इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच भले ही अब तक शुरू न हो सकी हो लेकिन, निराश हो रहे प्रतियोगी छात्रों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना वादा और इरादा दोहरा कर काफी सुकून दिया है।
मुरादाबाद में रविवार को चुनावी रैली के दौरान आयोग की सीबीआइ जांच पर नई रोशनी डालकर मुख्यमंत्री ने यह पक्का कर दिया है कि परीक्षाओं में धांधली करने वाले कोई भी लोग बख्शे नहीं जाएंगे। आयोग से सपा शासन में हुई सभी भर्तियों में मनमानी और योग्य छात्रों की अनदेखी का आरोप लगाकर सैकड़ों छात्रों ने खूब आंदोलन किया था।
प्रतियोगी छात्रों ने सभी परीक्षाओं पर अंगुली उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी, उन आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस की लाठियां तो बरसी ही थीं, गोलियां भी चली थीं। गत 19 जुलाई को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने का एलान किया तो प्रतियोगी छात्रों की बाछें खिल गई थीं। मन की मुराद पूरी होने की आस में छात्रों ने मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना भी की थी और अपने आंदोलन की जीत बताया था।
उधर, सीबीआइ जांच जब सीएम के एलान के चार महीने बाद भी नहीं शुरू हुई तो धीरे-धीरे छात्रों में निराशा का भाव पनपने लगा और वे खुद को ठगा सा महसूस करने लगे। पिछले दिनों इलाहाबाद में चुनावी रैली के दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आयोग की सीबीआइ जांच वाला वादा दोहराया और वहीं रविवार को मुरादाबाद में हुई रैली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने संबोधन में आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की बात दोहराई, जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि धांधली करने वाले जेल भी जाएंगे। सोमवार को प्रतियोगी छात्रों में एक बार फिर रौनक लौटी। आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए छात्रों का कहना था कि जांच होने पर कई बड़े अधिकारी नपेंगे। छात्रों ने मुख्यमंत्री से उम्मीदें जताईं और कहा कि जिन लोगों ने अवैध रूप से नौकरी हथिया ली है उन्हें बर्खास्त कर योग्य छात्रों को नौकरी पर रखा जाए।
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मुरादाबाद में रविवार को चुनावी रैली के दौरान आयोग की सीबीआइ जांच पर नई रोशनी डालकर मुख्यमंत्री ने यह पक्का कर दिया है कि परीक्षाओं में धांधली करने वाले कोई भी लोग बख्शे नहीं जाएंगे। आयोग से सपा शासन में हुई सभी भर्तियों में मनमानी और योग्य छात्रों की अनदेखी का आरोप लगाकर सैकड़ों छात्रों ने खूब आंदोलन किया था।
प्रतियोगी छात्रों ने सभी परीक्षाओं पर अंगुली उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी, उन आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस की लाठियां तो बरसी ही थीं, गोलियां भी चली थीं। गत 19 जुलाई को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने का एलान किया तो प्रतियोगी छात्रों की बाछें खिल गई थीं। मन की मुराद पूरी होने की आस में छात्रों ने मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना भी की थी और अपने आंदोलन की जीत बताया था।
उधर, सीबीआइ जांच जब सीएम के एलान के चार महीने बाद भी नहीं शुरू हुई तो धीरे-धीरे छात्रों में निराशा का भाव पनपने लगा और वे खुद को ठगा सा महसूस करने लगे। पिछले दिनों इलाहाबाद में चुनावी रैली के दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने आयोग की सीबीआइ जांच वाला वादा दोहराया और वहीं रविवार को मुरादाबाद में हुई रैली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने संबोधन में आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की बात दोहराई, जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि धांधली करने वाले जेल भी जाएंगे। सोमवार को प्रतियोगी छात्रों में एक बार फिर रौनक लौटी। आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए छात्रों का कहना था कि जांच होने पर कई बड़े अधिकारी नपेंगे। छात्रों ने मुख्यमंत्री से उम्मीदें जताईं और कहा कि जिन लोगों ने अवैध रूप से नौकरी हथिया ली है उन्हें बर्खास्त कर योग्य छात्रों को नौकरी पर रखा जाए।
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