1670 शिक्षामित्रों के समायोजन पर संकट
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सीतापुर। प्राथमिक शिक्षकाें की पदोन्नति अर्हता में सेवाकाल की अवधि
घटाने के बाद भी जिले में शिक्षामित्रों के समायोजन पर संकट बरकरार है।
1670 शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए अधिकारियों को कोई रास्ता नहीं
सूझ रहा है। सेवाकाल अवधि चार से तीन वर्ष करने के बाद भी जिले में केवल
850 सीटें ही रिक्त हो रहीं है, जबकि 2520 शिक्षामित्रोें का समायोजन होना
है।
मालूम रहे कि शासन ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत जिले में 2520 शिक्षामित्रों का समायोजन शेष है। शासन ने प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की पदोन्नति के लिए पांच वर्ष के सेवाकाल को मानक बना रखा था।
शिक्षामित्रों को समायोजित करने को सीटों को रिक्त सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए बीते दिनों शासन ने इसको घटाकर कर चार वर्ष कर दिया। अप्रैल के अंत तक सभी शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र दी जानी है। प्रदेश के अन्य जिलों में इसको लेकर कार्यवाही भी शुरू हो गई है लेकिन सीतापुर में अभी तक इसको लेकर अधिकारियाें के कदम आगे नहीं बढ़ सके हैं। कारण यह है कि यहां समायोजन के सापेक्ष रिक्त सीटों की संख्या कम है।
इसको देखते हुए शासन ने पदोन्नति अर्हता को चार साल से घटाकर तीन वर्ष कर दिया है। इसके बाद भी करीब 850 सीटें ही खाली हो रहीं हैं, जबकि समायोजन 2520 शिक्षामित्रों का होना है। ऐसे में शिक्षामित्रों के समायोजन पर आया संकट शासन के इस कदम से भी दूर नहीं हो पा रहा है। करीब 1670 शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर अभी भी अधिकारी परेशान है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि पदोन्नति के बाद शेष सीटें कहां से आएंगी। इस पर मंथन का दौर चल रहा है।
मालूम रहे कि शासन ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के रूप में प्राथमिक विद्यालयों में समायोजित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत जिले में 2520 शिक्षामित्रों का समायोजन शेष है। शासन ने प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की पदोन्नति के लिए पांच वर्ष के सेवाकाल को मानक बना रखा था।
शिक्षामित्रों को समायोजित करने को सीटों को रिक्त सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए बीते दिनों शासन ने इसको घटाकर कर चार वर्ष कर दिया। अप्रैल के अंत तक सभी शिक्षामित्रों को नियुक्ति पत्र दी जानी है। प्रदेश के अन्य जिलों में इसको लेकर कार्यवाही भी शुरू हो गई है लेकिन सीतापुर में अभी तक इसको लेकर अधिकारियाें के कदम आगे नहीं बढ़ सके हैं। कारण यह है कि यहां समायोजन के सापेक्ष रिक्त सीटों की संख्या कम है।
इसको देखते हुए शासन ने पदोन्नति अर्हता को चार साल से घटाकर तीन वर्ष कर दिया है। इसके बाद भी करीब 850 सीटें ही खाली हो रहीं हैं, जबकि समायोजन 2520 शिक्षामित्रों का होना है। ऐसे में शिक्षामित्रों के समायोजन पर आया संकट शासन के इस कदम से भी दूर नहीं हो पा रहा है। करीब 1670 शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर अभी भी अधिकारी परेशान है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि पदोन्नति के बाद शेष सीटें कहां से आएंगी। इस पर मंथन का दौर चल रहा है।
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