सभी शिक्षामित्रो को बीटीसी कार्यरत शिक्षक मानकर करायी गयी थी क्योकि नियम ये है कि दूरस्थ बीटीसी सिर्फ कार्यरत अध्यापको को करायी जा सकती है अन्य किसी को भी नही इसके अतिरिक्त इसकी नियमानुसार ncte से अनुमति ली गयी थी
अब प्रश्न ये उठता है कि यदि हम 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक थे तो हमे टेट की आवश्यकता ही नही है।
अगर हमे टेट की आवश्यकता है तो सिर्फ इसलिए कि हमे पहले से कार्यरत अध्यापक न माना जाये । ऐसी स्थिति में हमारी ट्रेनिंग भी नही बचेगी ।
यदि ट्रेनिंग नही बचेगी तो हमारा टेट का प्रमाण पत्र भी अवैध हो जायेगा क्योकि जिस ट्रेनिंग के आधार पर हमने टेट की परीक्षा दी है यदि वह ट्रेनिंग ही नही बची तो टेट का बचना मुश्किल ही नही नामुमकिन भी है।
ऐसी स्थिति में सिर्फ एक ही उपाय है कि सुप्रीम कोर्ट में हम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक साबित करे जिससे कि हमारी ट्रेनिंग भी बची रहेगी और टेट की छुट भी जारी रहेगी
अन्यथा कि स्थिति में टेट पास शिक्षामित्र स्वम् सोचे कि यदि किसी कारण वश हम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक कोर्ट में साबित न कर पाये तो हमारी ट्रेनिंग ही अवैध हो जायेगी तो टेट का सर्टिफिकेट आपके लिए मात्र एक फिट का कागज ही है।
अतः सभी साथी चाहे वह टेट पास है अथवा नही दोनों को सर्वप्रथम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक साबित करना है।
यदि हम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक साबित कर पाये तो हमारी ट्रेनिंग सुरक्षित है और टेट से छूट भी
यदि ऐसा न हुआ तो ट्रेनिंग ही न बचेगी तो टेट पास का सर्टिफिकेट हमारे लिये मात्र एक फिट के कागज के टुकड़े से अधिक कुछ भी नही है ।
टेट पास साथियों द्वारा यदि यह कर कि हम टेट पास है हमे विशेष लाभ दिया जाये सुप्रीम कोर्ट जाया जाता है तो क्या कोर्ट आपसे यह नही पूछेगी कि क्या आप अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक नही मानते है जो आप टेट पास होने की बात करते है यदि आप 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक स्वम् ही नही मानते है तो आपकी ट्रेनिंग को कोर्ट कैसे वैध मान लेगा जरा इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
टेट पास साथियो से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि आप टेट पास है यह अच्छी बात है पर यदि आप कोर्ट में टेट पास टेट पास चिल्लायेंगे तो कानूनी तौर पर आप स्वम् को बिना टेट पास शिक्षामित्र से भी कमजोर पायेगे। कोर्ट नियम कानून पर निर्णय देता है आपकी योग्यता को कोर्ट में नही परखा जायेगा।
जैसे यदि किसी व्यक्ति का हाइस्कूल यदि अवैध साबित हो गया तो उसके बाद की सारी डिग्रियां सिर्फ कागज का टुकड़ा ही है ।और आप चाहे MA पास हो पर एक वैध हाइस्कूल पास का योग्यता के आधार पर कभी भी कोर्ट में मुकाबला नही कर सकते है।
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- शिक्षामित्रो को बीटीसी कार्यरत शिक्षक मानकर करायी गयी थी ट्रेनिंग
अब प्रश्न ये उठता है कि यदि हम 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक थे तो हमे टेट की आवश्यकता ही नही है।
अगर हमे टेट की आवश्यकता है तो सिर्फ इसलिए कि हमे पहले से कार्यरत अध्यापक न माना जाये । ऐसी स्थिति में हमारी ट्रेनिंग भी नही बचेगी ।
यदि ट्रेनिंग नही बचेगी तो हमारा टेट का प्रमाण पत्र भी अवैध हो जायेगा क्योकि जिस ट्रेनिंग के आधार पर हमने टेट की परीक्षा दी है यदि वह ट्रेनिंग ही नही बची तो टेट का बचना मुश्किल ही नही नामुमकिन भी है।
ऐसी स्थिति में सिर्फ एक ही उपाय है कि सुप्रीम कोर्ट में हम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक साबित करे जिससे कि हमारी ट्रेनिंग भी बची रहेगी और टेट की छुट भी जारी रहेगी
अन्यथा कि स्थिति में टेट पास शिक्षामित्र स्वम् सोचे कि यदि किसी कारण वश हम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक कोर्ट में साबित न कर पाये तो हमारी ट्रेनिंग ही अवैध हो जायेगी तो टेट का सर्टिफिकेट आपके लिए मात्र एक फिट का कागज ही है।
अतः सभी साथी चाहे वह टेट पास है अथवा नही दोनों को सर्वप्रथम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक साबित करना है।
यदि हम अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक साबित कर पाये तो हमारी ट्रेनिंग सुरक्षित है और टेट से छूट भी
यदि ऐसा न हुआ तो ट्रेनिंग ही न बचेगी तो टेट पास का सर्टिफिकेट हमारे लिये मात्र एक फिट के कागज के टुकड़े से अधिक कुछ भी नही है ।
टेट पास साथियों द्वारा यदि यह कर कि हम टेट पास है हमे विशेष लाभ दिया जाये सुप्रीम कोर्ट जाया जाता है तो क्या कोर्ट आपसे यह नही पूछेगी कि क्या आप अपने आपको 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक नही मानते है जो आप टेट पास होने की बात करते है यदि आप 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापक स्वम् ही नही मानते है तो आपकी ट्रेनिंग को कोर्ट कैसे वैध मान लेगा जरा इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
टेट पास साथियो से सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि आप टेट पास है यह अच्छी बात है पर यदि आप कोर्ट में टेट पास टेट पास चिल्लायेंगे तो कानूनी तौर पर आप स्वम् को बिना टेट पास शिक्षामित्र से भी कमजोर पायेगे। कोर्ट नियम कानून पर निर्णय देता है आपकी योग्यता को कोर्ट में नही परखा जायेगा।
जैसे यदि किसी व्यक्ति का हाइस्कूल यदि अवैध साबित हो गया तो उसके बाद की सारी डिग्रियां सिर्फ कागज का टुकड़ा ही है ।और आप चाहे MA पास हो पर एक वैध हाइस्कूल पास का योग्यता के आधार पर कभी भी कोर्ट में मुकाबला नही कर सकते है।
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