चयन बोर्ड: पांच वर्ष में नहीं हो सका किसी का चयन
इलाहाबाद। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों केचयन केलिए गठित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का पांच वर्ष का रिपोर्ट कार्ड शून्य है। बीते पांच वर्षों में चयन बोर्ड की ओर से नए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यों का चयन नहीं हो सका है। इन पांच वर्षों में चयन बोर्ड विवादों का अखाड़ा बना रहा। बोर्ड में चार अध्यक्ष और दजर्नो सदस्य आए और गए, परंतु माध्यमिक विद्यालयों को नए शिक्षक नहीं मिल सके। अध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन पर प्रदेश सरकार की ओर से लाखों खर्च के बाद भी प्रगति शून्य रही।
चार अध्यक्ष आए और चले गए, नहीं हुआ कोई चयन
चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी-पीजीटी के पदों पर अंतिम चयन 2009-10 में हुआ था। इसके बाद इतना विवाद बढ़ा कि चयन बोर्ड के दो सदस्यों सहित एक अध्यक्ष डॉ.आरपी वर्मा को अपने पद से त्यागपत्र देकर हटना पड़ा। इसके बाद अध्यक्ष की जिम्मेदारी धनंजय गुप्ता और फिर डॉ.देवकी नंदन शर्मा को सौंपी गई लेकिन कई महीने बाद उनका कैंसर से निधन हो गया। फिर आए डॉ.आशाराम लेकिन उन्होंने अपनी कार्यशैली से प्रदेश सरकार को चुनौती दे डाली। इससे सरकार ने उन्हें हटाकर डॉ.परशुराम पाल को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौपी लेकिन कुछ समय काम करने के बाद उन्हें भी सरकार ने पद से हटा दिया। फिलहाल अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका अनिता यादव के पास है।
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चार अध्यक्ष आए और चले गए, नहीं हुआ कोई चयन
चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी-पीजीटी के पदों पर अंतिम चयन 2009-10 में हुआ था। इसके बाद इतना विवाद बढ़ा कि चयन बोर्ड के दो सदस्यों सहित एक अध्यक्ष डॉ.आरपी वर्मा को अपने पद से त्यागपत्र देकर हटना पड़ा। इसके बाद अध्यक्ष की जिम्मेदारी धनंजय गुप्ता और फिर डॉ.देवकी नंदन शर्मा को सौंपी गई लेकिन कई महीने बाद उनका कैंसर से निधन हो गया। फिर आए डॉ.आशाराम लेकिन उन्होंने अपनी कार्यशैली से प्रदेश सरकार को चुनौती दे डाली। इससे सरकार ने उन्हें हटाकर डॉ.परशुराम पाल को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौपी लेकिन कुछ समय काम करने के बाद उन्हें भी सरकार ने पद से हटा दिया। फिलहाल अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी इंटर कॉलेज की सहायक अध्यापिका अनिता यादव के पास है।
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