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सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेंगे अभ्यर्थी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में गोपनीयता के नाम पर बनाई गई किलेबंदी तोड़ने की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बावजूद प्रतियोगियों का हौसला पस्त नहीं हुआ है। अब उन्होंने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देने की तैयारी की है। इसमें आयोग के उस सरकुलर को चुनौती दी जाएगी जिसमें रिजल्ट में अभ्यर्थियों का नाम न प्रकाशित करने की बात कही गई है।
हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत : इससे पहले प्रतियोगियों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने पीसीएस-2015 की परीक्षा दोबारा कराए जाने मांग में एक याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था तो अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने राज्य सरकार और आयोग से जवाब तो मांगा था लेकिन परीक्षा रद नहीं हुई थी।

इसी कड़ी में भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के उपाध्यक्ष अनिल उपाध्याय ने भी हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर आयोग के दो फैसलों को चुनौती दी थी। इसमें एक फैसला सफल अभ्यर्थियों के नाम को न प्रकाशित करने का था और दूसरा निर्णय अपना रिजल्ट देखने के लिए अभ्यर्थियों को वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) दिए जाने का था। इसकी वजह से कोई एक अभ्यर्थी दूसरे को मिले नंबर नहीं देख सकता था। कोर्ट ने आयोग का नीतिगत मामला बताकर इस याचिका को खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें : भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा अब इसी प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट ले जा रहा है। इसके लिए विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। प्रतियोगियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी उनका पक्ष रखेंगे। मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह के अनुसार यह याचिका एक-दो दिन में दायर हो जाएगी। उनका मानना है कि यदि प्रतियोगियों को एक-दूसरे का नंबर देखने का मौका मिल गया तो आयोग का भ्रष्टाचार खुलकर सामने आ जाएगा। अन्य प्रदेशों के आयोग सफल अभ्यर्थियों के नाम पर कोई गोपनीयता नहीं बरतते।

आरटीआइ से भी कोई जानकारी नहीं: गोपनीयता के नाम पर आयोग ने फिलहाल अभ्यर्थियों को सूचना अधिकार के तहत मांगी जा रही जानकारियां भी देने से मना कर दिया है। अधीनस्थ कृषि सेवा परीक्षा के एक अभ्यर्थी देवेंद्र उपाध्याय ने आयोग में सूचना अधिकार कानून के तहत आवेदन देकर सभी अभ्यर्थियों के नाम और अंकों के बारे में सूचना मांगी थी लेकिन आयोग की ओर से स्पष्ट कह दिया गया कि इस तरह की जानकारियां नहीं दी जा सकती। इससे पहले भी कई प्रतियोगियों आरटीआइ आवेदन खारिज किए जा चुके हैं।

सफल अभ्यर्थियों के नाम सार्वजनिक न करने के फैसले को अदालत में देंगे चुनौती

अधिकारियो के समर्थन से बढ़ा हौसला

आयोग के खिलाफ आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों का हौसला कई वरिष्ठ अधिकारियों के समर्थन की वजह से बढ़ गया है। प्रमुख सचिव सूर्य प्रताप सिंह, आइपीएस अमिताभ ठाकुर पहले ही आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं। सेवानिवृत आइएएस बादल चटर्जी ने भी उनका मनोबल बढ़ाया है। कुछ अधिकारी परदे के पीछे से भी उनका समर्थन कर रहे हैं।

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