यूपी के परिषदीय विद्यालयों में अब नहीं पढ़ा सकेंगे प्रतिनिधि अध्यापक

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रतिनिधि अध्यापकों द्वारा बच्चों को पढ़ाए जाने की शिकायतों के मद्देनजर राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए नोटिस बोर्ड पर शिक्षकों की फोटो लगाने के संबंध में सर्कुलर जारी किया है.

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में एक लाख से अधिक प्राथमिक और 35,000 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं जहां अध्यापकों द्वारा अपनी जगह दूसरे व्यक्तियों को पढ़ाने के लिए भेजे जाने की शिकायतें आती रही हैं. सरकार ने प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों सहित सभी अकादमिक कर्मचारियों के लिए कक्षाओं में और स्कूल के नोटिस बोर्डों पर अपनी फोटो लगाना अनिवार्य कर दिया है.

इस तरह की ज्यादातर शिकायतें उन अध्यापकों के खिलाफ थीं जिनके घर शहरों में हैं, लेकिन नियुक्ति दूरदराज के गांवों में स्थित विद्यालयों में है. वे अपनी जगह किसी अन्य व्यक्ति को पढ़ाने के लिए विद्यालय भेज दिया करते थे. इस समस्या से निपटने के लिए राज्य के सभी 75 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया गया है.

इलाहाबाद जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुशवाहा ने बताया कि ये फोटोग्राफ अध्यापकों की वरिष्ठता के आधार पर लगाए जाएंगे जिससे बच्चों और उनके मां-बाप को वास्तविक अध्यापकों के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी.

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को प्रतिनिधि शिक्षकों द्वारा पढ़ाए जाने के बारे में शिकायतें मिलने के बाद मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की निदेशक सुरभि जैन ने 21 अप्रैल, 2016 को कई राज्यों को एक पत्र लिखकर इस संबंध में कदम उठाने को कहा था.

इस दिशा में कदम उठाते हुए प्रदेश की अपर निदेशक (बेसिक शिक्षा) नीना श्रीवास्तव ने गत 16 जून को सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सर्कुलर जारी कर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की फोटो लगाने का निर्देश दिया. कुशवाहा ने कहा कि जुलाई से विद्यालयों में नया सत्र शुरू होने के साथ इस निर्णय को अमल में लाया जाएगा.
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