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शिक्षकों की हो भर्ती तो सुधरे शिक्षा का स्तर

लखनऊ। शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार ने बच्चों के लिए किताबें, एमडीएम की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए सबसे जरूरी माध्यम जो कि शिक्षक हैं, उनकी संख्या पर ध्यान नहीं दे रही है
देश के स्कूलों में इस समय लगभग दस लाख शिक्षकों की कमी है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय कठिंगरा, काकोरी के प्रधानाध्यापक शाहिद अली आब्दी कहते हैं, “शिक्षा की तमाम नीतियां बनती हैं लेकिन शिक्षा का स्तर सुधारने और इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के पहले कदम में शामिल शिक्षकों की भर्ती पर्याप्त संख्या में नहीं करती। शिक्षकों की भर्ती जल्द से जल्द की जानी चाहिए।”

शिक्षकों की है बड़ी कमी

ऐसा नहीं है कि शिक्षकों की कमी केवल प्राथमिक स्कूलों में ही है। माध्यमिक स्कूलों और उच्च शिक्षा देने वाले कॉलेजों में भी शिक्षकों की बेहद कमी है। प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 18 प्रतिशत, माध्यमिक स्कूलों में 15 प्रतिशत और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में 20 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। यानि लगभग 10 लाख शिक्षकों की सामूहिक रूप से कमी है।

प्रयासों में लानी चाहिए तेजी

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता और कालीचरण इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. महेन्द्र नाथ राय कहते हैं, “देश में सबसे बड़ी जरूरत शिक्षा की है। इसके लिए शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में भर्ती होना जरूरी है। शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार चाहे जो सुविधा दे लेकिन सबसे जरूरी है शिक्षक, जो बच्चों को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभाता है। शिक्षकों की संख्या को बढ़ाने के लिए प्रयास तेज होने चाहिए।”
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