लखनऊ (जेएनएन)। कर्मचारियों को खुश करने के लिए राज्य सरकार कोई कसर नहीं छोडऩा चाहती। सरकार ने चुनाव से पहले सूबे के 21 लाख कर्मचारियों, शिक्षकों व पेंशनरों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप नया वेतनमान देने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।
प्रमुख सचिव राज्यपाल के पद से रिटायर आइएएस अफसर जी. पटनायक को 'वेतन समिति उत्तर प्रदेश-2016' का अध्यक्ष बनाया गया है। समिति को रिपोर्ट देने के लिए फिलहाल छह माह का समय दिया गया है, मगर अंतरिम रिपोर्ट तीन माह में मांगी गई है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में 18 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां उत्तर प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया गया था। वेतन समिति का अध्यक्ष चुनने का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया था। सेवानिवृत आइएएस आरएम श्रीवास्तव व जी. पटनायक ने पद की दावेदारी की थी। मुख्यमंत्री ने सोमवार को पटनायक को वेतन समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
कैबिनेट बैठक के बाद खुद इसकी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समिति को रिपोर्ट देने के लिए छह माह की मोहलत दी गई है। उन्होंने चुनाव से पहले सातवें वेतन आयोग की मंशा के अनुरूप वेतन का तोहफा देने का संकेत भी दिया।
*_वेतन समिति में कौन-कौन_*
अध्यक्ष के अलावा प्रमुख सचिव नियोजन, प्रमुख सचिव कार्मिक समिति के सदस्य होंगे। वित्त वेतन आयोग के सचिव पदेन सदस्य सचिव होंगे।
_*अनुपूरक बजट में धन का इंतजाम*_
आयोग की संस्तुतियां लागू होने से सरकार पर पहले साल 26,573 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है। सरकार मानसून सत्र में अनुपूरक बजट के माध्यम से धनराशि का इंतजाम करने में जुट गई है। दूसरे साल से कर्मचारियों के वेतन की मद में अतिरिक्त रूप से 22,778 करोड़ की व्यवस्था करनी होगी। अभी वेतन, भत्तों व पेंशन पर वार्षिक 95000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
_*25 फीसद बढ़ेगा वेतन*_
जानकारों का कहना है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग की संस्तुति लागू करने के लिए समिति गठन से पूर्व जो आकलन कराया है, उसमें कर्मचारियों का औसत वेतन 25 फीसद तक बढऩे की उम्मीद है। वेतन मद में राज्य सहायता से अलग-अलग प्रावधान न होने के कारण अन्य भत्ते दोगुने होने की संभावना के मद्देनजर कुल अनुमानित व्ययभार का 30 फीसद अतिरिक्त व्ययभार मान लिया गया है।
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प्रमुख सचिव राज्यपाल के पद से रिटायर आइएएस अफसर जी. पटनायक को 'वेतन समिति उत्तर प्रदेश-2016' का अध्यक्ष बनाया गया है। समिति को रिपोर्ट देने के लिए फिलहाल छह माह का समय दिया गया है, मगर अंतरिम रिपोर्ट तीन माह में मांगी गई है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में 18 जुलाई को हुई कैबिनेट बैठक में सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां उत्तर प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया गया था। वेतन समिति का अध्यक्ष चुनने का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया था। सेवानिवृत आइएएस आरएम श्रीवास्तव व जी. पटनायक ने पद की दावेदारी की थी। मुख्यमंत्री ने सोमवार को पटनायक को वेतन समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
कैबिनेट बैठक के बाद खुद इसकी जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समिति को रिपोर्ट देने के लिए छह माह की मोहलत दी गई है। उन्होंने चुनाव से पहले सातवें वेतन आयोग की मंशा के अनुरूप वेतन का तोहफा देने का संकेत भी दिया।
*_वेतन समिति में कौन-कौन_*
अध्यक्ष के अलावा प्रमुख सचिव नियोजन, प्रमुख सचिव कार्मिक समिति के सदस्य होंगे। वित्त वेतन आयोग के सचिव पदेन सदस्य सचिव होंगे।
_*अनुपूरक बजट में धन का इंतजाम*_
आयोग की संस्तुतियां लागू होने से सरकार पर पहले साल 26,573 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है। सरकार मानसून सत्र में अनुपूरक बजट के माध्यम से धनराशि का इंतजाम करने में जुट गई है। दूसरे साल से कर्मचारियों के वेतन की मद में अतिरिक्त रूप से 22,778 करोड़ की व्यवस्था करनी होगी। अभी वेतन, भत्तों व पेंशन पर वार्षिक 95000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
_*25 फीसद बढ़ेगा वेतन*_
जानकारों का कहना है कि सरकार ने सातवें वेतन आयोग की संस्तुति लागू करने के लिए समिति गठन से पूर्व जो आकलन कराया है, उसमें कर्मचारियों का औसत वेतन 25 फीसद तक बढऩे की उम्मीद है। वेतन मद में राज्य सहायता से अलग-अलग प्रावधान न होने के कारण अन्य भत्ते दोगुने होने की संभावना के मद्देनजर कुल अनुमानित व्ययभार का 30 फीसद अतिरिक्त व्ययभार मान लिया गया है।
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