है उन्हें दोबारा टीईटी उत्तीर्ण करना होगा, क्योंकि नवंबर माह में वह एक्सपायर्ड हो जाएगी। 2011 की टीईटी में जितने सफल हुए थे उनमें ऐसे युवाओं की संख्या अधिक है जो अब भी शिक्षक बनने को प्रयासरत हैं।
2015 का नहीं मिला प्रमाणपत्र : परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय भले ही 2016 की टीईटी कराने की तैयारी कर रहा है, लेकिन अभी तक 2015 के उत्तीर्ण युवाओं को प्रमाणपत्र हासिल नहीं हो सका है। युवा लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। असल में अफसरों ने पहले ई-प्रमाणपत्र ऑनलाइन देने का आदेश जारी किया और बाद में ऑफलाइन प्रमाणपत्र देने का निर्देश जारी किया गया।
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