क्या आंदोलनरत शिक्षकों की सेलरी कटेगी या सर्विस ब्रेक होगी , क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहे शिक्षा मित्रों पर कार्यवाही करेगी -
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Himanshu Rana >>>
खैर इनसे , इससे ज्यादा उम्मीद भी क्या की जा सकती है ?
एक पॉइंट ऐसा भी होता विधिक जो इन्हे बचा पाता भारतीय संविधान के अनुसार तो मा० उच्च न्यायालय पूर्ण पीठ और खंडपीठ मा० सर्वोच्च न्यायालय के मिलाकर पांच न्यायाधीश कहीं न कहीं तो कुछ सोचते इनके लिए |
लेकिन इनकी संकीर्ण मानसिकता इस हद तक गिर गई है कि जिस प्रकार कभी पूर्व न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा के पुतले कांग्रेसियों ने फूंक दिए थे जब उन्होंने इंदिरा गाँधी का चुनाव विधिक अनुसार गलत पाया था और चुनाव रद्द कर दिया था या शाह बानो केस में मुस्लिम संगठनों के द्वारा मा० सर्वोच्च न्यायालय के न्याय की किरकिरी सड़कों पर की थी ये भी ठीक वैसा ही कर रहे हैं |
सबसे ज्यादा मन खिन्न होता है ये सोचकर की सरकार और अधिकारी क्या कर रहे हैं ?
*कितने आदेश हुए हैं अब तक अधिकारियों द्वारा कि शिक्षामित्र जब धरने पर थे तो आज उनके हस्ताक्षर कैसे हैं अटेंडेंस रजिस्टर में ?
*क्या कोई आदेश शासन स्तर से हुआ है अभी तक कि शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पदों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे ?
*क्या मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को सरकार द्वारा गंभीरता से लिया गया है अभी तक जो विचारने हेतु इन्हे पंद्रह दिन का समय दिया गया था और अब तक स्थिति साफ़ नहीं की गई है ?
खैर इन सभी से अलग होकर सरकार को 16 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया गया है फिर पूरे प्रदेश के हर जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी और देश की राजधानी में आंदोलन करने की बात कर रहे हैं ये लोग जबकि गोरखपुर त्रासदी से पहले ही बच्चों के भविष्य को लेकर उत्तरप्रदेश सरकार पहले से ही जूझ रही है लेकिन सब अपनी धुन में सवार हैं |
योगी सरकार तो वैसे भी कुछ नहीं कर सकती है इसमें बस थोड़ा बहुत सर्व-शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार से बातचीत कर मानदेय (वेतनमान नहीं) बढ़ा सकती है वो भी उतना कि अन्य संगठन रोष में न आ जाएं वरना उत्तरप्रदेश की तदर्थ नियुक्तियां हिचकोले लेने लगेंगी और सड़क पर उतर जाएंगी मानदेय बढ़वाने के लिए |
बात रही मोदी सरकार की तो वो कर नहीं पाएंगे वरना पूरा देश खड़ा हो जाएगा इसके तहत और सभी को (कोई सा विभाग हो और न ही न्यूनतम अहर्ता मायने रखेंगी फिर यानी कम्पाउण्डर बनेगा डाक्टर , होमगार्ड डी०आई०जी और ये सहायक अध्यापक) नियमित करना पड़ेगा और मा० सर्वोच्च न्यायालय ने जिन नजीरों को दिखाकर संविदा कर्मियों के विरुद्ध में फैसले दिए थे सब पलटेंगे |
केवल ये ही विकल्प है कि मानदेय (सम्मानित तरह से) बढ़ जाए और खुली भर्ती में प्रतियोगिता में भाग लेकर आएं वरना प्रदेश क्या पूरे देश की व्यवस्था बदल जाएगी |
बाकी ये न्यूज़ 👇🏻 फर्जी है और शिक्षामित्रों की मानसिकता को बताता है कि किस प्रकार इन्होने न्यायपालिका , न्यायाधीश , प्रधानमन्त्री , राष्ट्रपति , मुख्यमंत्री आदि जैसे पदों का खुले तौर पर असम्मान किया है जिसके प्रति अब योगी मोदी सरकार को सचेत होकर कड़ी कार्रवाई कर जल्द से जल्द प्रशिक्षित अध्यापक विद्यालयों में पहुंचाने चाहिए ताकि इनकी गुंडागर्दी समाप्त हो और नौनिहालों का भविष्य सुरक्षित हो
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
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Himanshu Rana >>>
खैर इनसे , इससे ज्यादा उम्मीद भी क्या की जा सकती है ?
