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बीएड बीटीसी बेरोज़गारो के दिन के सपने कभी पूरे नहीं होंगे - शिक्षामित्र

हाई कोर्ट के फैसले के बाद हमने अपनी लड़ाई इसी सिद्धांत पर लड़ने की ठानी। और आज हम आश्वस्त हैं। ये लड़ाई अब आम शिक्षामित्र की है। जिसने अपनी गलतियों से सीखा और खुद को जीत के क़ाबिल बनाया है। आइये बताते हैं कैसे?

शिक्षमित्रों की ओर से दाखिल हलफनामे का बिंदु था: Whether the Government Order dated 26 May 1999 can be regarded as a valid exercise of power under Article 162 of the Constitution, where the Service Rules of 1981 were silent in regard to the appointment of untrained teachers;

अर्थात- यद्दपि 1981 के सेवा नियम अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध मे खामोश थे। ऐसे में दिनांक 26 मई 1999 के आदेश को संविधान के अनुच्छेद 162 की शक्ति का मान्य प्रयोग माना जा सकता है।

शिक्षामित्रों के पैरवीकारों की और से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 162 के परन्तुक द्वारा मानी जाए। आइए पहले अनुच्छेद 162 को समझते हैं।।

सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 162 की व्याख्या करते हुए यह धारित किया है कि अनुच्छेद 162 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग केवल उन स्थानों पर हो सकता है जहां संसद अथवा विधानसभा द्वारा पारित कोई कानून उपलब्ध न हो। जहां कोई कानून उपलब्ध हो वहां उस कानून के विपरीत कोई भी परिपत्र अनुच्छेद 162 के अंतर्गत जारी नहीं किया जा सकता। अब जबकि हम सब जानते हैं कि शिक्षामित्र योजना 1999 में राज्यपाल की अनुच्छेद 309 की शक्तियों का प्रयोग कर लागू की गई तो ये अनुच्छेद 162 के तहत कैसे आ गई।

बीएड/बीटीसी बेरोज़गारों के वकील ने शिक्षामित्रों के हलफनामे की इसी कमी को पकड़ा और उमादेवी केस को सामने ला के रख दिया। बस इतना करना था कि शिक्षामित्रों का पूरा का पूरा केस धराशायी हो गया।

अभी भी बीएड/बीटीसी बेरोज़गार अपनी पोस्ट्स में हमें उमादेवी केस समझाते रहते हैं। उनकी इस ग़लतफ़हमी को होने वाली सुनवाई में मिशन सुप्रीम कोर्ट समूह के रबी बहार, केसी सोनकर, माधव गंगवार और साथी* वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ कॉलिन गोंजाल्विस माध्यम से दूर कर देंगे। अनुच्छेद 162 के स्थान पर 309 पुनर्स्थापित होगा। शिक्षामित्र शिक्षक हैं और शिक्षक ही रहेंगे।

बीएड/बीटीसी बेरोज़गारो के दिवा स्वप्न कभी पुरे नहीं होंगे। यहाँ हम आप सब साथियों को पुनः आश्वस्त करते हैं कि हमने हाइकोर्ट में हुई अपनी सभी कमियों को चिन्हित कर लिया है और उनका इलाज भी खोज रखा है। अब हम हाई कोर्ट के उन शिक्षामित्रों के अन्य पैरवीकारों की गलतियों को नहीं दोहराने वाले जो उन्होंने कीं। और जीत के प्रति आश्वस्त हैं।
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