आजमगढ़। डॉ. भीमवराव अंबेडकर विवि आगरा से वर्ष 2004-05
के दौरान हासिल की गई फर्जी बीएड डिग्री के आधार पर मंडल में नौकरी करने
वाले प्राथमिक शिक्षकों की जांच में बड़ा खेल किया गया है।
एडी बेसिक कार्यालय से सचिव बेसिक
शिक्षा परिषद की ओर से 3517 फर्जी डिग्रियों की जारी सूची से बिना मिलान के
ही मंडल के 29 शिक्षकों को फर्जी बताकर सूची सचिव को भेज दी।
साथ ही मंडल के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जांच रिपोर्ट भेजकर इनकी सेवा समाप्ति और अन्य विधिक कार्रवाई के आदेश दे दिए। जबकि 3517 फर्जी डिग्रियों की सूची में मंडल के मात्र चार ही शिक्षक शामिल हैं।
मामला खुलने से एडी बेसिक कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। देर शाम तक सभी बीएसएस कार्यालय को फोन कर संशोधित सूची जारी करने की बात कही जा रही थी।
आगरा विवि से वर्ष 2005 में बीएड की फर्जी डिग्रियां जारी करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद हाईकोर्ट ने इसकी एसआईटी से जांच कराई थी। इसमें जांच टीम को 3517 डिग्री फर्जी और 1053 डिग्रियां टेंपर्ड मिली थीं।
पिछले दिनों सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से इन फर्जी 4570 डिग्रियों की सूची एडी बेसिक को जारी कर संबंधित जिलों में जांच करने और इस पर शिक्षकों बने लोगों को चिह्नित कर सेवा समाप्त करने और विधिक कार्रवाई के आदेश दिए थे।
इसके बाद एडी बेसिक की ओर से 25 अक्तूबर को सभी बीएसए से आगरा विवि की 2005 की बीएड डिग्री पर शिक्षक बने लोगों का रिकार्ड तलब किया गया। सचिव की ओर से 10 नवंबर तक जांच रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए थे।
आजमगढ़ बीएसए की ओर से 29, बलिया की ओर से 97 और मऊ में 32 ऐसे शिक्षकों के अभिलेख एडी बेसिक को भेज दिए, जो 2004 के बाद आगरा विवि से जारी बीएड की डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं।
एडी बेसिक को इन शिक्षकों के अभिलेखों का सचिव की ओर से भेजे गई 3517 फर्जी और 1053 टेंपर्ड डिग्रियों की सूची से मिलान कर शिक्षकों को चिह्नित करना था और इन पर कार्रवाई करानी थी।
एडी बेसिक कार्यालय से बिना मिलान के ही आगरा विवि से वर्ष 2005 में बीएड करने वाले मंडल के 29 शिक्षकों को 3517 फर्जी डिग्री की सूची में होने की जांच रिपोर्ट 10 नवंबर 2017 को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेज दी गई।
साथ ही मंडल के सभी बीएसए को जांच रिपोर्ट भेज इनके खिलाफ सेवा समाप्ति और विविध कार्रवाई कराने के आदेश जारी कर दिए गए। इसमें आजमगढ़ के 12, बलिया के 15 और मऊ के दो शिक्षक थे।
इस बीच वर्ष 2016 के दौरान हुई 15000 और 16448 शिक्षक भर्ती की जांच कर रहे अपर सांख्यिकी अधिकारी सुनील सिंह ने बीएसए कार्यालय से प्राप्त एसआईटी की सूची की सीडी से इन 29 शिक्षकों का मिलान किया तो मंडल के मात्र चार शिक्षकों के नाम ही 3517 की फर्जी डिग्रियों की सूची में शामिल पाया गया। इसमें आजमगढ़ का एक, बलिया का एक और मऊ जिले के दो शिक्षक शामिल थे।
शेष 25 शिक्षकों का नाम 3517 फर्जी डिग्रियों की सूची में नहीं था। उन्होंने मामले की जानकारी जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह को दी। जिलाधिकारी की ओर से मामले की जानकारी एडी बेसिक योगेंद्र कुमार को दी गई तो एडी बेसिक कार्यालय में हड़कंप मच गया।
आनन-फानन में सभी अभिलेखों को फिर से खंगाला जाने लगा। सूची से मिलान किया गया। सोमवार देर शाम को सभी बीएसए कार्यालय में फोन कर संशोधित सूची जारी करने की बात कही गई।
एडी बेसिक कार्यालय के संविदा बाबू ने बनाई थी सूची
आजमगढ़। मंडल के जिन 29 शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए सभी बीएसए को लिखा गया था, वो सूची एडी बेसिक कार्यालय में संविदा पर तैनात एक बाबू की ओर से तैयार की गई थी। जांच रिपोर्ट पर उनके हस्ताक्षर भी हैं।
उक्त बाबू कार्यालय में बलिया का पटल देखते हैं। अपनी नौकरी के दौरान ही उन्होंने गंभीरवन में मां गौरी महिला महाविद्यालय भी खड़ा कर लिया और उसके पदेन प्रबंधक भी हैं। जिस जमीन पर उन्होंने कालेज को खड़ा किया वो भी सरकारी भूमि पर है।
