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UPTET B. ED बीएड और अचयनितों के संघर्ष की रणनीति? By S SHUKLA

बीएड और अचयनितों के संघर्ष की रणनीति? इस समय सभीं याचियों के मन में एक ही सवाल है कि सरकार को बीएड याचयों की नियुक्ति और समायोजन के लिये कैसे राजी किया जाय, और इसके लिये 04 अक्टूबर तक का समय है। कुछ लोग चाहते हैं कि उग्र आन्दोलन हो और कुछ चाहते हैं कि सरकार से बीएड प्रतिनिधि मिलकर अपनी बात मनवाने का प्रयास करें।
मेरे विचार से ये अधूरे प्रयास हैं और सफल नहीं होंगे। सबसे पहले उग्र आन्दोलन की बात करते हैं। आन्दोलन की दशा में जब सरकार अपने दामाद शिक्षामित्रों पर लाठियाँ चलवा सकती है तो बीएड वालों को तो वह अपना पुश्तैनी शत्रु समझती है। यदि उग्र आन्दोलन हुआ तो वह एक दिन से अधिक नहीं चल पाएगा और इतिहास गवाह है कि एक दिन का आन्दोलन कितना भी उग्र क्यों न हो, वह सफल नहीं होता। 03 मई को इलाहाबाद के शान्तिपूर्ण आन्दोलन को कुछ लालची और अतिउत्साही नेताओं ने उग्र आन्दोलन में बदलने की कोशिश की परिणाम यह निकला कि कुछ जख्मी हुए, कुछ पर एफआईआर हुआ और मुकेश बाबू तथा शायद ऐसे ही एक-दो और लोग आज भी लापता हैं। दूसरों की लाशें बिछाकर अपनी रोटी सेंकने का ख्वाब देख रहे कुछ लोग आज भी उग्र आन्दोलन के समर्थन में हैं, लेकिन यह भी सच है कि भीड़ को पिटने के लिये छोड़कर भागने वाले सबसे पहले यही नेता होंगे। कोई भी आन्दोलन मरकर सफल नहीं बनाया जा सकता। उसके लिये जरूरी है कि आन्दोलन करने वाले सुरक्षित रहें और आन्दोलन लम्बे समय तक चले। तभीं मीडिया लगातार इस मुद्दे को उठाए रह सकेगी और राजनीतिक दबाव भी बनेगा। यदि इलाहाबद में जिस तरह से 12 अप्रैल को विशाल शान्तिपूर्ण आन्दोलन आयोजित किया गया था उसे शांतिपूर्ण तरीके से निरन्तर बनाए रखा जाता तो आज भी वह आन्दोलन चल रहा होता और अब तक सरकार पर पर्याप्त दबाव बन गया होता। लखनऊ में आगामी आन्दोलनों की जो बातें की जा रही हैं उन्हें लम्बे समय तक कैसे चलाया जाएगा और आन्दोलन के दौरान् क्या रणनीति अपनाई जाएगा जिससे सरकार पर पर्याप्त दबाव बनाया जा सके इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सरकार से जो लोग मिलने जा रहे हैं उनको भी कोरे आश्वासनों के सिवा कुछ नहीं हासिल होगा। दस बीस लोग सरकार से मिलकर चाह कितना ही दावा करें कि हम संगठित हैं, लेकिन सरकार जानती है कि बीएड वाले संगठित नहीं हैं। अचयनित और याची नेताओं को सबसे महत्वपूर्ण बात यह समझना है कि आज के समय में भिखारी को भी कोई जल्दी भीख नहीं देता, और आप तो पचास हजार से अधिक की नौकरी माँग रहे हैं। दुनिया उसी की मदद करती है जो सक्षम और सामर्थ्यवान होता है और जिससे उसे भविष्य में कुछ लाभ की आशा हो। सरकार भी आपकी मदद तभीं करेगी जब उसे सामर्थ्यवान दिखेंगे और आपके संगठन समर्थन मिलने पर उसे चुनाव परिणाम बदलने की आशा होगी। अतः सबसे पहले जरूरी है यह साबित करना कि बीएड वाले संगठित हैं और इस विधानसभा चुनाव में बीएड वालों को रोजगार देने के मुद्दे पर वोट करने वाले हैं। इसके लिये हजारों की संख्या में याचियों का कई दिनों तक शांतिपूर्ण रूप से धरना देना आवश्यक है। लेकिन हमारे अधिकांश बीएड टेट पास भाई इतने आरामतलब हैं कि मुझे कम ही उम्मीद है कि वे एक दिन से अधिक के लगातार लखनऊ धरने में शामिल होंगे।

संभावित रणनीतिः
