जहीर हसन, बागपत: बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापकों को किराये के नाम पर
अवैध तरह से बांटे गये करीब 57 लाख रुपये के प्रकरण के बाद अब विज्ञान
शिक्षकों की पदोन्नति में खेल कर विभाग को 55 लाख से अधिक की चपत लगाने का
नया मामला सामने आया है।
दरअसल, नियमों को ताक पर रख कनिष्ठों को वरिष्ठों के बराबर वेतन भुगतान करा दिया गया। चार साल तक वेतनमान देने में धांधली चलती रही। इस खेल का अब भंडाफोड़ होने से खलबली मची है। अब इस मामले में शिक्षकों से वसूली होगी और अफसरों पर गाज गिरेगी।
उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षकों की कमी दूर करने की आड़ में साल 2004 में प्राथमिक स्कूलों के 59 सहायक अध्यापकों को पदोन्नति देने में बड़ा गोलमाल किया गया। इनमें 20 अप्रशिक्षित अध्यापकों को भी उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षक पदों पर पदोन्नति दी गई, जबकि अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतनमान तो मिल सकता है, लेकिन पदोन्नति और सेवा लाभ नहीं। इसके बावजूद अप्रशिक्षित शिक्षकों को पदोन्नति दी गई। यही नहीं, उक्त सभी विज्ञान अध्यापकों को वरिष्ठ शिक्षकों की बराबरी पर लाने को कनिष्ठ व वरिष्ठ वेतन वृद्धि की आड़ में दूसरा नया खेल खेला गया। हुआ यह कि वर्ष 2007 में प्राथमिक स्कूलों के चयन वेतनमान प्राप्त 299 शिक्षकों की उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षक पदों पर पदोन्नति हुई। बाद में पदोन्नति पाने वाले इन शिक्षकों का वेतन उक्त 59 शिक्षकों से ज्यादा बना। लेकिन तत्कालीन बीएसए और खंड शिक्षा अधिकारियों ने साल 2008 में अपने चहेते 59 शिक्षकों को नियम विरुद्ध कनिष्ठ-वरिष्ठ वेतन वृद्धि लगा दी। इससे हर महीने सरकारी खजाने को चपत लगती रही है।
स्थानीय निधि लेखा विभाग की आडिट रिपोर्ट के अनुसार, एक दिसंबर 2008 से 31 जनवरी 2016 तक 55 लाख 13 हजार 491 रुपये की चपत सरकारी खजाने को लगी है, पर यह आडिट रिपोर्ट फाइलों में दबा दी गई, क्योंकि जिन अधिकारियों ने गलत पदोन्नति और गलत वेतन वृद्धि दी उनका उत्तरदायित्व आज तक निर्धारित कर कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, अंदर अधिकारियों और संबंधित शिक्षकों में गोलमाल का भंडाफोड़ होने से खलबली मची है। वित्त एवं लेखा विभाग गलत भुगतान पाने वाले शिक्षकों से वसूली की कार्रवाई करने का मन बना चुका है।
-हैरान है हर कोई
बागपत: प्राथमिक स्कूलों के अप्रशिक्षित शिक्षकों को उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षक पदों पर पदोन्नति व अन्य लाभ मिलने से बाकी शिक्षकों के साथ अफसर भी हैरान हैं। सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा ने लेखाधिकारी को अप्रशिक्षित शिक्षकों को कनिष्ठ-वरिष्ठ वेतन वृद्धि का लाभ देने पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
-----
हो सकते हैं पदावनत
प्राथमिक स्कूलों के जिन अप्रशिक्षित शिक्षकों ने उच्च प्राथमिक स्कूल के विज्ञान शिक्षक पद पर पदोन्नति पाई है, उन्हें धन लौटाने के अलावा पदोन्नति से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
-------
इन्होंने कहा..
