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दूसरी बीवी के बेटे को भी अनुकंपा नियुक्ति पर मुहर

नई दिल्ली1रेलवे कर्मचारी की मौत पर उसकी दूसरी पत्नी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी शादी से पैदा बच्चे को वैध संतान और पिता की संपत्ति में अधिकार
के कानूनी प्रावधान को मान्यता देने वाले मद्रास हाई कोर्ट और केंद्रीय प्रशासनिक टिब्यूनल (कैट) के फैसले को सही ठहराते हुए उसमें दखल देने से इन्कार कर दिया है। 1कैट ने रेलवे के 2 जनवरी 1992 के उस सरकुलर को रद कर दिया था जिसमें दूसरी बीवी से उत्पन्न बच्चों को अनुकंपा नियुक्ति देने की मनाही थी। कैट और हाई कोर्ट से निराश होने के बाद रेलवे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। रेलवे बोर्ड के निर्देशों के मुताबिक दूसरी पत्नी के बच्चे को मान्यता नहीं है। दूसरी पत्नी किसी भी लाभ की हकदार नहीं है। दूसरी शादी की जानकारी महकमे को नहीं दी गई थी। कोर्ट ने यह दलीलें ठुकरा दीं। 1दक्षिण रेलवे में काम करने वाले एक कर्मचारी की पहली पत्नी से कोई संतान नहीं थी, जबकि दूसरी पत्नी का बेटा था। कर्मचारी की मृत्यु पर दूसरी पत्नी के बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति की अर्जी दी लेकिन रेलवे ने इन्कार कर दिया। इसके बाद दूसरी ने बीवी कैट में याचिका दाखिल की। कैट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के नमिता गोलदार और सुप्रीम कोर्ट के रामेश्वरी देवी मामले में दी गई व्यवस्था के आधार पर दूसरी बीवी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति देने से रोकने वाला रेलवे का सरकुलर निरस्त कर दिया। 1सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2000 में रामेश्वरी देवी मामले में व्यवस्था दी थी कि गैरकानूनी शादी के बच्चे वैध संतान माने जाते हैं और उन्हें पिता की संपत्ति में कानूनी हक है। हंिदूू मैरिज एक्ट की धारा 16 विशेष तौर पर कहती है कि गैरकानूनी शादी के बच्चे वैध संतान होंगे। कैट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के मुताबिक मृतक कर्मचारी की पहली और दूसरी पत्नी के बच्चे में अंतर नहीं किया जा सकता। हालांकि पहली पत्नी के कोई संतान नहीं थी और कर्मचारी की मृत्यु के थोड़े समय बाद ही उसकी भी मृत्यु हो गई थी।

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