सरकारी स्कूल में पढ़ा रही प्राइवेट शिक्षिका

अमर उजाला/गोंडा नवाबगंज क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरा शेखपुर में गांव की स्नातक पास एक युवती यहां तैनात शिक्षक के स्थान पर एक वर्ष से बच्चों को पढ़ा रही है।
खुद को विद्यालय न आना पड़े, इसके लिए 40 हजार रुपये पगार पाने वाले शिक्षक ने इस युवती को बाकायदा 1200 रुपये प्रतिमाह की पगार पर स्कूल में तैनाती दे रखी है। यह पूरा खेल यहां के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। खास बात यह है कि यह गांव सांसद का गोद लिया गांव है, जहां यह मामला उजागर हुआ है। शनिवार को अमर उजाला की पड़ताल में इस मामले का खुलासा हुआ है।
नवाबगंज शिक्षा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरा शेखपुर में कक्षा 6 से 8 तक कुल 54 बच्चों का नामांकन है। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए दो वर्ष पहले इस विद्यालय में प्रधानाध्यापक के तौर पर शिक्षक सऊद रईस की तैनाती की गई थी।

कुछ दिन तक विद्यालय में शिक्षण कार्य करने के बाद शिक्षक सऊद रईस ने प्राक्सी टीचिंग के लिए गांव की स्नातक पास युवती प्रियंका पांडेय को अपने स्थान पर शिक्षक बना दिया। तब से यही युवती इस विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रही है।

शिक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए शनिवार को अमर उजाला प्रतिनिधि ने इस विद्यालय की पड़ताल की तो इसका खुलासा हुआ। यहां तैनात शिक्षक सऊद रईस विद्यालय में मौजूद नहीं थे। उनके स्थान पर शिक्षण कार्य कर रही प्रियंका ने बताया कि वह एक वर्ष से इस विद्यालय में बच्चों को पढ़ा रही हैं।

विद्यालय के शिक्षक सऊद रईस ने उसे यहां तैनात कर रखा है और इसके बदले में उसे शिक्षक से 1200 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। प्रियंका की बात की पुष्टि करते हुए मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि पिछले एक वर्ष से गांव की बिटिया ही स्कूल का संचालन कर रही है।

विद्यालय में तैनात शिक्षक तो कभी-कभी ही स्कूल आते हैं। इस संबंध में विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक सऊद रईस ने बताया कि वह किसी काम से आज बाहर चले आए थे। विद्यालय में अकेला होने के कारण उन्होंने गांव की ही एक युवती को विद्यालय देखने के लिए कह दिया था। इस संबंध में बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सरकारी स्कूल में अगर कोई बाहरी व्यक्ति शिक्षण कार्य देख रहा है तो काफी गंभीर मामला है।

उन्होंने इस मामले के जांच के आदेश दिए हैं और संबंधित बीईओ से मामले की रिपोर्ट तलब की है।  उधर, इस संबंध में नवाबगंज की बीईओ ममता सिंह ने मामले की जानकारी होने से इन्कार किया है। जबकि न्याय पंचायत समन्वयक आशा निगम ने बताया कि उन्होंने एक वर्ष पहले विद्यालय का निरीक्षण किया था। उस समय ऐसी कोई बात नहीं थी।
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