सबसे पहले सभीं जिलों में अचयनित याचियों की एक टीम सभीं बीएड कॉलेजों में जाइये और वहॉं प्रत्येक बीएड छात्र से इस पत्र पर उनका समर्थन नाम, पता, हस्ताक्षर सहित लीजिये कि मैं बीएड का छात्र हूँ/बीएड पास हूँ और हम इस विधानसभा चुनाव में उसी पार्टी का समर्थन करेंगे जो बीएड वालों को रोजगार देगी। पहले बीएड कर चुके छात्रों से भी इस तरह का समर्थन लीजिये। इस तरह प्रत्येक जिले में काम हो तो कुछ ही दिनों में लाखों समर्थन पत्र जुटाए जा सकते हैं। फिर शान्तिपूर्ण आन्दोलन के दौरान् और सरकार से मिलने पर यह बीएड वालों की यह माँग मीडिया के सामने और सरकार के सामने उस लाखों समर्थन पत्र के साथ रखिये। बीएड छात्रों/पूर्व छात्रों को यह विश्वास दिलाइये कि यदि हम टेट पास प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त हुए तभीं आगे भी बीएड वालों के लिये प्राथमिक शिक्षक भर्ती में रास्ता बनेगा, इसलिये हम अपनी नियुक्ति के साथ-साथ सम्पूर्ण बीएड वालों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती टेट परीक्षा भर्ती में मौका देने और प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त किये जाने की माँग कर रहे हैं, और इसमें आपका भी हित है इसलिये हमारे समर्थन पत्र पर अपना समर्थन दीजिये और इस बार बीएड रोजगार के नाम पर वोटिंग कीजिये। जो लोग तमाम पार्टियों से जुड़े हैं वे इन समर्थन पत्रों की फोटोकॉपी अपने अपने पार्टी के नेताओं को उपलब्ध कराकर उनसे बीएड वालों के नियुक्ति का समर्थन मॉगिये या सीधे शब्दों में कहें तो सौदेबाजी कीजिये। अपनी एकजुटता को एक मंच पर ले आइये और लाखों का समर्थन लेकर सीधे सरकार और अन्य पार्टियों से सौदेबाजी कीजिये। जब तक भीख माँगेंगे कोई आपकी बात नहीं सुनेगा क्योंकि उसे आपसे कोई लाभ नहीं। इसलिये एक बड़ा समर्थन लेकर सीधी सौदेबाजी कीजिये। कुछ लोग आजकल फेसबुक पर नई बीएड पार्टी बेरोजगारी पार्टी आदि बनाने की बातें कर रहे हैं। यदि वे सच में कुछ करना चाहते हैं तो इस तरह का लाखों का समर्थन पत्र एकत्र करने की मेहनत करें और फिर पार्टी की बात करें। हम खुलेतौर से उसका साथ देंगे जो भी बीएड बेरोजगारों को इस प्रकार संगठित करके सरकार पर दबाव बनाने के लिये काम करेगा। लेकिन जो भी चंदाखोर आदमखोर बिना किसी सही रणनीति के बीएड वालों को केवल इसलिये पिटवाना चाहेंगे कि उनका धन्धा चलता रहे और वास्तव में वे बिना कुछ किये नेता बनें हराम का खायें, उन्हें हमारा कोई समर्थन नहीं होगा। इस संघर्ष में बहुत से ऐसे अचयनित साथी हैं जो नए जुड़े हैं, इस दिशा में सबसे बड़ी जिम्मेदारी उनकी है, वे स्वयं इस कार्य के लिये आगे आयें। क्योंकि जो साथी करीब पाँच सालों से इस भर्ती में संघर्ष कर रहे हैं वे इसे अपना काफी समय दे चुके हैं और अब बहुत अधिक समय देना उनके लिये कठिन है। सिर्फ फेसबुक पर पोस्ट करने और लाइक करने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है, इसलिये जमीनी संघर्ष की एक रणनीति को चुनकर उसपर काम कीजिये। यदि फेसबुक पर कुछ करना है तो बीएड टेट ग्रुपों से बाहर निकलकर राजनेताओं के वाल और पेज पर लिखिये कि इस विधानसभा चुनाव में हम बीएड पास 12 लाख बेरोजगार केवल उसी को वोट देंगे जो बीएड वालों को रोजगार देगी। इस बार बीएड वाले जाति, धर्म, क्षेत्र के नाम पर नहीं वरन् केवल एक मुद्दे बीएड रोजगार के नाम पर वोट देंगे। अन्त में कोर्ट कार्यवाही की बात करें तो अनेक गुटों ने याची लाभ और समायोजन के नाम पर अच्छा धन वसूल किया है और पता चला है कि कई गुटों के जिला प्रतिनिधियों ने अभीं भी अपने पास पैसा रखा हुआ है, जिसे वे केवल अचयनितों के मुद्दे पर अलग से सीनियर वकील हेतु व्यय करना चाहते हैं। उन्हें सलाह है कि वे इस धन को किसी एक अचयनित नेता पर भरोसा करते हुए उसके पास केन्द्रित ना होने दें, क्योंकि पैसे में वह शक्ति है कि वह बहुत से अच्छे लोगों का ईमान भी खराब कर देती है। आप सब मिलकर अचयनित याचियों के लिये वकील का निर्णय लें और अपना जिलों का पैसा सीधे वकील के चैम्बर में पेमेन्ट करें। अन्यथा आपके पैसे का एक बड़ा हिस्सा दलाली और किसी अचयनित नेता की जेब भरने में भी जा सकता है। यहाँ मैं किसी पर बेईमानी का आरेाप नहीं लगा रहा, लेकिन जिस तरह बहुत धनपिपासुओं का खुलासा हुआ है, उसे देखते हुए केवल इस हेतु सुनिश्चित हों कि अपने पैसे का सही उपयोग होगा। इस पोस्ट के जिन बातों से आप सहमत हैं उन्हें काँपी करके अन्य तक पहुँचा सकते हैं।
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