एक पॉइंट ऐसा भी होता विधिक जो इन्हे बचा पाता भारतीय संविधान के अनुसार तो मा० उच्च न्यायालय पूर्ण पीठ और खंडपीठ मा० सर्वोच्च न्यायालय के मिलाकर पांच न्यायाधीश कहीं न कहीं तो कुछ सोचते इनके लिए |
लेकिन इनकी संकीर्ण मानसिकता इस हद तक गिर गई है कि जिस प्रकार कभी पूर्व न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा के पुतले कांग्रेसियों ने फूंक दिए थे जब उन्होंने इंदिरा गाँधी का चुनाव विधिक अनुसार गलत पाया था और चुनाव रद्द कर दिया था या शाह बानो केस में मुस्लिम संगठनों के द्वारा मा० सर्वोच्च न्यायालय के न्याय की किरकिरी सड़कों पर की थी ये भी ठीक वैसा ही कर रहे हैं |
सबसे ज्यादा मन खिन्न होता है ये सोचकर की सरकार और अधिकारी क्या कर रहे हैं ?
*कितने आदेश हुए हैं अब तक अधिकारियों द्वारा कि शिक्षामित्र जब धरने पर थे तो आज उनके हस्ताक्षर कैसे हैं अटेंडेंस रजिस्टर में ?
*क्या कोई आदेश शासन स्तर से हुआ है अभी तक कि शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पदों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे ?
*क्या मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को सरकार द्वारा गंभीरता से लिया गया है अभी तक जो विचारने हेतु इन्हे पंद्रह दिन का समय दिया गया था और अब तक स्थिति साफ़ नहीं की गई है ?
खैर इन सभी से अलग होकर सरकार को 16 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया गया है फिर पूरे प्रदेश के हर जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी और देश की राजधानी में आंदोलन करने की बात कर रहे हैं ये लोग जबकि गोरखपुर त्रासदी से पहले ही बच्चों के भविष्य को लेकर उत्तरप्रदेश सरकार पहले से ही जूझ रही है लेकिन सब अपनी धुन में सवार हैं |
योगी सरकार तो वैसे भी कुछ नहीं कर सकती है इसमें बस थोड़ा बहुत सर्व-शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार से बातचीत कर मानदेय (वेतनमान नहीं) बढ़ा सकती है वो भी उतना कि अन्य संगठन रोष में न आ जाएं वरना उत्तरप्रदेश की तदर्थ नियुक्तियां हिचकोले लेने लगेंगी और सड़क पर उतर जाएंगी मानदेय बढ़वाने के लिए |
बात रही मोदी सरकार की तो वो कर नहीं पाएंगे वरना पूरा देश खड़ा हो जाएगा इसके तहत और सभी को (कोई सा विभाग हो और न ही न्यूनतम अहर्ता मायने रखेंगी फिर यानी कम्पाउण्डर बनेगा डाक्टर , होमगार्ड डी०आई०जी और ये सहायक अध्यापक) नियमित करना पड़ेगा और मा० सर्वोच्च न्यायालय ने जिन नजीरों को दिखाकर संविदा कर्मियों के विरुद्ध में फैसले दिए थे सब पलटेंगे |
केवल ये ही विकल्प है कि मानदेय (सम्मानित तरह से) बढ़ जाए और खुली भर्ती में प्रतियोगिता में भाग लेकर आएं वरना प्रदेश क्या पूरे देश की व्यवस्था बदल जाएगी |
बाकी ये न्यूज़ 👇🏻 फर्जी है और शिक्षामित्रों की मानसिकता को बताता है कि किस प्रकार इन्होने न्यायपालिका , न्यायाधीश , प्रधानमन्त्री , राष्ट्रपति , मुख्यमंत्री आदि जैसे पदों का खुले तौर पर असम्मान किया है जिसके प्रति अब योगी मोदी सरकार को सचेत होकर कड़ी कार्रवाई कर जल्द से जल्द प्रशिक्षित अध्यापक विद्यालयों में पहुंचाने चाहिए ताकि इनकी गुंडागर्दी समाप्त हो और नौनिहालों का भविष्य सुरक्षित हो
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