सरकारी जमीन को अपने नाम दर्ज करा लिया था, जिसे तत्कालीन डीडीसी ऋतु सुहास की ओर से खारिज भी कर दिया गया था, लेकिन कालेज की इमारत अभी भी खड़ी है।
साथ ही मंडल के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जांच रिपोर्ट भेजकर इनकी सेवा समाप्ति और अन्य विधिक कार्रवाई के आदेश दे दिए। जबकि 3517 फर्जी डिग्रियों की सूची में मंडल के मात्र चार ही शिक्षक शामिल हैं।
मामला खुलने से एडी बेसिक कार्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। देर शाम तक सभी बीएसएस कार्यालय को फोन कर संशोधित सूची जारी करने की बात कही जा रही थी।
आगरा विवि से वर्ष 2005 में बीएड की फर्जी डिग्रियां जारी करने का मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद हाईकोर्ट ने इसकी एसआईटी से जांच कराई थी। इसमें जांच टीम को 3517 डिग्री फर्जी और 1053 डिग्रियां टेंपर्ड मिली थीं।
पिछले दिनों सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से इन फर्जी 4570 डिग्रियों की सूची एडी बेसिक को जारी कर संबंधित जिलों में जांच करने और इस पर शिक्षकों बने लोगों को चिह्नित कर सेवा समाप्त करने और विधिक कार्रवाई के आदेश दिए थे।
इसके बाद एडी बेसिक की ओर से 25 अक्तूबर को सभी बीएसए से आगरा विवि की 2005 की बीएड डिग्री पर शिक्षक बने लोगों का रिकार्ड तलब किया गया। सचिव की ओर से 10 नवंबर तक जांच रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए थे।
आजमगढ़ बीएसए की ओर से 29, बलिया की ओर से 97 और मऊ में 32 ऐसे शिक्षकों के अभिलेख एडी बेसिक को भेज दिए, जो 2004 के बाद आगरा विवि से जारी बीएड की डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं।
एडी बेसिक को इन शिक्षकों के अभिलेखों का सचिव की ओर से भेजे गई 3517 फर्जी और 1053 टेंपर्ड डिग्रियों की सूची से मिलान कर शिक्षकों को चिह्नित करना था और इन पर कार्रवाई करानी थी।
एडी बेसिक कार्यालय से बिना मिलान के ही आगरा विवि से वर्ष 2005 में बीएड करने वाले मंडल के 29 शिक्षकों को 3517 फर्जी डिग्री की सूची में होने की जांच रिपोर्ट 10 नवंबर 2017 को सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को भेज दी गई।
साथ ही मंडल के सभी बीएसए को जांच रिपोर्ट भेज इनके खिलाफ सेवा समाप्ति और विविध कार्रवाई कराने के आदेश जारी कर दिए गए। इसमें आजमगढ़ के 12, बलिया के 15 और मऊ के दो शिक्षक थे।
इस बीच वर्ष 2016 के दौरान हुई 15000 और 16448 शिक्षक भर्ती की जांच कर रहे अपर सांख्यिकी अधिकारी सुनील सिंह ने बीएसए कार्यालय से प्राप्त एसआईटी की सूची की सीडी से इन 29 शिक्षकों का मिलान किया तो मंडल के मात्र चार शिक्षकों के नाम ही 3517 की फर्जी डिग्रियों की सूची में शामिल पाया गया। इसमें आजमगढ़ का एक, बलिया का एक और मऊ जिले के दो शिक्षक शामिल थे।
शेष 25 शिक्षकों का नाम 3517 फर्जी डिग्रियों की सूची में नहीं था। उन्होंने मामले की जानकारी जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह को दी। जिलाधिकारी की ओर से मामले की जानकारी एडी बेसिक योगेंद्र कुमार को दी गई तो एडी बेसिक कार्यालय में हड़कंप मच गया।
आनन-फानन में सभी अभिलेखों को फिर से खंगाला जाने लगा। सूची से मिलान किया गया। सोमवार देर शाम को सभी बीएसए कार्यालय में फोन कर संशोधित सूची जारी करने की बात कही गई।
एडी बेसिक कार्यालय के संविदा बाबू ने बनाई थी सूची
आजमगढ़। मंडल के जिन 29 शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए सभी बीएसए को लिखा गया था, वो सूची एडी बेसिक कार्यालय में संविदा पर तैनात एक बाबू की ओर से तैयार की गई थी। जांच रिपोर्ट पर उनके हस्ताक्षर भी हैं।
उक्त बाबू कार्यालय में बलिया का पटल देखते हैं। अपनी नौकरी के दौरान ही उन्होंने गंभीरवन में मां गौरी महिला महाविद्यालय भी खड़ा कर लिया और उसके पदेन प्रबंधक भी हैं। जिस जमीन पर उन्होंने कालेज को खड़ा किया वो भी सरकारी भूमि पर है।
सरकारी जमीन को अपने नाम दर्ज करा लिया था, जिसे तत्कालीन डीडीसी ऋतु सुहास की ओर से खारिज भी कर दिया गया था, लेकिन कालेज की इमारत अभी भी खड़ी है।
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