शिक्षकों को नियम विरूद्ध 55 लाख रुपये का भुगतान हुआ जिसकी वसूली करेंगे। अप्रशिक्षित शिक्षकों की पदोन्नति ही गलत हुई है।
-नंदकिशोर, वित्त लेखाधिकारी
--
यह मामला हमसे पूर्व का है। आडिट रिपोर्ट की आपत्तियों निस्तारण कराएंगे। वित्त अनुभाग की जिम्मेदारी है कि गलत भुगतान रोका जाए।
-डा. एमपी वर्मा, बीएसए
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
दरअसल, नियमों को ताक पर रख कनिष्ठों को वरिष्ठों के बराबर वेतन भुगतान करा दिया गया। चार साल तक वेतनमान देने में धांधली चलती रही। इस खेल का अब भंडाफोड़ होने से खलबली मची है। अब इस मामले में शिक्षकों से वसूली होगी और अफसरों पर गाज गिरेगी।
उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षकों की कमी दूर करने की आड़ में साल 2004 में प्राथमिक स्कूलों के 59 सहायक अध्यापकों को पदोन्नति देने में बड़ा गोलमाल किया गया। इनमें 20 अप्रशिक्षित अध्यापकों को भी उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षक पदों पर पदोन्नति दी गई, जबकि अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षित वेतनमान तो मिल सकता है, लेकिन पदोन्नति और सेवा लाभ नहीं। इसके बावजूद अप्रशिक्षित शिक्षकों को पदोन्नति दी गई। यही नहीं, उक्त सभी विज्ञान अध्यापकों को वरिष्ठ शिक्षकों की बराबरी पर लाने को कनिष्ठ व वरिष्ठ वेतन वृद्धि की आड़ में दूसरा नया खेल खेला गया। हुआ यह कि वर्ष 2007 में प्राथमिक स्कूलों के चयन वेतनमान प्राप्त 299 शिक्षकों की उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षक पदों पर पदोन्नति हुई। बाद में पदोन्नति पाने वाले इन शिक्षकों का वेतन उक्त 59 शिक्षकों से ज्यादा बना। लेकिन तत्कालीन बीएसए और खंड शिक्षा अधिकारियों ने साल 2008 में अपने चहेते 59 शिक्षकों को नियम विरुद्ध कनिष्ठ-वरिष्ठ वेतन वृद्धि लगा दी। इससे हर महीने सरकारी खजाने को चपत लगती रही है।
स्थानीय निधि लेखा विभाग की आडिट रिपोर्ट के अनुसार, एक दिसंबर 2008 से 31 जनवरी 2016 तक 55 लाख 13 हजार 491 रुपये की चपत सरकारी खजाने को लगी है, पर यह आडिट रिपोर्ट फाइलों में दबा दी गई, क्योंकि जिन अधिकारियों ने गलत पदोन्नति और गलत वेतन वृद्धि दी उनका उत्तरदायित्व आज तक निर्धारित कर कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, अंदर अधिकारियों और संबंधित शिक्षकों में गोलमाल का भंडाफोड़ होने से खलबली मची है। वित्त एवं लेखा विभाग गलत भुगतान पाने वाले शिक्षकों से वसूली की कार्रवाई करने का मन बना चुका है।
-हैरान है हर कोई
बागपत: प्राथमिक स्कूलों के अप्रशिक्षित शिक्षकों को उच्च प्राथमिक स्कूलों में विज्ञान शिक्षक पदों पर पदोन्नति व अन्य लाभ मिलने से बाकी शिक्षकों के साथ अफसर भी हैरान हैं। सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा ने लेखाधिकारी को अप्रशिक्षित शिक्षकों को कनिष्ठ-वरिष्ठ वेतन वृद्धि का लाभ देने पर रोक लगाने का आदेश दिया है।
-----
हो सकते हैं पदावनत
प्राथमिक स्कूलों के जिन अप्रशिक्षित शिक्षकों ने उच्च प्राथमिक स्कूल के विज्ञान शिक्षक पद पर पदोन्नति पाई है, उन्हें धन लौटाने के अलावा पदोन्नति से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
-------
इन्होंने कहा..
शिक्षकों को नियम विरूद्ध 55 लाख रुपये का भुगतान हुआ जिसकी वसूली करेंगे। अप्रशिक्षित शिक्षकों की पदोन्नति ही गलत हुई है।
-नंदकिशोर, वित्त लेखाधिकारी
--
यह मामला हमसे पूर्व का है। आडिट रिपोर्ट की आपत्तियों निस्तारण कराएंगे। वित्त अनुभाग की जिम्मेदारी है कि गलत भुगतान रोका जाए।
-डा. एमपी वर्मा, बीएसए
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
0 Comments